Who is Sidhi Lok Sabha candidates Rajesh Mishra: भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र अपने कैंडिडेट्स की पहली लिस्ट जारी कर दी है. इस लिस्ट में विंध्य की चारों सीटों के उम्मीदवारों के नामों का एलान कर दिया गया है. इन 4 सीटों के प्रत्याशियों में से सिर्फ एक ही नया चेहरा है, बाकी तीन को पार्टी ने फिर से मौका दिया है. जिस सीट में पार्टी ने न्यू फेस पर भरोसा जताया है वो है सीधी, यहां से डॉ राजेश मिश्रा (Rajesh Mishra) को चुनावी मैदान में उतारा गया है. जबकि रीवा से जनार्दन मिश्रा (Janardan Mishra) को तीसरी बार, सतना से गणेश सिंह को पांचवी बार और शहडोल से हिमाद्रि सिंह (Himadri Singh) को दूसरी बार टिकट दिया गया है. डॉ. राजेश मिश्रा राजनीति में कई वर्षों से सक्रिय हैं. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में सीधी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ना चाह रहे थे. इसके लिए उन्होंने मजबूत दावेदारी पेश की थी, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था, जिससे उन्होंने अपने पदीय दायित्व, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य से त्यागपत्र भी दिया था और नाराजगी भी जाहिर की थी. हालांकि, संयोग ऐसा बना कि अब लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें अपना उम्मीदवार बना दिया है. पार्टी के इस फैसले से वह काफी खुश नजर आ रहे हैं. उनका कहना है कि परिवार में कभी-कभी अनबन हो जाती है, लेकिन मेरा जीवन भाजपा के लिए समर्पित है.
डॉ राजेश मिश्रा इसलिए बनाए गए प्रत्याशी
Sidhi Lok Sabha candidates Rajesh Mishra: राजेश मिश्रा संघ के सक्रीय सदस्यों में से एक हैं और उन्होंने संघ की प्रथम और द्वितीय वर्ष का प्रशिक्षण भी लिया है। वो प्रदेश कार्य समिति के सदस्य रहे हैं. उनकी संगठन में अच्छी पकड़ भी रही है. साथ ही उप मुख्यमंत्री और विंध्य से भारतीय जनता पार्टी के सबसे बड़े नेता राजेंद्र शुक्ल के बेहद करीबी माने जाते हैं. राजेश मिश्रा को टिकट मिलने की एक और वजह ये रही की गोविन्द मिश्रा के हासिए में चले जानें, केदरनाथ शुक्ल के डिफॉलटर होने और रीति पाठक के विधानसभा जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी को किसी ऐसे नए चेहरे की तलाश थी, जो पार्टी का वफादार रहा हो. ऐसे में पार्टी की रणनीति में राजेश मिश्रा बिल्कुल सटीक बैठे।
वहीं डॉ राजेश मिश्रा के राजनितिक सफर की शुरुआत इंदौर चिकित्सा महाविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष पद से हुई. डॉ. मिश्रा पेशे से शासकीय डॉक्टर रहे हैं, बाद में राजनीति में शामिल हुए. जन सेवा का बीड़ा उठाकर सबसे पहले बसपा ज्वाइन की, बसपा के टिकट पर सीधी विधानसभा से चुनाव भी लड़े लेकिन, जीत हासिल नहीं कर सके. इसके बाद उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर ली. भाजपा ज्वाइन करने के बाद लगातार सक्रिय राजनीति में रहे. संगठन के विभिन्न पदों पर रहते हुए लगातार कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन करते रहे . अब पार्टी ने पहली बार उन्हें सीधी लोक सभा सीट से टिकट दिया है.
सीधी लोकसभा क्षेत्र का इतिहास
ये वही सीधी लोकसभा सीट है जो शुरुआती दौर में सोशलिस्टों के कब्जे में थी. इसके बाद कांग्रेस ने यहां अपनी पैठ जमाई, वर्ष 1962 से 1996 तक कांग्रेस यहां मजबूत स्थिति में रही . इसके बाद भाजपा ने इस सीट पर अपना कब्जा जमाया. 1998 के बाद कांग्रेस के हाथ से जब ये सीट फिसली तो अब तक भाजपा के पाले में बनी हुई है. इस संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के कई दिग्गजों ने किस्मत आजमाई , लेकिन उन्हें करारी शिकस्त ही मिली. पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अर्जुन सिंह के पुत्र अजय सिंह राहुल और भाई रावरण बहादुर सिंह भी यहां से चुनाव लड़ चुके हैं. इस संसदीय सीट पर भाजपा का भगवा रंग ऐसा चढ़ चुका है, जिसे देखकर कांग्रेस की चिंता बढ़ी हुई है. 2007 के उपचुनाव को छोड़कर 1998 से 2004 तक भाजपा का कब्जा रहा. 2009 से लेकर 2019 तक लगातार तीन चुनाव जीतकर भाजपा हैट्रिक लगा चुकी है. खास बात तो यह है कि भाजपा का वोट प्रतिशत भी लगातार बढ़ा है. भाजपा का गढ़ बन चुकी सीधी लोकसभा सीट में आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव में कमजोर हाथ वाली कांग्रेस अब क्या रणनीति बनाती है. यह तो आगे आने वाला समय ही बताएगा. फ़िलहाल के लिए