राहुल की न्याय यात्रा से जुड़ने की क्या शर्त रख दी अखिलेश यादव ने?

Rahul Gandhi Bharat Jodo Nyay Yatra in UP live

Bharat Jodo Nyay Yatra in UP live: लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है रोमांच वैसे -वैसे बढ़ता जा रहा है. उधर राहुल गांधी अपनी न्याय यात्रा को लेकर लगातार सुर्खियों में है। राहुल की न्याय यात्रा फिलहाल यूपी में हैं ऐसे में इन दिनों सूबे में दो अटकलें उड़ रही हैं. क्या कांग्रेस और सपा के गठजोड़ के रिश्ते पूरे हो गए? दूसरा, क्या कांग्रेस मायावती से गठजोड़ की बात कर रही है.

Rahul Gandhi Bharat Jodo Nyay Yatra in UP live: राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की भारत जोड़ो न्याय यात्रा (Bharat Jodo Nyay Yatra) उत्तर प्रदेश में हैं. कांग्रेस के ‘गढ़’ बताए जाने वाले अमेठी-रायबरेली से होकर (Nyay Yatra) गुजर रही है. मगर ‘INDIA’ गठबंधन के सहयोगी होने के बावजूद समाजवादी के प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) उनकी यात्रा में शामिल नहीं होंगे। अखिलेश ने साफ कर दिया है कि पहले सीट बटवारे की बात फाइनल करें फिर साथ चलेंगे।

मीडिया से चर्चा के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया

“बात चीत चल रही है. कई सूचियां उधर से आईं, कई इधर से गईं. जिस समय सीटों का बंटवारा हो जाएगा, समाजवादी पार्टी उनकी न्याय यात्रा में शामिल हो जाएगी.”

INDI गठबंधन का क्या होगा?

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए विपक्ष की कई पार्टियों ने एक गठबंधन किया था नाम दिया था INDI गठबंधन, मगर किस्सा कुर्सी का है कि मामला बैठ ही नहीं पा रहा है. टिकट बंटवारे को लेकर तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसे बड़े सहयोगी दलों ने अपना रास्ता अलग कर लिया। गठबंधन से अलग नहीं हुए, मगर चुनाव अकेले लड़ने का फैसला कर लिया है.

सत्ता के लिहाज से उत्तर प्रदेश सबसे जरुरी राज्य है. यहां लोकसभा की कुल 80 सीटें हैं. विपक्षी गठबंधन का नैया बिना उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय पार्टियों सहयोग से पार नहीं लग सकती। उत्तर प्रदेश की दो बड़ी पार्टियां हैं जो सूबे में अपनी सत्ता जमाने में कामयाब हो पाईं हैं. ये हैं बसपा पार्टी और समाजवादी पार्टी है। जब से ये गठबंधन बना है बसपा इसके लिए किसी भी प्रकार की कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। रही सपा की बात तो वह शुरू से ही बैठकों में शामिल होती रही, चुनावी रणनीति में भाग भी लेती रही।

राजनितिक पंडितों की माने तो कांग्रेस राज्य की 80 में से 20 सीटें मांग रही है. और जिन सीटों पर बात चल रही है. वो उससे संतुष्ट नहीं है. उन्हें जीतने वाली सीटें चाहिए। वहीं सपा कांग्रेस की गंभीरता पर सवाल उठा रही है. न्याय यात्रा शुरू होने से पहले ही सपा नेता कह रहे थे कि, सीट बटवारा पहले ही हो जाना चाहिए था. माने मामला अभी फसा हुआ है.

पेंच कहा फास रहा?

29 जनवरी को सपा अध्यक्ष ने उम्मीद जताई थी कि दोनों पक्ष जीत का समीकरण बनाने में कामयाब होंगे। तब सपा की तरफ से सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर पोस्ट किया की वो कांग्रेस के लिए 11 सीटें छोड़ रहे हैं. लेकिन फिर कांग्रेस ने प्रत्रिक्रिया दे दी कि, बातचीत अभी जारी है और 11 अंतिम संख्या नहीं है. दरअसल, जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोकदल और सपा का गठबंधन था. उन्होंने रालोद के लिए 7 लोकसभा की सीटें छोड़ी थी. अब जब जयंत सपा से गठबंधन छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए. तो कांग्रेस और सीटों पर नजर गड़ा रही है. जानकारी के अनुसार सपा 14 सीटें देने को तैयार है, लेकिन कांग्रेस से इस बात पर सहमति नहीं बन पा रही है. कांग्रेस कह रही है कि जो हमें सीटें दी जा रही हैं, वहां कांग्रेस मजबूत स्तिथि में नहीं है.

क्या इस बार कांग्रेस और मायावती का गठबंधन हो सकता है? 

सूबे में ख़बर उड़ रही है कि कांग्रेस के कुछ नेता बसपा नेतृत्व के साथ संपर्क में है. ये सवाल जब अखिलेश यादव से पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि किस दल की किससे बातचीत है, वो इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहते.

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