एमपी के इस मंदिर की अनोखी परंपरा, कान्हा की नही होती आरती, भक्त करते है केवल लाड़-प्यार

उज्जैन। देश भर में आज श्री कृष्ण के जन्म उत्सव को कृष्ण जन्माष्टमी पर्व के रूम में मनाया जा रहा है। मठ-मंदिरों में बाल-गोपाल कन्हैया लाल की पूजा-अर्चना एवं धार्मिक आयोजन हो रहे है। मंदिरों में अलग-अलग तरह की परम्पराएं है। इन्ही में से मध्यप्रदेश के उज्जैन का ऐसा मंदिर जंहा कृष्ण जन्म-उत्सव पर अनोखी परंपरा हैं। यहा भगवान की आरती नही होती, केवल भक्त कान्हा से लाड़-प्यार करते है।

5 दिन कान्हा की नही होती आरती

जानकारी के तहत उज्जैन के श्री द्वारकाधीश गोपाल मंदिर में जन्म के बाद पूरे पांच दिनों तक कान्हा की शयन आरती नहीं होती। यह परंपरा पिछले 110 वर्षों से चली आ रही है और आज भी श्रद्धालु पूरे आस्था भाव से इसे निभाते हैं। यहा ऐसी मान्यता है कि जन्म के बाद भगवान श्रीकृष्ण शैशव अवस्था में रहते हैं और शिशु के सोने-जागने का कोई निश्चित समय नहीं होता। ऐसे में नियत समय पर शयन आरती संभव नहीं होती। जिसके चलते यहा 5 दिनों तक आरती बंद रहती है और भक्त 5 दिनों तक कान्हा से लाड़-प्यार करते हैं।

अपनी पटरानी रूक्मिणी जी के साथ विराजमान है भगवान

श्री द्वारकाधीश गोपाल मंदिर अपनी कलात्मक और परंपराओं का प्रतीक हैं। इस मंदिर का निर्माण सिंधिया राजवंश की महारानी बयाजबाई सिधिंया के समय में 1909 में करवाया गया था। इस मंदिर में भगवान अपनी पटरानी रूक्मिणी जी के साथ विराजमान है। इतना ही नही उज्जैन के पास ही नारायणा गांव है। इस गांव को भगवान कृष्ण-सुदामा की पवित्र मित्रता के लिए जाना जाता है। बताया जाता है कि संदीपनी आश्रम में शिक्षा के लेने के दौरान कृष्ण और सुदामा इस गांव में लकड़ी लेने आए थें। इस गांव में वे दोनो चने खाकर रात भर रूके रहें। आज यह स्थान तीर्थ स्थल का रूप ले रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *