मध्यप्रदेश भाजपा लीगल सेल के प्रदेश सह संयोजक अशोक विश्वकर्मा का कहना है कि के. परासरण के राष्ट्रपति बनने पर प्रभु श्रीराम को मानने वाले लोग खुद को गौरवान्वित महसूस करेंगे। पीएम के नाम ज्ञापन में विश्वकर्मा ने लिखा कि ‘आज तक परासरण जी से न तो मिला हूं, न ही वो मुझे जानते हैं.
Keshav Ayyangaar Paraasaran: अयोध्या में भगवान राम जन्मभूमि पर लगभग 500 साल बाद अंततः रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा 22 जनवरी को हुई है. विवादित ढांचा गिराने के बाद अदालत में राम जन्मभूमि मामले के पक्षकारों की ओर से क़ानूनी लड़ाई लड़ने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील केशव अय्यंगार परासरण को भारत का अगला राष्ट्रपति बनाने की मांग शुरू हो गई है. मध्यप्रदेश भाजपा विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश सह संयोजक अशोक विश्वकर्मा ने भोपाल कलेक्टर के जरिए पीएम मोदी को ज्ञापन भेजा है.
मध्यप्रदेश भाजपा लीगल सेल के प्रदेश सह संयोजक अशोक विश्वकर्मा का कहना है कि के. परासरण के राष्ट्रपति बनने पर प्रभु श्रीराम को मानने वाले लोग खुद को गौरवान्वित महसूस करेंगे। पीएम के नाम ज्ञापन में विश्वकर्मा ने लिखा कि ‘आज तक परासरण जी से न तो मिला हूं, न ही वो मुझे जानते हैं. लेकिन यह मेरा आत्मीय भाव है कि द्रौपदी मुर्मू के बाद उन्हें देश का राष्ट्रपति बनाया जाए’.
केशव अय्यंगार परासरण को राष्ट्रपति बनाने की मांग करने वाले वकील अशोक ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि ‘प्रभु श्री राम में विश्वभर के सभी सनातनियों और बहुत से लोगों की आस्था है. मंदिर के लिए भगवान श्री राम का केस सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता केशव अय्यंगार परासरण ने लड़ा था. मेरा पीएम से निवेदन है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के कार्यकाल के बाद उन्हें राष्ट्रपति बनाया जाए.
उससे देश के अधिवक्ताओं में हर्ष होगा ही, रामभक्तों को भी ख़ुशी होगी अशोक विश्वकर्मा भाजपा विधि प्रकोष्ठ में प्रदेश सह-संयोजक हैं. इससे पहले विद्यार्थी परिषद और अधिवक्ता परिषद के पद पर भी रह चुके हैं.
कौन हैं के. परासरण
सुप्रीम कोर्ट में राम जन्म भूमि का मुकदमा जिताने वाले वरिष्ठ वकील केशव अय्यंगार परासरण का जन्म साल 1927 में तमिलनाडु के श्रीरंगम में हुआ था. वकालत उन्हें विरासत में मिली। उनके पिता भी वकील थे. उनकी अध्यक्षता में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कार्यालय का पता ग्रेटर कैलाश स्थित परासरण का कार्यालय है. परासरण वही वकील हैं, जो 92 साल की उम्र में भी सुप्रीम कोर्ट में घंटों खड़े रहकर राम मंदिर के लिए बहस करते और दलील देते थे. इसी कारण वे सुर्ख़ियों में आए थे.
भारतीय पितामह कहलाते हैं परासरण
Indian Patriarch: परासरण ने साल 1958 में वकालत की शुरुआत की थी. तब से लेकर अब तक कई सरकारें आईं और गईं, लेकिन परासरण सबके भरोसेमंद वकील बने रहे. इसलिए उन्हें ‘भारतीय पितामह’ कहा जाता है. वे हिंदू शास्त्रों के विद्वान और दो बार देश के अटार्नी जनरल भी रह चुके हैं. इतना ही नहीं अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से नवाजा था. मनमोहन सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण दिया और राज्यसभा के लिए नॉमिनेट भी किया था।