अखंड भारत क्या है:  कभी ईरान से मलेशिया तक फैला अखंड भारत कैसे टूट गया?

Akhand bharat ka itihas

भारतीय आज भी अखंड भारत को याद करके अपने महान इतिहास पर गर्व करते हैं

What Is Akhand Bharat Explained: भारत में रहने वाले राष्ट्रभक्त हमेशा अपने महान इतिहास को याद करते हुए अखंड भारत की परिकल्पना करते हैं। वही अखंड भारत जो ईरान से मलेशिया तक फैला हुआ था वही अखंड भारत जो अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया जसै देशों से ज्यादा विशाल और समृद्ध हुआ करता था। आज हम उसी अखंड भारत की चर्चा करने वाले हैं।

अखंड भारत का इतिहास 

History Of Akhand Bharat: अखंड भारत को भारतवर्ष कहा जाता है, आर्यवर्त और जम्बूद्वीप भी कहा जाता है। लेकिन वायुपुराण के अनुसार ये तीनों भूभाग एक दूसरे के पर्यावाची नहीं बल्कि एक दूसरे के अंदर ही समाहित हैं. वायुपुराण में अखंड भारत को लेकर एक श्लोक लिखा है।

”जम्बूद्वीपे भरतखण्डे आर्याव्रत देशांतर्गते’

जैसे दुनिया में 7 महाद्वीपों के वर्तमान नाम एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, एंटार्कटिका और अफ्रीका है लेकिन इन महाद्वीपों को भारत के ऋषियों ने हजारों साल पहले ही नाम रख दिए थे, और अपने ज्ञान के बल पर इन महाद्वीपों का नक्शा तैयार कर दिया था। तब इन महाद्वीपों के नाम , जम्बू, प्लक्ष, शाल्मल, कुश, क्रौंच, शाक और पुष्कर थे।

भारतवर्ष क्या है

सनातनी वेदों में 7 महाद्वीपों का उल्लेख है, इसमें पृथ्वी के बीच में मौजूद जम्बूद्वीप का जिक्र है। जम्बूद्वीप के अंदर ही भारतवर्ष आता है जिसमे पारस (ईरान), अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, हिन्दुस्थान, नेपाल, तिब्बत, भूटान, म्यांमार, श्रीलंका, मालद्वीप, थाईलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया, कम्बोडिया, वियतनाम और लाओस जैसे देश थे। 

आर्यवर्त क्या है

जम्बूद्वीप के अंदर भारतवर्ष और भारतवर्ष के अंदर था हिन्दुस्थान जो हिमालय से लेकर दक्षिण सागर तक फैला है और इसी के उत्तरी भाग को आर्यवर्त कहते हैं. आर्यवर्त का विस्तार काबुल की कुम्भा नदी से लेकर गंगा नदी तक था। 

वायुपुराण 31-37 और 38वें अध्याय में इससे जुड़े श्लोक हैं

सप्तद्वीपपरिक्रान्तं जम्बूदीपं निबोधत। अग्नीध्रं ज्येष्ठदायादं कन्यापुत्रं महाबलम।। प्रियव्रतोअभ्यषिञ्चतं जम्बूद्वीपेश्वरं नृपम्।। तस्य पुत्रा बभूवुर्हि प्रजापतिसमौजस:। ज्येष्ठो नाभिरिति ख्यातस्तस्य किम्पुरूषोअनुज:।। नाभेर्हि सर्गं वक्ष्यामि हिमाह्व तन्निबोधत।

अर्थात:- राजा प्रियव्रत ने अपनी बेटी के 10 पुत्रों में से 7 को पूरी धरती के 7 महाद्वीपों का राजा बनाया, और अग्नीन्ध्र को जम्बूद्वीप का शासक बनाया, राजा भरत ने जो क्षेत्र अपने बेटे सुमित को दिया वही भारतवर्ष कहलाया।

1941 में भंडारकर रिसर्च इंस्टिट्यूट के पंडित पांडुरंग वामन ने अपनी किताब में लिखा है- ”भारतवर्ष के अंदर कई देश थे और भारतवर्ष जम्बूद्वीप में था”

इतिहासकार ‘दिनेशचंद्र सरकार’ ने अपनी किताब ‘Study In The Geography Of Ancient And Medieval India’ में लिखा है कि ‘भारतवर्ष की सबसे पुरानी सभ्यता की निशानी सिंधु घाटी सभ्यता है। इस पुस्तक में प्राचीन भारतवर्ष से जुड़े 8000 साल पुराने साक्ष्य बताए गए हैं जबकि वैदिककाल को 3500 वर्ष पुराना कहा जाता है. इस बात से कोई संदेह नहीं है कि भारतवर्ष की स्थापना वैदिककाल से भी हजारों वर्ष पहले हो गई थी।

समय के साथ भारतवर्ष बढ़ता रहा और टूटता भी रहा, कई बार यहां जन्मे महान सम्राटों ने इसे पुनः जोड़ने के प्रयास भी किए 

