अरुणाचल मामले में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने क्या कहा?

rajnath singh

भारत ने इस महीने की शुरआत में चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में कुछ जगहों का नाम बदलने को मूर्खतापूर्ण बताते हुए सिरे से ख़ारिज कर दिया था और कहा था कि ऐसा करने से इस वास्तविकता में कोई बदलाव नहीं आएगा कि अरुणाचल हमेशा भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 9 अप्रैल को अरुणाचल प्रदेश में कई जगहों का नाम बदलने के लिए चीन की आलोचना की. उन्होंने कहा कि क्या इसी तरह भारत द्वारा नाम बदलने से पड़ोसी देश के क्षेत्र भारत का हिस्सा बन जाएंगे। अरुणाचल प्रदेश पूर्वी निर्वाचन क्षेत्र के नामसाई में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य में 30 स्थानों के नाम बदलने के चीन के कदम से जमीनी हकीकत नहीं बदलेगी।

उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है. मैं चीन से पूछना चाहता हूं कि अगर हम पड़ोसी देश के विभिन्न राज्यों के नाम बदल दें, तो क्या वे हमारे क्षेत्र के हिस्से होंगे? ऐसी गतिविधियों के कारण, भारत और चीन के बीच संबंध खराब हो जाएंगे। एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक रक्षामंत्री ने कहा ‘हम अपने पड़ोसी से अच्छे संबंध बनाए रखना चाहते हैं. लेकिन अगर कोई हमारे आत्म-सम्मान को नुकसान पहुंचाएगा तो भारत जवाब देने की क्षमता रखता है’.

भारत ने इसी महीने की शुरूआत में चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में कुछ जगहों का नाम बदलने को ‘मूर्खतापूर्ण’ बताते हुए सिरे से ख़ारिज कर दिया था और कहा था कि ऐसा करने से इस वास्तविकता में कोई बदलाव नहीं आएगा कि अरुणाचल हमेशा भारत का अभिन्न अंग है था और रहेगा। कुछ दिनों पहले चीनी नागरिक मामलों के मंत्रालय ने अरुणाचल प्रदेश में तथाकथित ‘मानवीकृत’ भौगोलिक नामों की एक सूची जारी की. चीन ने जिन 30 स्थानों का नाम बदला उनमें 12 पहाड़, 4 नदियां, एक झील, एक पहाड़ी दर्रा, 11 आवासीय क्षेत्र और जमीन का एक टुकड़ा शामिल है.

पहले भी ऐसी हरकतें कर चुका है चीन

इससे पहले 2017 में भी चीन अरुणाचल प्रदेश में छह स्थानों के लिए स्टैंडर्डाइज्ड नामों की प्रारंभिक सूची जारी की थी. इसके बाद 2021 में 15 स्थानों वाली दूसरी सूची जारी की गई, जिसमें 2023 में 11 अतिरिक्त स्थानों के नाम वाली एक और सूची जारी की गई. इस बीच भारत अरुणाचल प्रदेश में क्षेत्रों पर दावा करने के चीन के प्रयास को अस्वीकार करते हुए जोर देकर कहा था कि राज्य देश का अभिन्न अंग है और ‘आविष्कृत’ नाम निर्दिष्ट करने से इस वास्तविकता में कोई बदलाव नहीं आता है.

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