रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने 26 अक्टूबर 2025 को एक नए न्यूक्लियर-पावर्ड क्रूज मिसाइल, ब्यूरेवेस्टनिक (Burevestnik), के सफल टेस्ट की घोषणा की, जिसने दुनिया को हिलाकर रख दिया। इस मिसाइल ने हर डिफेंस सिस्टम को नाकाम करने की क्षमता दिखाई, और इसे “अनलिमिटेड रेंज”वाला हथियार बताया गया है। रूसी सेना के चीफ ऑफ जनरल स्टाफ, वलेरी गेरासिमोव (Valery Gerasimov), ने कहा कि मिसाइल ने 14,000 किलोमीटर (8,700 मील) की दूरी तय की और 15 घंटे तक हवा में रही।
रूस ने 26 अक्टूबर 2025 को ब्यूरेवेस्टनिक मिसाइल का टेस्ट किया, जो एक न्यूक्लियर-पावर्ड (Nuclear-Powered) क्रूज मिसाइल है। वलेरी गेरासिमोव ने बताया कि मिसाइल ने वर्टिकल और हॉरिजॉन्टल मैन्युवरिंग (Vertical and Horizontal Maneuvering) की, और हर डिफेंस सिस्टम को बायपास करने की क्षमता दिखाई। उन्होंने कहा, “यह मिसाइल किसी भी मिसाइल डिफेंस सिस्टम को चकमा दे सकती है।” मिसाइल की रेंज 10,000 से 20,000 किलोमीटर (6,200 से 12,400 मील) तक बताई गई है, जो इसे दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार बनाती है।
पुतिन ने कहा, “यह मिसाइल रूस की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।” उन्होंने इसे अमेरिका की मिसाइल डिफेंस सिस्टम (US Missile Defense System) के खिलाफ एक जवाब बताया, जो 2001 में एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल ट्रीटी (Anti-Ballistic Missile Treaty) से बाहर होने के बाद विकसित हुआ। पुतिन ने कहा, “यह मिसाइल न केवल रूस, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक संदेश है।”
NATO-UN सब डर गए
पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका और NATO, ने इस टेस्ट को “खतरनाक” करार दिया है। अमेरिकी रक्षा विभाग (US Defense Department) ने कहा, “हम रूस के इस कदम को गंभीरता से ले रहे हैं और अपनी डिफेंस स्ट्रैटेजी पर पुनर्विचार कर रहे हैं।” यूरोपीय यूनियन (European Union) ने भी रूस से “ट्रांसपेरेंसी” (Transparency) की मांग की है।
कैसे काम करती है Burevestnik
ब्यूरेवेस्टनिक मिसाइल न्यूक्लियर पावर (Burevestnik Nuclear Power Missile) से चलती है, जो इसे लंबी दूरी और लंबे समय तक हवा में रहने की क्षमता देती है। इसे NATO द्वारा SSC-X-9 स्काईफॉल (SSC-X-9 Skyfall) के नाम से जाना जाता है। रूसी सैन्य जर्नल (Russian Military Journal) के अनुसार, इसकी रेंज 20,000 किलोमीटर तक हो सकती है, जो इसे किसी भी हिस्से में पहुंचने की क्षमता देती है।
यह मिसाइल टेस्ट रूस और पश्चिम के बीच तनाव (Russia-West Tensions) को और बढ़ा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मिसाइल अमेरिका जैसे देशों को भी चिंता में डाल सकती है रक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि यह मिसाइल अमेरिका की मिसाइल डिफेंस सिस्टम (Indian Missile Defense System) के लिए चुनौती होगी।

 
		 
		 
		