MP: प्रदेश में कुपोषण के खिलाफ जंग: 8-12 रुपये में बच्चों का पोषण, कितना प्रभावी

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MP Anganwadi Nutrition Scheme: कुपोषण से निपटने के लिए सरकार आंगनवाड़ी केंद्रों के जरिए 6 माह से 6 साल तक के बच्चों को पोषण आहार उपलब्ध करा रही है। इसके लिए सामान्य बच्चों पर प्रतिदिन 8 रुपये और गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों पर 12 रुपये प्रति बच्चा खर्च किए जा रहे हैं। कांग्रेस विधायक विक्रांत भूरिया ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि 8 से 12 रुपये प्रतिदिन की राशि बच्चों के पोषण के लिए बेहद अपर्याप्त है।

MP Anganwadi Nutrition Scheme: मध्य प्रदेश में कुपोषण से निपटने के लिए सरकार आंगनवाड़ी केंद्रों के जरिए 6 माह से 6 साल तक के बच्चों को पोषण आहार उपलब्ध करा रही है। इसके लिए सामान्य बच्चों पर प्रतिदिन 8 रुपये और गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों पर 12 रुपये प्रति बच्चा खर्च किए जा रहे हैं। यह राशि केंद्र सरकार द्वारा दी जाती है, जबकि मध्य प्रदेश के महिला एवं बाल विकास विभाग का इस मद में कोई अलग से बजट प्रावधान नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इतनी मामूली राशि से बच्चों का पोषण संभव है और वे स्वस्थ व बलवान कैसे बनेंगे?

कांग्रेस विधायक के सवाल से हुआ खुलासा

कांग्रेस विधायक डॉ. विक्रांत भूरिया ने विधानसभा में सरकार से सवाल पूछा था कि 2020 से 2025 तक आदिवासी विकासखंडों में कितने बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्रों (NRC) में भर्ती किया गया और इस पर कितना खर्च हुआ। इसके जवाब में महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने बताया कि कुपोषण से निपटने के लिए NRC में एक बच्चे पर औसतन 980 रुपये खर्च किए जाते हैं।

आदिवासी क्षेत्रों में NRC में भर्ती बच्चों का ब्योरा

महिला एवं बाल विकास विभाग के अनुसार, 2020 से जून 2025 तक मध्य प्रदेश के आदिवासी विकासखंडों में कुल 85,330 बच्चों को NRC में भर्ती कर इलाज और पोषण प्रदान किया गया। साल-दर-साल आंकड़े इस प्रकार हैं:

  • 2020-21: 11,566 बच्चे
  • 2021-22: 12,527 बच्चे
  • 2022-23: 16,522 बच्चे
  • 2023-24: 18,046 बच्चे
  • 2024-25 (जून तक): 5,928 बच्चे

सरकार पर निशाना: 8-12 रुपये में पोषण कैसे?

कांग्रेस विधायक विक्रांत भूरिया ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि 8 से 12 रुपये प्रतिदिन की राशि बच्चों के पोषण के लिए बेहद अपर्याप्त है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि इस राशि में तो दो केले भी नहीं खरीदे जा सकते, जबकि दूध की कीमत 70 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच चुकी है। खासकर आदिवासी जिलों में कुपोषण की समस्या गंभीर है, जहां सबसे ज्यादा बच्चे कुपोषित हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश सरकार बच्चों के पोषण पर एक भी पैसा अपने बजट से खर्च नहीं कर रही, बल्कि यह राशि केंद्र सरकार से ली जा रही है।

क्या है चुनौती?

मध्य प्रदेश में कुपोषण एक गंभीर समस्या है, विशेष रूप से आदिवासी क्षेत्रों में। विशेषज्ञों का मानना है कि कुपोषण से निपटने के लिए केवल आर्थिक प्रावधान ही काफी नहीं है, बल्कि गुणवत्तापूर्ण भोजन, जागरूकता और बेहतर निगरानी की भी जरूरत है। 8 से 12 रुपये की मामूली राशि में बच्चों को पौष्टिक आहार देना एक बड़ी चुनौती है, जिसके लिए नीतिगत सुधार और अधिक बजट आवंटन की आवश्यकता है।

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