अखंड भारत क्या है

भारत देश कई बार विभाजित हुआ, प्रचीनकाल में सम्राटों के द्वारा तो आजादी के पहले अंग्रेजों ने और आजादी के बाद नाकारा सरकारों ने इसे खंड-खंड कर दिया। एक समय था जब अखंड भारत में अंतर्गत ‘ईरान, अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, तिब्बत, म्यांमार, बांग्लादेश, श्रीलंका, थाईलैंड, कम्बोडिया, मलेशिया, और इंडोनेशिया जैसे देश शामिल थे।गुप्तवंश बाद भारतवर्ष खंडों में बंटने लगा, ईरान, तिब्बत, थाईलैंड, कंबोडिया, मलेशिया और इंडोनेशिया अलग हो गए. भारत सिर्फ अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, म्यांमार तक सिमित रह गया। कुछ साम्राज्य अपने भोलोगिक दशा और भाषा के चलते अलग हो गए, फिर अंग्रेजों ने भारत से पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश अलग कर दिया, आजादी के बाद POK, अक्साई चीन जैसे हिस्से भारत से हथिया लिए गए। 

अखंड भारत का संस्थापक कौन था 
भारतवर्ष ही अखंड भारत था. जो समय के साथ अलग-अलग सम्राटों की राजधानियों में विभाजित होता गया. 321 BCE में बिखरे हुए गणराज्यों को संगठित करने का काम मौर्य साम्राज्य के सम्राट चन्द्रगुप्त ने चाणक्य के मार्गदर्शन में किया 

322BC में चन्द्रगुप्त मौर्य ने नंद साम्राज्य के राजा घनान्द को पराजित कर मौर्य साम्राज्य की स्थापना की थी. इसके बाद चन्द्रगुप्त ने सिकंदर (Alexander) के कब्जे वाले क्षेत्र को वापस हासिल करने के लिए कई युद्ध लड़े, 305 BC में सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस ने चन्द्रगुप्त के आगे दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए अपनी बेटी हेलन की शादी करा दी थी 

राजा कुमुद मुखर्जी की किताब ‘Chandragupta Maurya And His Time’ में लिखा है कि चन्द्रगुप्त के बाद उनके बेटे बिन्दुसार और पोते सम्राट अशोक ने पूर्वी तट पर कलिंग और दक्षिणी तट पर तमिल राज्य तक अपने साम्राज्य का विस्तार कर लिया था. तब मौर्य साम्राज्य पश्चिम में ईरान पूर्व में बंगाल, उत्तर में कश्मीर और दक्षिण में तमिलदेशम तक फ़ैल गया था. मौर्यकाल के वक़्त जो मौर्य साम्राज्य था उसे ही अखंड भारत कहा गया था 

अखंड भारत कैसे टूटा 

  • 185 BC तक मौर्य साम्राज्य का पतन हो गया, इसी के साथ अखंड भारत बिखरने लगा. इसके बाद शक, किन, शांक, सातवाहन, कुषाण, चोल, पंड्या, चेर जैसे अलग-अलग छोटे-बड़े साम्राज्य स्थापित हो गए।
  • अखंड भारत अलग-थलग रियासतों में बदल गया, ये राजा एक दूसरे से लड़ने लगे, इसी चक्कर में चोल और पंड्या के अधीन रहने वाला श्रीलंका 1310 में ब्रिटिशों के कब्जे में आ गया।
  • 870 ईस्वी में अफ़ग़ानिस्तान पर अरब सेनापति यकूब ऐलिस ने, फिर मुग़लों ने और उसके बाद अंग्रेजों ने कब्जा कर लिया. 26 मई 1826 को रूस और ब्रिटेन के बीच हुई ‘गंडमक संधी’ के बाद अफ़ग़ानिस्तान एक बफर स्टेट बन गया और अखंड भारत से एक और बड़ा भूभाग 18 अगस्त 1919 को अलग हो गया।
  • अफ़ग़ानिस्तान के अलग होने से पहले 1907 में ब्रिटेन ने भूटान को भारत से अलग कर दिया और यहां के राजा उग्येन वांगचुक की राजशाही खत्म कर दी।
  • 1937 में अंग्रेजों ने बर्मा को भारत से अलग कर दिया।
  • 1947 में पाकिस्तान और बांग्लादेश अलग हो गए, तब बांग्लादेश पूर्वी पाकिस्तान था जिसे भारत ने 1971 की जंग के बाद अलग देश बना दिया था।
  • RSS का अखंड भारत 

    राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी RSS भी अखंड भारत के संकल्प को लेकर काम करता है. 1924 में 11 साल तक कालापानी की सज़ा काटकर विनायक दामोदरदास सावरकर अंडमान निकोबार की जेल से छूटे तो उन्होंने एक किताब लिखी ‘My Transportation For Life’ इसी किताब में उन्होंने अखंड भारत का जिक्र किया था. वीर सावरकर की अखंड भारत की परिकल्पना को ही  RSS ने अपना अखंड भारत माना. RSS में अखंड भारत के विचारक वीर सावरकर माने जाते हैं। 

    1937 में हिन्दू महासभा की 19वीं वर्षगांठ में वीर सावरकर ने अपने उद्बोधन में कहा था – हिंदुस्तान को अखंड रहना चाहिए, इसमें कश्मीर से रामेश्वरम तक, सिंध से असम तक शामिल है।RSS के अखंड भारत के नक़्शे में पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफ़ग़ानिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका और तिब्बत शामिल हैं. RSS इसे ही संयुक्त राष्ट्र मनाता है।RSS के अखंड भारत के नक़्शे में अफ़ग़ानिस्तान का नाम ‘उपगणस्थान’, काबुल का नाम ‘कुभा नगर’, मुल्तान का नाम ‘मूलस्थान’ तिब्बत ‘त्रिविष्टं,’ श्रीलंका ‘सिंघलद्वीप’ म्यांमार का नाम ब्रह्मदेश और थाईलैंड का नाम ‘श्यामदेश’ है।

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