सनातन पंचाग का आठवां महीना कार्तिक मास सबसे पवित्र माना जाता है. दिवाली इस मास का प्रमुख त्योहार है. 29 अक्टूबर को कार्तिक मास की शुरुआत हो चुकी है. इसका समापन 27 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के साथ होगा। मान्यता है कि इस मास में जो मनुष्य व्रत, तप करता है उसे मोक्ष कि प्राप्ति होती है.
कार्तिक मास 2023 की शुरुआत हो चुकी है. भगवान विष्णु के इस प्रिय महीने में व्रत, तप और पूजा पाठ करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. कार्तिक मास से देव तत्व भी मजबूत होता है. इसी महीने भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं और सृष्टि में आनंद और कृपा की वर्षा होती है.
इस महीने में माँ लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती हैं और भक्तों को अपार धन देती हैं. इस महीने में धन और धर्म दोनों से सम्बंधित कई प्रयोग और नियम हैं. कार्तिक मास में विशेष रूप से भगवान विष्णु की उपासना की जाती है. कार्तिक मास में तुसली का रोपण और विवाह सर्वोत्तम होता है. इस महीने दान करने से अक्षय शुभ फल की प्राप्ति होती है. विशेष तौर पर दीपदान से बड़ा लाभ मिलता है. इस बार कार्तिक मास 29 अक्टूबर से शुरू होकर 27 नवंबर तक रहेगा।
क्या करना चाहिए कार्तिक मास में
दलहन खाना वर्जित – कार्तिक में दलहन यानी उड़द, मूंग, मसूर, चना, तुअर इत्यादि की दाल खाना वर्जित होता है. साथ ही ऐसा माना जाता है कि इस माह में दोपहर सोना भी मना होता है.
तेल लगाना वर्जित -कार्तिक मांस में शरीर पर तेल लगाना भी मना होता है. इस मास में केवल एक बार नरक चतुर्दशी के दिन ही शरीर पर तेल लगाया जाता है.
दीपदान करना चाहिए – कार्तिक मास में सबसे ज्यादा महत्व दीपदान का है. इस माह में नदी, तालाब, और घर के एक कोने में दीपक जलाया जाता है. साथ ही इस मास में दान करने से भी अक्षय शुभ फल की प्राप्ति होती है.
तुलसी पूजा- कार्तिक के महीने में तुलसी पूजन, रोपण और सेवन करने का विशेष महत्व बताया गया है. इस मास में तुलसी पूजा का महत्व कई गुना बढ़ जाता है. कहा जाता है कि इस मास में तुलसी की पूजा करने से विवाह सम्बन्धी दिक्कतें दूर हो जाती हैं.
जमीन पर सोना-कार्तिक मास में भूमि पर सोना भी एक प्रमुख नियम माना जाता है. भूमि पर सोने से मन में सात्विकता का भाव आता है और अन्य समस्याएं भी समाप्त हो जाती हैं.
दिवाली का महत्व
दिवाली सनातन धर्म का बड़ा त्यौहार है. कार्तिक मास में माँ लक्ष्मी की कृपा के लिए ये त्योहार मनाया जाता है. कार्तिक मास में हर दिन माँ लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए उनकी पूजा की जाती है. दिवाली के दिन माँ लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर जी की पूजा की जाती है.
दिवाली में दीपक जलाने की विधि
हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को मनाए जाने वाले त्योहार दिवाली में दीपक जलाना विशेष महत्व रखता है. सबसे पहले दीये की पूजा कर उसे घर के मुख्य दरवाजे के दोनों तरफ रखा जाता है. ऐसा माना जाता है कि लक्ष्मी पहला कदम यहीं से रखती हैं. साथ ही इससे पॉजिटिविटी भीआती है. साथ ही दीपक सरसो के तेल के जलाने चाहिए।