मैहर। एमपी के मैहर जिले में स्थित ओपन टाइगर सफारी में एक और सफेद बाघ की मौत हो गई हैं। वन विभाग के अधिकारियों ने सफेद बाघ टीपू के मौत की पुष्टि किए है। बताया जा रहा सफेद बाघ टीपू पिछले तीन महीने से बीमार चल रहा था और डॉक्टरों की टीम उसकी बराबर निगरानी कर रही थी, लेकिन वह स्वस्थ नही हो पाया और आखिर कार उसने दम तोड़ दिया। एक्सपर्ट टीम ने बाघ का पीएम किया है। बताया जा रहा है कि किडनी फेल हो जाने के कारण टीपू ने अंतिम सांस ले लिया। अब मुकुंदपुर टाइगर सफारी प्रबंधन ने व्हाइट टाइगर टीपू का प्रोटोकाल के तहत अंतिम संस्कार किए है।

सफारी में अब तक 3 बाघो की मौत
ज्ञात हो कि मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी साल 2016 में चालू की गई थी। जहा सबसे पहले मादा बाघिन विंध्या को लाया गया था। जिसके बाद राधा, रघु, सोनम और मोहन आए। 2023 में दिल्ली से टीपू को लाया गया था। विंध्या और राधा की पहले ही मौत हो चुकी है। अब टीपू की मौत के बाद सफारी में केवल रघु, सोनम और मोहन नाम के टाइगर रह रहे हैं।
मुकुंदपुर में दुनिया की पहली ओपन सफारी
मुकुंदपुर में दुनिया की पहली ओपन व्हाइट टाइगर सफारी है, इसका नाम महाराजा मार्तंड सिंह के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने 1951 में पहली बार सफेद बाघ को पकड़ा था. यह पहली ऐसी सफारी है जिसमें बाघ खुले में घूमते है। इस सफारी में सफेद बाघ, बंगाल टाइगर, भालू एवं अन्य वान्य प्राणी जो खुले बाड़ों में रहते हैं। महाराजा मार्तण्ड सिंह जूदेव व्हाइट टाइगर सफारी एवं चिड़ियाघर, रीवा संभागीय मुख्यालय से 15 किमी और मैहर से 64 किमी दूरी पर है।