AAP सांसद संजय सिंह को ED ने क्यों गिरफ्तार किया? पूरा केस जान लीजिये

AAP MP Sanjay Singh ED Raid News

Why AAP MP Sanjay Singh Raided: आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह के घर प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने रेड मारने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया है.

ED Raided AAP MLA Sanjay Singh: आप सांसद संजय सिंह के घर ED का छापा पड़ गया. बुधवार 4 अक्टूबर की सुबह 7 बजे प्रवर्तन निदेशालय की टीम उनके दिल्ली वाले घर में पहुंच गई. घंटों चली पूछताछ के बाद ED ने संजय सिंह को गिरफ्तार कर लिया। मामला दिल्ली आबकारी निति केस (Delhi Liquor Policy) से जुड़ा हुआ है. इस मामले में दर्ज चार्टशीट में AAP सांसद संजय सिंह का भी नाम दर्ज है.

इससे पहले भी 24 मई 2023 को संजय सिंह के करीबियों घर में ED ने छापा मारा था. तब संजय सिंह ने ED की जांच को बदले की राजनीति से प्रेरित ‘फर्जी जांच’ बताया था. उन्होंने अपने करीबियों के ठिकानों में रेड पड़ने पर कहा था कि- ‘आज मेरे सहयोगियों, अजित त्यागी और सर्वेश मिश्रा के घर ED ने छापा मारा है. सर्वेश के पिता कैंसर से पीड़ित हैं. ये जुर्म की इंतिहा है. चाहे जितना जुर्म करो लड़ाई जारी रहेगी।

आप संसद संजय सिंह के घर ED का छापा

संजय सिंह के घर ED की रेड पड़ने के बाद उनके पिता ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि- विभाग अपना काम कर रहा है. हम उनका सहयोग करेंगे। मैं उस समय का इंतजार करूंगा जब उनको क्लियरेंस मिल जाएगी।

AAP बोली- अडानी के खिलाफ बोलने की सज़ा मिल रही

संजय सिंह के खिलाफ ED ने रेड इसी लिए मारी है क्योंकि उनका नाम दिल्ली शराब घोटाले (Delhi Liquor Scam) में जुड़ा है. इसी मामले में राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया पिछले एक साल से जेल में हैं. लेकिन संजय सिंह के घर में पड़ी रेड को लेकर आम आदमी पार्टी का कहना कुछ और ही है. AAP ने बयान जारी करते हुए लिखा-

संजय सिंह अडानी मुद्दे पर लगातार सवाल उठाते रहे हैं और इसी वजह से उनके आवास पर छापेमारी की जा रही है. केंद्रीय एजेंसियों को पहले भी कुछ नहीं मिला और आज भी कुछ नहीं मिलेगा। आप प्रवक्ता रीना गुप्ता ने कहा- सरकार ने पहले पत्रकारों के आवास पर छापे मारे और आज सांसद संजय सिंह के आवास पर छापेमारी की गई है.

संजय सिंह के घर ईडी की रेड क्यों पड़ी?

मामला दिल्ली लिकर पॉलिसी से जुड़ा है. इस केस से जुडी चार्टशीट में ED ने संजय सिंह का भी नाम जोड़ा है। उनपर 82 लाख रुपए चंदा लेने का इल्जाम लगाया गया है. इसी सिलसिले में पूछताछ करने के लिए ED उनके घर पहुंची है. इस चार्टशीट में संजय सिंह के अलावा AAP के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा का भी नाम है लेकिन उन्हें आरोपों नहीं बनाया गया है.

संजय सिंह से करीब 10 घंटे तक पूछताछ करने के बाद ED ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है. कहा जा रहा है कि ED को संजय सिंह के खिलाफ पुख्ता सबूत मिल गए हैं.

अरविन्द केजरीवाल ने क्या कहा?

ED की कार्रवाई को लेकर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा – इस केस में 1000 रेड पड़ चुकी हैं। संजय सिंह के घर पर कुछ नहीं मिलेगा। 2024 के चुनाव आ रहे हैं और वे जानते हैं कि वे हारेंगे। ये उनकी हताशा भरी कोशिशें हैं। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएगा, ED, CBI और जैसी सभी एजेंसियां ​​सक्रिय हो जाएंगी।

क्या है दिल्ली शराब निति घोटाला?

  • What is Delhi Liquor Policy Scam: दिल्ली में पुरानी शराब निति के तहत L1 और L10 लाइसेंस सिर्फ रिटेल वेंडर्स को दिया जाता था. L1 दुकानें DDA के अप्रूव्ड बाजार, लोकल शॉपिंग सेंटर, कनविनिएंट शॉपिंग सेंटर, डिस्ट्रिक सेंसर और कम्युनिटी सेंटर में चला करती थीं.
  • केजरीवाल सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नई शारब निति पेश की. तबतक दिल्ली में 829 शराब दुकानें थीं. जिनमे 60% सरकारी और 40% प्राइवेट थीं. नई शराब निति को मंजूरी 17 नवंबर को दी गई जिसके तहत राज्य की सभी सरकारी शराब दुकानों को बंद करा दिया गया और नई निति को लागू करने के लिए दिल्ली को 32 ज़ोन में बांट दिया गया.
  • हर ज़ोन में 27 शराब दुकानों का प्रावधान किया गया यानी टोटल 864 दुकानें खोलने की योजना बनी. इन दुकानों का मालिकाना हक़ ज़ोन में जारी किए गए लाइसेंस के तहत दिया गया. हर वार्ड में 2 से 3 वेंडर को शराब बेचने की अनुमति दी गई.
  • बाद में दिल्ली के LG ने नई शराब निति को लेकर विरोध किया। आरोप लगा कि मनीष सिसोदिया ने उपराज्यपाल की मंजूरी लिए बिना ही शराब निति में बदलाव कर उसे लागू कर दिया है. मनीष सिसोदिया ने कोरोना महामारी के नाम पर 114.36 करोड़ रुपए की टेंडर लाइसेंस फीस को भी माफ़ कर दिया था.
  • यहीं से इस मामले में भ्रष्टाचार होने का शक हुआ. आरोप लगाया गया कि मनीष सिसोदिया ने अपने खास ठेकेदारों को लाभ पहुँचाने के लिए टेंडर लाइसेंस फीस माफ़ की है. लाइसेंस देने के बदले ठेकेदारों से कमीशन खाया गया है और उससे होने वाली कमाई के बलबूते ही पार्टी ने पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ा. शक और भी गहरा गया जब नई निति लागू करने के 4 महीने बाद ही उसे वापस ले लिया गया.

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