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Waqf Amendment Bill : नए वक्फ कानूनों पर Supreme court के अंतरिम आदेश के क्या हैं मायने? जानें सरकार के लिए हैं ये पाबंदियां

Waqf Amendment Bill : सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 (Waqf Amendment Bill) के कुछ प्रावधानों पर अंतरिम आदेश जारी करते हुए केंद्र सरकार के कार्यों पर कुछ बेहद अहम प्रतिबंध लगा दिए हैं। इस आदेश के तहत अब सरकार नए कानून के कुछ हिस्सों को लागू नहीं कर पाएगी। कोर्ट ने सरकार को 7 दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है और अगली सुनवाई 5 मई 2025 तय की है। आपको बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से Tushar Mehta ने Supreme Court से अनुरोध किया था कि उन्हें कुछ दस्तावेजों के साथ प्रारंभिक जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय दिया जाए, जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें समय दे दिया।

सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के मुख्य बिंदु। Waqf Amendment Bill

कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि वक्फ संशोधन अधिनियम के तहत निम्नलिखित कार्यों पर अगली सुनवाई तक रोक रहेगी:

1: वक्फ बोर्ड और सेंट्रल वक्फ काउंसिल में नई नियुक्तियां: नए कानून के प्रावधानों के तहत वक्फ बोर्ड और सेंट्रल वक्फ काउंसिल में किसी भी तरह की कोई नई नियुक्ति नहीं की जा सकेगी।

2: वक्फ संपत्तियों की स्थिति में बदलाव पर रोक: कोर्ट ने आदेश दिया है कि ‘वक्फ-बाय-यूजर’ या ‘वक्फ-बाय-डीड’ के तहत घोषित किसी भी संपत्ति की वक्फ स्थिति को खत्म नहीं किया जा सकता। इसका मतलब यह है कि ऐसी संपत्तियों को सरकारी जमीन घोषित करने या उनके स्वामित्व में कोई बदलाव करने की प्रक्रिया पूरी तरह से बंद हो जाएगी।

3: जिला मजिस्ट्रेट की जांच पर अस्थायी रोक: नए कानून में प्रावधान है कि वक्फ संपत्ति पर विवाद की स्थिति में जिला मजिस्ट्रेट जांच पूरी होने तक उसे वक्फ संपत्ति के रूप में मान्यता नहीं देंगे। कोर्ट ने इस प्रावधान के क्रियान्वयन पर अंतरिम रोक लगा दी है, जिससे ऐसी संपत्तियों की स्थिति जस की तस बनी रहेगी।

4: यथास्थिति बनाए रखने का आदेश: कोर्ट ने वक्फ बोर्ड और सेंट्रल वक्फ काउंसिल के मौजूदा ढांचे और वक्फ संपत्तियों की स्थिति में किसी भी तरह के बदलाव पर रोक लगाते हुए यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है।

याचिकाकर्ताओं की मांग और विपक्ष का रुख।

इस कानून की वैधता को चुनौती देने के लिए एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलमा-ए-हिंद, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम, कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी और मोहम्मद जावेद समेत 72 याचिकाएं दाखिल की गई हैं। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 25, 26 और 300-ए का उल्लंघन करता है। विपक्ष ने इसे असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण करार देते हुए तत्काल रोक लगाने की मांग की थी।

हाल ही में नए कानून को अधिसूचित किया गया। Waqf Amendment Bill

बता दें कि केंद्र ने हाल ही में वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को अधिसूचित किया था। दोनों सदनों में तीखी बहस के बाद संसद से पारित होने के बाद 5 अप्रैल को इस अधिनियम को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई थी। राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक के पक्ष में 128 और विरोध में 95 सदस्यों ने मतदान किया। लोकसभा में इसके पक्ष में 288 और विपक्ष में 232 वोट पड़े। इस तरह यह विधेयक दोनों सदनों से पारित हो गया।

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