Tirupati Temple Stampede : आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में मची भगदड़ ने देश भर में दहशत फैला दी है। तिरुपति के प्रसिद्ध श्री वेंकटेश्वर मंदिर के परिसर में हुई इस भगदड़ में 6 लोगों की मौत हो गई जबकि 50 श्रद्धालु घायल हुए हैं। जांच में इस हादसे के पीछे कई कारण सामने आए हैं। जिसमें एक कारण वैकुंठ द्वार का अचानक खुलना है। बताया गया है कि एक बीमार महिला के लिए गेट को खोला गया था, जिससे श्रद्धालुओं की भीड़ एकदम से उमड़ पड़ी और भगदड़ मच गई।
तिरुपति मंदिर में भगदड़ क्यों मची | Tirupati Temple Stampede
तिरुपति बालाजी मंदिर में बुधवार की देर शाम को श्री वेंकटेश्वर मंदिर के परिसर में अचानक दर्शन द्वार खुलने से भगदड़ मची थी। जब भगदड़ मची उसी दौरान तिरुमाला श्रीवारी वैकुंठ द्वार के टिकट काउंटर के पास स्थित विष्णु निवासम के पास ‘दर्शन’ टोकन वितरण के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ इकट्ठा थी। तभी एक बीमार महिला श्रद्धालु के लिए अचानक वैकुंठ दर्शन द्वार को खोल दिया गया। द्वार खुलते ही लोगों की भीड़ ऐसे टूटी, सभी श्रद्धालु एक-दूसरे के ऊपर चढ़ने लगे। इस घटना ने सभी को दहशत में भर दिया।
तिरुमाला वैकुंठ द्वार पर मिल रहें थे टोकन
दरअसल, बुधवार शाम को 10 जनवरी से 19 जनवरी तक एकादशी पर खुलने वाले तिरुमाला वैकुंठ द्वार के दर्शन के लिए टोकन ले रहें श्रद्धालुओं की लंबी लाइन लगी थी। इसी बीच तिरुपति मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए एक वैकुंठ गेट खोल दिया गया। जैसे ही गेट खोला गया। तभी हजारों श्रद्धालु, जो पहले से ही लाइन में खड़े थे, एक साथ दौड़ पड़े। दूसरे स्थान पर खड़े लोग भी भीड़ की ओर भागने लगे और एक-दूसरे के ऊपर चढ़ने लगे। स्थिति असहज हो गई और भगदड़ में बदल गई।
तिरुपति वैकुंठ द्वार के दर्शन का महत्व | Tirupati News
तिरुपति बालाजी मंदिर के अंदर गर्भगृह के बगल में वैकुठ द्वार स्थित है। यह द्वार साल में केवल एकबार वैकुंठ एकादशी पर ही खोला जाता है। मान्यता है कि इस शुभ दिन वैकुंठ द्वार के अंदर भगवान विष्णु आकर विराजित होते हैं और श्रद्धालुओं को दर्शन देते हैं। इसके बाद भक्त भगवान वेंकटेश्वर की परिक्रमा करते हैं। कहा जाता है कि वैकुंठ द्वार के दर्शन बड़े सौभाग्य से मिलते हैं और भक्त जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है।
तिरुपति मंदिर में भगदड़ मचने के प्रमुख कारण
अत्यधिक भीड़ : तिरुपति बालाजी मंदिर विश्व में प्रख्यात तीर्थ स्थल है, यहां हर साल लाखों भक्त दर्शन करने आते हैं। इसलिए भीड़ को नियंत्रित करने के लिए विशेष प्रबंथ की आवश्यता थी जो नहीं की गई थी। जिससे गेट के अचानक खुलने से भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हुई।
प्रबंध की कमी : मंदिर प्रबंधन ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पहले से कोई तैयारी नहीं थी। मंदिर में दर्शन करने के लिए आए श्रद्धालुओं के मार्गदर्शन और भीड़ नियंत्रण के पर्याप्त इंतजाम नहीं थे।
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