पाकिस्तान में अल्पसंख्यक शिया मुसलमान अब पाकिस्तान छोड़ भारत में बसने की जिद कर रहे हैं. उनका कहना है कि पाकिस्तान में सुन्नी कट्टरपंथी और आतंकी संगठन उनपर जुल्म कर रहे हैं।
पाकिस्तान में शियाओं पर संकट: पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान में बवाल मचा हुआ है. यहां रहने वाले अल्पसंख्यक शिया मुस्लिम सड़कों पर उतर आए हैं और भारत जानें की जिद कर रहे हैं. शिया समुदाय के लोगों का कहना है कि यहां कट्टरपंथी सुन्नी संगठनों और आतंकी संगठनों सहित पाकिस्तानी सेना उनका दमन कर रही है और इसी के विरोध में उन्हें विद्रोह करना पड़ रहा है. ऐसा पहली बार हुआ है जब शिया मुस्लिम पाकिस्तानी फ़ौज के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत कर पाए हैं.
शिया मुस्लिम भारत से 90 किमी दूर स्कर्दू में शिया समुदाय के लोग भारत की ओर जाने वाले करगिल हाइवे को खोलने की मांग पर अड़ गए हैं। उनका कहना है कि वे अब पाकिस्तानी फौज की हुकूमत वाले गिलगित-बाल्टिस्तान में नहीं रहना चाहते हैं, वे भारत जाना चाहते हैं।
पाक सरकार क्या कर रही?
अल्पसंख्यकों की बगावत देखने के बाद पाकिस्तानी सेना और अस्थाई सरकार की नीव हिल गई है. पाकिस्तानी फ़ौज ने उन्हें कंट्रोल करने के लिए 20 हजार अतिरिक्त सैनिकों को तैनात किया है. आर्मी चीफ आसिम मुनीर ने इस्लामाबाद से 4 मुस्लिम उलेमाओं को गिलगित-बाल्टिस्तान भेजा है। अतिरिक्त बटालियन भी जब बगावत दबाने में विफल रही तो मुनीर को यह कदम उठाना पड़ा। स्कर्दू के एक शिया का कहना है कि बहुत देर हो गई, हम पीछे हटने वाले नहीं हैं।
पाकिस्तान में शिया बगावत क्यों कर रहे
शिया समुदाय के लोग सड़कों में उतर कर ‘ ये जो दहशतगर्दी हैं, उसके पीछे ‘वर्दी’ है’ जैसे नारे लगा रहे हैं. उनका कहना है कि पाक सेना आजादी के बाद से ही यहाँ से शियाओं को भगाने में लगी है. सेना ने हमारे इलाके में जानबूझकर सुन्नियों को बसाया। कभी यह इलाका शिया बहुल था जो आज अल्पसंख्यक हो गए हैं.
दरअसल इस सारे फसाद का कारण शिया धर्मगुरु आगा बाकिर अल हुसैनी की गिरफ़्तारी है. जिन्होंने एक कुछ ऐसे कमेंट किए जिससे वहां की हुकुमत नाराज हो गई। धर्मगुरु को गिरफ्तार कर लिया। अल हुसैनी ने स्कर्दू इलाके में हुई उलेमाओं की बैठक पर सवाल खड़े कर दिए थे। इसमें उन्होंने ईशनिंदा पर कानूनों को और कड़ा बनाने की मांग की थी। शियाओं का मनना है कि कि ईशनिंदा के कानून कड़े बनाकर उनके समुदाय को टारगेट किया जाएगा। जनरल जिया उल हक से लेकर पाकिस्तान की सत्ता में बैठे हर एक नेता ने इस इलाके की डेमोग्राफी बदलने की कोशिश की है।