Navarn Mantra in Hindi: चैत्रशुक्ल प्रतिपदा से नवरात्रि प्रारंभ होती है, इसके साथ ही हिंदू नववर्ष भी प्रारंभ होता है। नवरात्रि शक्ति उपासना का पर्व होता है, इस दौरान आदिशक्ति माँ दुर्गा और उनके 9 रूपों की विशेष आराधना होती है, नवदुर्गा की स्तुति एक मंत्र से होती है, जिसे नवार्ण मंत्र कहा जाता है, यह मंत्र नवदुर्गा को समर्पित होता है, इसके साथ ही इस मंत्र का संबंध 9 ग्रहों से भी है, क्या है यह मंत्र और क्या है इसकी महत्ता आइए जानते हैं।
क्या है नवार्ण मंत्र
नवार्ण शब्द दो अक्षरों मेल से बना है, नव अर्थात नौ और अर्ण अर्थात अक्षर। अर्थात यह नौ अक्षरों वाला एक मंत्र होता है, जिसके एक-एक अक्षर नव दुर्गाओं को समर्पित रहता है, यह नवार्ण मंत्र है- “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे“, इस मंत्र का संबंध माँ दुर्गा के एक-एक शक्ति से रहता है, और हर एक शक्ति का संबंध एक ग्रह से। इस नवार्ण मंत्र के तीन देवता ब्रम्हा, विष्णु और महेश होते हैं तथा तीन देवियाँ महासरास्वति, महालक्ष्मी और महाकाली होती हैं।
कौन सा अक्षर कौन सी देवी को समर्पित रहता है
नवार्ण मंत्र का पहला अक्षर होता है ऐं जो माँ दुर्गा की पहली शक्ति शैलपुत्री को समर्पित रहता है, इस मंत्र का दूसरा अक्षर ह्रीं है जो दूसरी दुर्गा माँ ब्रम्हचारिणी को समर्पित है, तीसरा अक्षर क्लीं है जो तीसरी दुर्गा शक्ति चंद्रघंटा को समर्पित है, इस मंत्र का चौथा अक्षर चा है, पाँचवाँ अक्षर मुं है, छठवाँ अक्षर डा होता है, सातवाँ अक्षर यै, आठवाँ अक्षर वि और नौवां अक्षर चै होता है, जो क्रमशः कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री को समर्पित होते हैं।
नवग्रह से क्या है संबंध
नवार्ण मंत्र का जो पहला अक्षर होता है ऐं वह सूर्यग्रह को नियंत्रित करता है, चूंकि इस अक्षर की शक्ति शैलपुत्री कही गईं हैं, इसीलिए सूर्य ग्रह की शांति के लिए देवी शैलपुत्री की आराधना विशेष फलदायी मानी जाती है। इसी तरह दूसरा अक्षर ह्रीं चंद्र ग्रह को नियंत्रित करता है, और यह अक्षर देवी ब्रम्हचारिणी को समर्पित है, इसीलिए चंद्रग्रह की शांति के लिए देवी की आराधना विशेष फलदायी बताई गई है। इसी प्रकार तीसरा अक्षर क्लीं, चौथा अक्षर चा है, पाँचवाँ अक्षर मुं है, छठवाँ अक्षर डा होता है, सातवाँ अक्षर यै, आठवाँ अक्षर वि और नौवां अक्षर चै होता है, जो क्रमशः मंगल, बुध, वृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु ग्रह को नियंत्रित करते हैं, इसीलिए इनकी शांति के लिए इनकी शक्तिओं चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की आराधना विशेष फलदायी होती है।
नवार्ण मंत्र की महत्ता
चूंकि यह एक ही नवार्ण मंत्र नवग्रहों को नियंत्रित करता है, इस मंत्र को बड़ा चमत्कारी मंत्र माना गया है, इसीलिए नवरात्रों में इसकी आराधना विशेष फलदायी मानी गई है। माना जाता है अगर कोई व्यक्ति नवरात्रों में दुर्गासप्तशती का पाठ नहीं कर पर रहा है, तो वह केवल इस मंत्र का ही जप करे, यह उतना ही फलदायी होता है। यह मंत्र नवग्रहों को के नकारात्मक प्रभाव को कम करता है और शांति प्रदान करता है, माना जाता है इस मंत्र का जप करने वाले साधक की प्रत्येक मनोकामनाएँ पूर्ण होती है, और उन्हें किसी का भी भय नहीं होता है, यह मंत्र जीवन में सुख और समृद्धि लाता है।