WBBL 2025 Jemimah Rodrigues Mental Health: भारतीय क्रिकेट महिला टीम की युवा स्टार जेमिमा रॉड्रिक्स ने हाल ही में वर्ल्ड कप में अपने शानदार प्रदर्शन से जीत हासिल की। उनकी बल्लेबाजी ने भारत की डूबती नैया को पार लगाने में मदद की। जेमिमा की बल्लेबाजी में आत्मविश्वास, तकनीक और जुनून का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। जेमिमा वर्ल्ड कप में शानदार जीत हासिल करने के बाद अब वूमेंस बिग बैश लीग के नए सीजन के लिए आस्ट्रेलिया रवाना हो चुकी है और वहां वे भारत का झंडा बुलंद करने को तैयार है। परंतु जेमिमा रोडरिक्स की असली जीत मैदान पर नहीं बल्कि उनकी मानसिक शक्ति में छपी है जिसके बारे में उन्होंने हाल ही में खुलकर बात की।

वर्ल्ड कप के दौरान मानसिक रूप से टूट चुकी थी जेमिमा
वर्ल्ड कप में जीत के बाद जेमिमा ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान मेंटल हेल्थ पर खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि क्रिकेट में ऊंचाइयों तक पहुंचाने की राह आसान नहीं रही। उन्होंने परफॉर्मेंस के दबाव, सोशल मीडिया की आलोचना और खुद से उम्मीद के बोझ के बारे में भी बताया। उन्होंने यह भी बताया की वे हर रोज रोती थी क्योंकि वह इतना प्रेशर झेल नहीं पा रही थी। परंतु फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मदद ली अपने विचार साझा किये, खुद को संभाला। वे लगातार एंजायटी से जूझ रही थी परंतु उन्होंने एंजायटी को खुद पर हावी नहीं होने दिया और आत्मविश्वास के साथ खेल खेल कर जीत हासिल की।
दीपिका पादुकोण और मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट्स ने जेमिमा की सराहना की
सामाजिक रूप से जेमिमा द्वारा छेड़ी गई इस पहल को खुद दीपिका पादुकोण ने भी सराहा क्योंकि दीपिका पादुकोण भी मानसिक अवसाद से लड़ चुकी है। दीपिका पादुकोण ने कहा कि जेमिमा जैसी युवा खिलाड़ी जब खुलकर बोलती हैं तो वह अनगिनत युवाओं के लिए प्रेरणा बनती है। जेमिमा की जीत और सच्चाई ने लाखों महिलाओं को आत्मविश्वास से भर दिया है साथ ही मेंटल हेल्थ पर बात करने की स्वतंत्रता भी दी है। क्योंकि अबसे पहले मानसिक स्वास्थ्य पर बात करना सबसे बड़ा टैबू माना जाता था परंतु अब यह शर्म की बात नहीं बल्कि एक हेल्थी लाइफस्टाइल का ही हिस्सा है।
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कई मानसिक स्वास्थ्य एक्सपर्ट्स ने भी कहा है की मानासिक स्वास्थ्य पर जागरूकता बेहद जरूरी है और यह भारत में काफी सीमित है। लेकिन जेमिमा जैसी युवाओं की ईमानदारी सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम अपने बच्चों, खिलाड़ियों और छात्रों को भावनात्मक समर्थन दे रहे हैं? क्या हम उनकी एंजायटी और उनके डिप्रेशन को समझ पा रहे हैं? क्या हम यह समझ रहे हैं कि उनकी सफलता के पीछे उन्होंने कितनी मानसिक लड़ाइयां लड़ी है? और उनकी एक नाकामयाबी या एक गलती पर हम किस तरह इल्जाम ना लगाते हुए उन्हें मोटिवेट करते हैं?
जेमिमा रॉड्रिक्स की कहानी सिर्फ एक खिलाड़ी की जीत नहीं बल्कि यह समाज की जागृति की कहानी है। जेमिमा ने अपने एंजायटी और डिप्रेशन पर काबू पाकर वर्ल्ड कप में जीत हासिल की और अब वे WBBL 2025 के मैदान में उतरेंगी।
