Who Is Manoj Jarange Patil: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण (Maratha Arakshan) को लेकर मचा बवाल खत्म हो गया है. मराठा आरक्षण की लड़ाई लड़ रहे मनोज जारांगे पाटिल ने अनशन तोड़ दिया है, उन्हें मुख्य मंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने जूस पिलाकर अनशन से उठाया।
महाराष्ट्र सरकार ने मराठा आरक्षण को लेकर आंदोलनकारियों की सभी मांगों और शर्तों को मान लिया है. मराठा आरक्षण की मांग को लेकर 400 किलोमीटर की पद यात्रा और अनशन करने वाले मनोज जारांगे पाटिल महाराष्ट्र के नए हीरो के रूप में उभर कर सामने आए हैं. जारांगे और उनके आंदोलनकारियों का विरोध प्रदर्शन इस कदर बढ़ गया था कि खुद सीएम एकनाथ शिंदे को उनतक पहुंचना पड़ा और मराठा आरक्षण की मांग को बिना किसी शर्त के साथ स्वीकार करना पड़ा. एक नाथ शिंदे ने जारांगे को जूस पिलाकर उनका अनशन खत्म करवाया और मौके पर ही अध्यादेश की कॉपी सौंप दी. इस दौरान सड़कों पर खड़े हजारों आंदोलनकारी जश्न मनाते दिखे।
मराठा आरक्षण क्या है?
What Is Maratha Arakshan: महाराष्ट्र में मराठा आबादी 33% फीसदी है यानी करीब 4 करोड़। इनमे से 90 से 95 फीसदी लोग भूमिहीन किसान हैं. महाराष्ट्र में ख़ुदकुशी करने वाले 90% किसान मराठा समुदाय से ताल्लुख रखते हैं. मराठा आरक्षण के लिए पहला आंदोलन 1997 से शुरू हुआ था इसमें मराठा संघ ने सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों के लिए पहला आंदोलन किया था. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि मराठा कोई उच्च जाति नहीं बल्कि मूल रूप से कुनबी यानी कृषि समुदाय के हैं. महाराष्ट्र में कुनबी समुदाय को OBC का दर्जा मिला है इसी लिए मराठा समुदाय भी खुद को OBC में जोड़ने की मांग उठा रहा था.
2014 में पृथिवीराज चव्हाण की सरकार ने मराठा महासंघ और मराठा सेवासंघ के एक प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और मराठाओं को नौकरी और शिक्षा में 16% आरक्षण दे दिया लेकिन नवंबर 2014 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने मराठाओं को आरक्षण देने के फैसले पर रोक लगा दी.
2018 में स्टेट बैकवर्ड क्लास कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर महाराष्ट्र विधानसभा में मराठाओं को 16% का आरक्षण पारित हो गया. लेकिन दिसंबर 2018 में ही बॉम्बे हाईकोर्ट ने इसे सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उन्लंघन बताया जिसके मुताबिक राज्य में 50% से ज्यादा रिजर्वेशन नहीं दिया जा सकता।
2019 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरक्षण को 16% से 12 करने का सुझाव दिया लेकिन 2021 में सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की बेंच ने मराठा रिजर्वेशन को असंवैधानिक करार दे दिया।
इसके बाद भी मनोज जारांगे ने लड़ाई जारी रखी, मराठाओं को रिजर्वेशन दिलाने के लिए उन्होंने लाखों आंदोलनकारियों को जुटाया। 25 अक्टूबर 2023 से मनोज जारांगे ने भूख हड़ताल शुरू की, इस भूख हड़ताल के शुरू होने के 9 दिन बाद तक आंदोलन से जुड़े 29 लोगों ने आत्महत्या कर ली. शिंदे सरकार के मंत्रियों ने 2 नवंबर को आरक्षण देने का आश्वाशन देकर आंदोलन खत्म करवा दिया और 2 जनवरी 2024 तक का समय मांगा। 2 जनवरी बीत गई और शिंदे सरकार सिर्फ विचार ही करती रह गई जिसके बाद मनोज जारांगे ने 20 जनवरी को जलाना से अपनी यात्रा शुरू की, और 400 किलोमीटर दूर चलते हुए 26 को नवी मुंबई पहुंचे और अनशन पर बैठ गए. इससे पहले विरोध बढ़ता शिंदे सरकार ने मराठाओं की मांग मान ली और सीएम शिंदे ने मनोज जारांगे को जूस पिलाकर उनका अनशन खत्म कर दिया।
कौन हैं मनोज जारांगे
Biography Of Manoj Jarange: महाराष्ट्र में 4 करोड़ लोगों के लिए लड़ाई लड़ रहे 40 साल के मनोज जारांगे मराठाओं के नए हीरो बन गए हैं. बीड गाँव में जन्मे मनोज पहले एक मामूली से होटल में वेटर का काम करते थे. बाद में वो मराठा दलों से जुड़ गए और 2014 से मराठा रिजर्वेशन के लिए लड़ाई लड़ने लगे. बाद में अपने समुदाय के सशक्तिकरण के लिए उन्होंने शिवबा संगठन का गठन किया। मनोज का कहना है कि वो मराठा आरक्षण के लिए अपनी जान देने को भी तैयार हैं. हालांकि अब किसी को जान देने की जरूरत नहीं है क्योंकि शिंदे सरकार मराठाओं के विरोध प्रदर्शन के आगे बैकफुट में आ गई है.
मराठा आरक्षण की ये मांग पूरी
- मराठा आंदोलन के दौरान जिन प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मुकदमे हुए वो वापस होंगे
- मराठा छात्राओं को पोस्ट ग्रेजुएट होने तक मुफ्त शिक्षा दी जाएगी
- आरक्षण मिलने तक सरकारी भर्तियां रोक दी जाएंगी
- जिन्हे सरकार ने OBC प्रमाणपत्र दिए हैं उनकी जानकारी दी जाएगी
- जिन लोगों का रजिस्ट्रेशन हुआ है उनके रिश्तेदारों को भी कुनबी सर्टिफिकेट मिलेगा