Why Donald Trump Wants Nobel Peace Prize: 20 जून 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर नोबेल शांति पुरस्कार (Donald Trump Nobel Peace Prize) की इच्छा जताई, जब पाकिस्तान ने उन्हें 2026 के लिए नामांकित किया। ट्रंप ने न्यू जर्सी के मॉरिस्टाउन हवाई अड्डे पर पत्रकारों से कहा कि वह भारत-पाकिस्तान तनाव को कम करने, कांगो-रवांडा संधि, और सर्बिया-कोसोवो जैसे वैश्विक संघर्षों में भूमिका के लिए चार-पांच बार इस पुरस्कार के हकदार थे (Trump India-Pakistan Mediation). हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें यह पुरस्कार नहीं मिलेगा, क्योंकि “यह केवल लिबरल्स को दिया जाता है” (Trump Nobel Liberal Bias). आइए जानते हैं कि ट्रंप इस पुरस्कार के लिए इतने बेताब क्यों हैं, इसे जीतने से उन्हें क्या हासिल होगा, और नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize Process In Hindi) कैसे और किसे मिलता है .
ट्रंप की नोबेल शांति पुरस्कार की चाहत क्यों? (Why Trump Wants Nobel Peace Prize)
- वैश्विक मान्यता: ट्रंप ने अपने कार्यकाल में कई कूटनीतिक उपलब्धियों का दावा किया है, जैसे 2020 के अब्राहम समझौते, सर्बिया-कोसोवो आर्थिक सामान्यीकरण, और हाल ही में भारत-पाकिस्तान तनाव में कथित मध्यस्थता (Abraham Accords Trump, Serbia-Kosovo Deal). वह इन प्रयासों के लिए वैश्विक स्तर पर प्रशंसा चाहते हैं, जिसे नोबेल शांति पुरस्कार सर्वोच्च रूप में प्रदान करता है (Global Recognition Nobel).
- राजनीतिक विरासत: ट्रंप अपनी राजनीतिक विरासत को मजबूत करना चाहते हैं। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा को 2009 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला था, जिसे ट्रंप और उनके समर्थक अक्सर आलोचना करते हैं। ट्रंप इसे अपनी उपलब्धियों के लिए जवाब के रूप में देखते हैं (Obama Nobel Comparison).
- सार्वजनिक छवि: ट्रंप की छवि अक्सर विवादास्पद रही है। नोबेल शांति पुरस्कार उनकी छवि को एक “शांतिदूत” के रूप में बदल सकता है, जिससे उनके समर्थकों और आलोचकों के बीच उनकी विश्वसनीयता बढ़ेगी (Trump Peacemaker Image).
- पाकिस्तान का समर्थन: पाकिस्तान ने 2025 में भारत-पाकिस्तान तनाव में ट्रंप की कथित भूमिका के लिए उन्हें नामांकित किया (Pakistan Nominates Trump). यह नामांकन ट्रंप के दावों को बल देता है, जिससे उनकी उम्मीदें बढ़ी हैं, भले ही भारत ने उनकी मध्यस्थता को खारिज किया हो (India Denies Trump Mediation).
- विपक्ष पर तंज: ट्रंप ने कहा कि नोबेल समिति “लिबरल्स” को प्राथमिकता देती है, जिससे वह अपनी कंजर्वेटिव विचारधारा को मजबूत करने के लिए इस मुद्दे का उपयोग कर रहे हैं. यह उनके समर्थक आधार को रिझाने की रणनीति भी हो सकती है.
हालांकि, ट्रंप ने यह भी स्वीकार किया कि वह पुरस्कार नहीं जीत पाएंगे, लेकिन उनके लिए “लोगों की राय” अधिक मायने रखती है (Trump Truth Social Post). उनके आलोचक, जैसे पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन, का कहना है कि ट्रंप की यह इच्छा राष्ट्रीय सुरक्षा से अधिक व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा को दर्शाती है
ट्रम्प को नोबेल शांति पुरस्कार जीतने से क्या हासिल होगा?
What will Trump gain from winning the Nobel Peace Prize: ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार मिलने से कई लाभ हो सकते हैं
- वैश्विक प्रतिष्ठा: नोबेल शांति पुरस्कार विश्व का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार है, जो ट्रंप को वैश्विक नेताओं के बीच एक शांतिदूत के रूप में स्थापित करेगा (Nobel Prestige).
- राजनीतिक लाभ: यह पुरस्कार ट्रंप के घरेलू और अंतरराष्ट्रीय समर्थन को बढ़ा सकता है, खासकर 2028 के चुनावों को देखते हुए (Political Advantage Nobel).
- आर्थिक लाभ: नोबेल शांति पुरस्कार के साथ 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (लगभग ₹90 करोड़) की पुरस्कार राशि मिलती है, जिसे विजेता सामाजिक कार्यों या व्यक्तिगत उपयोग के लिए खर्च कर सकता है (Nobel Prize Money).
- ऐतिहासिक विरासत: ट्रंप का नाम थिओडोर रूजवेल्ट, वुडरो विल्सन, जिमी कार्टर, और बराक ओबामा जैसे अमेरिकी राष्ट्रपतियों की सूची में शामिल होगा, जो उनकी ऐतिहासिक छवि को मजबूत करेगा (Nobel Historical Legacy).
