What is Repo Rate? रेपो रेट क्या है इसके घटने बढ़ने से क्या होता है! जानिए डिटेल

What is Repo Rate RBI Meaning Impact on Loan EMI Hindi

Repo Rate Cut Impact: शुरुआत इसी से करते हैं कि, भारतीय रिज़र्व बैंक यानी RBI ने आज अपनी मौद्रिक नीति में बड़ा कदम उठाते हुए रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट यानी 0.25% की कटौती की है. इसके बाद रेपो रेट 5.25% हो गई है. ये खबर के रूप में आप लोगों ने पढ़ सुन और देख लिया होगा लेकिन क्या कभी सोचा है कि, रेपो रेट है क्या और इसके घटने बढ़ने से क्या फर्क पड़ता है. अगर नहीं तो आज आपके सारे के सारे कंफ्यूजन दूर हो जायेंगे.

What is Repo Rate and How it Works! (रेपो रेट क्या है)

रेपो रेट, वह ब्याज दर है जिस पर RBI बैंकों को शॉर्ट-टर्म लोन देता है. साधारण भाषा में बताएं तो जब किसी बैंक के पास नकदी कम होती है या तुरंत फंड की आवश्यकता होती है, तो वह सरकारी सिक्योरिटीज़ को गिरवी रखकर RBI से पैसा उधार ले सकता है. इस प्रोसेस को री-पर्चेज़ एग्रीमेंट या रेपो कहते हैं. रेपो रेट केवल बैंकों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है. इसे बदलकर RBI पैसे की आपूर्ति, लिक्विडिटी और महंगाई को नियंत्रित करता है.

रेपो रेट में बदलाव का असर

रेपो रेट में बदलाव का असर सीधे तौर पर आम जनता और व्यवसायों पर पड़ता है. जब RBI रेपो रेट बढ़ाता है, तो बैंक महंगे लोन देते हैं, जिससे लोग और कंपनियां कम उधार लेते हैं और खर्च घटता है. इससे महंगाई पर नियंत्रण रखने में मदद मिलती है. वहीं, जब रेपो रेट घटती है, तो बैंक सस्ते लोन देते हैं, जिससे उधार लेना आसान हो जाता है, खपत बढ़ती है और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है. इसके साथ ही फिक्स्ड डिपॉजिट, होम लोन, पर्सनल लोन और व्यवसायिक लोन की लागत तथा निवेश योजनाओं के रिटर्न पर भी इसका असर पड़ता है.

रेपो रेट में कमी क्या दर्शाता है?

यह फैसला ऐसे समय में आया है जब RBI ने लगातार दो बार रेपो रेट को स्थिर रखा था. इस बदलाव का असर सिर्फ बैंकों तक सीमित नहीं है, बल्कि आम जनता, व्यवसाय और निवेशकों तक महसूस किया जाएगा. चलिए इस खबर में जानते हैं कि क्या है रेपो रेट और इस बदलाव से क्या होगा असर.

महंगाई और आर्थिक ग्रोथ पर प्रभाव

आपको बता दें कि रेपो रेट को आर्थिक ब्रेक और एक्सेलरेटर की तरह देखा जा सकता है. अगर महंगाई बढ़ रही है तो RBI रेपो रेट बढ़ाकर खर्च को नियंत्रित करता है. जबकि अगर आर्थिक ग्रोथ धीमी हो रही है, तो RBI रेपो रेट घटाकर उधार को प्रोत्साहित करता है और निवेश तथा खपत को बढ़ावा देता है. इस तरह RBI अर्थव्यवस्था में संतुलन बनाए रखने की कोशिश करता है.

आम जनता और व्यवसाय के लिए मतलब

इस बदलाव का असर सीधे आम लोगों और व्यवसायों पर पड़ता है. होम लोन और पर्सनल लोन की EMI बदल सकती है. कंपनियों के लिए लोन लेना थोड़ा सस्ता या महंगा हो सकता है, जिससे उनके कामकाज और विस्तार की योजना प्रभावित हो सकती है. निवेशक भी अपने फिक्स्ड डिपॉजिट, म्यूचुअल फंड या शेयर बाजार में निवेश के फैसले इसी बदलाव के हिसाब से बदल सकते हैं. यानी, रेपो रेट में थोड़ी सी कटौती या बढ़ोतरी भी हमारी रोजमर्रा की फाइनेंसियल योजना को प्रभावित कर सकती है.

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