- सामाजिक प्रभाव: पुरस्कार से ट्रंप की कूटनीतिक पहल, जैसे भारत-पाकिस्तान या मध्य पूर्व शांति प्रयास, को वैश्विक मंच पर मान्यता मिलेगी, जिससे भविष्य में उनकी बातचीत को और बल मिलेगा (Trump Diplomatic Impact).
नोबेल शांति पुरस्कार कैसे और किसे मिलता है?
Nobel Peace Prize Criteria: नोबेल शांति पुरस्कार नॉर्वे की नोबेल समिति द्वारा हर साल उन व्यक्तियों या संगठनों को दिया जाता है, जिन्होंने शांति स्थापना, संघर्ष समाधान, या मानव कल्याण में उल्लेखनीय योगदान दिया हो (Nobel Peace Prize Process). यह पुरस्कार अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के अनुसार 1901 से दिया जा रहा है। प्रक्रिया (Nobel Peace Prize Eligibility) और मानदंड इस प्रकार हैं :
पात्रता (Who Can Be Nominated For Nobel Prize)
- कौन नामांकित कर सकता है?: नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकन केवल विशिष्ट लोग और संस्थाएँ कर सकते हैं, जैसे:
- राष्ट्रीय संसदों और सरकारों के सदस्य।
- अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख, जैसे संयुक्त राष्ट्र।
- विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर, विशेष रूप से इतिहास, सामाजिक विज्ञान, कानून, या दर्शनशास्त्र में।
- पूर्व नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और नोबेल समिति के सदस्य (Nobel Nomination Eligibility).
- कौन नामांकित हो सकता है?: कोई भी व्यक्ति, समूह, या संगठन जो शांति के लिए काम करता हो, जैसे राजनेता, कार्यकर्ता, संगठन (उदाहरण: संयुक्त राष्ट्र, रेड क्रॉस), या सामाजिक आंदोलन (Eligible Nominees Nobel).
- 2025 का उदाहरण: पाकिस्तान सरकार ने ट्रंप को भारत-पाकिस्तान तनाव में कथित मध्यस्थता के लिए नामांकित किया, जो उनकी पात्रता के अंतर्गत आता है (Pakistan Trump Nomination).
नामांकन प्रक्रिया (Nobel Nomination Process)
- नामांकन: हर साल 1 फरवरी तक नामांकन जमा किए जाते हैं। 2025 के लिए नामांकन पहले ही बंद हो चुके हैं, लेकिन ट्रंप का नाम 2026 के लिए प्रस्तावित है (Nobel Nomination Deadline).
- चयन: नोबेल समिति (5 सदस्यों की नॉर्वेजियन कमेटी) नामांकनों की जाँच करती है। वे विशेषज्ञों, सलाहकारों, और स्वतंत्र स्रोतों से जानकारी लेते हैं (Nobel Committee Selection).
- मानदंड: पुरस्कार उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने:
- शस्त्र नियंत्रण और निरस्त्रीकरण में योगदान दिया हो।
- शांति वार्ता या मध्यस्थता की हो।
- लोकतंत्र, मानवाधिकार, या सामाजिक कल्याण को बढ़ावा दिया हो (Nobel Peace Prize Criteria).
- घोषणा: विजेता की घोषणा हर साल अक्टूबर में होती है, और पुरस्कार समारोह 10 दिसंबर को ओस्लो में होता है (Nobel Award Ceremony).
चुनाव की चुनौतियाँ (Nobel Selection Challenges)
- नोबेल समिति को सैकड़ों नामांकन मिलते हैं (2024 में 318 नामांकन थे), जिससे चयन कठिन होता है (Nobel Nomination Volume).
- पुरस्कार विवादास्पद हो सकता है, जैसे 2009 में बराक ओबामा को उनके कार्यकाल की शुरुआत में मिला पुरस्कार, जिसे कई लोग समय से पहले का मानते हैं (Obama Nobel Controversy).
- ट्रंप के मामले में, भारत ने उनकी मध्यस्थता की भूमिका से इनकार किया है, जो उनके नामांकन की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है (India Denies Trump Role).
- भारत का खंडन: भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिश्रा ने कहा कि मई 2025 में भारत-पाकिस्तान संघर्षविराम दोनों देशों की सेनाओं के बीच बातचीत से हुआ, न कि अमेरिकी मध्यस्थता से (India-Pakistan Ceasefire).
- विवादास्पद छवि: ट्रंप की नीतियाँ, जैसे गाजा में इजरायल को समर्थन, कुछ नोबेल समिति सदस्यों के लिए शांति पुरस्कार के मानदंडों के विपरीत हो सकती हैं (Trump Gaza Policy).
- राजनीतिक ध्रुवीकरण: ट्रंप का दावा कि नोबेल समिति “लिबरल्स” को प्राथमिकता देती है, समिति की निष्पक्षता पर सवाल उठाता है, जो उनके चयन को प्रभावित कर सकता है (Nobel Committee Bias).