बारिश में आकर्षक और मनमोहक हो जाते है रीवा और विंध्य के ये झरने, पर्यटक हो जाते है रोमांचित

रीवा। रीवा और विंध्य क्षेत्र की धरती झरनें और प्रकृति सुंदरता से परिपूर्ण हैं। बारिश के मौसम में यहां के झरने और भी आकर्षक हो जाते हैं, जिससे देख कर पर्यटक रोमांचित हो जाते हैं। रीवा की भू-धरा पर मौजूद चचाई, बहुती, पुरवा और केओटी जैसे झरने इस दौरान अपनी पूरी छटा बिखेरते हैं। ऐसे प्रकृति अदभुद इन झरनों को देखने के लिए बारिश का मौसम सबसे अच्छा माना जाता है।

बारिश में ऐसे खास है ये झरने

बारिश के कारण झरनों में पानी की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे उनका सौंदर्य और भी बढ़ जाता है। चारों ओर हरियाली छा जाने से झरने और भी मनमोहक लगते हैं। बारिश के मौसम में ठंडी हवा और शांत वातावरण पर्यटकों को आकर्षित करता है। कुछ झरने धार्मिक महत्व भी रखते हैं, जिससे बारिश के मौसम में यहां धार्मिक पर्यटन भी बढ़ता है।

पानी की गर्जना और फुहारों से निकलने वाली धूंध से बनता अदभुद्र नजारा

झरने के पानी की ताकत, सुरम्य प्राकृतिक परिदृश्य के साथ मिलकर एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला नजारा बनाती है जो हर किसी को आकर्षित करती है। मानसून आने पर इन झरनों की सुंदरता कई गुना अधिक हो जाती है, जैसे ही आप चचाई फॉल्स के पास पहुंचते हैं, पानी की गर्जना की आवाज और भी तेज हो जाती है, और झरने से निकलने वाली धुंधली फुहारें आस-पास के इलाके को ढंक लेती हैं, जो एक ताज़ा और डूब जाने वाला अनुभव प्रदान करती हैं. हरियाली और चट्टानी इलाके प्राकृतिक सुंदरता में चार चांद लगाते हैं, जो इसे प्रकृति प्रेमियों और फोटोग्राफर के लिए एक स्वर्ग बनाता है.

रीवा और विंध्य के प्रसिद्ध झरने

चचाई झरना बीहर नदी पर स्थित, यह झरना विंध्य पर्वतमाला से उत्पन्न होता है और एक सुंदर दृश्य प्रस्तुत करता है। बहुती झरना मध्य प्रदेश का सबसे ऊंचा झरना, जो सेलर नदी पर स्थित है, और चचाई झरने के पास है। पुरवा झरना 300 फीट की ऊंचाई से गिरने वाला यह झरना, रामायण काल से जुड़ा हुआ माना जाता है। केओटी झरना भी रीवा में स्थित है और यहां का एक प्रमुख आकर्षण है।

घूमने के लिए 3 महीने होते है खास

रीवा को सिटी ऑफ वाटरफॉल्स भी कहा जाता है। बारिश का मौसम, खासकर जुलाई से सितंबर के बीच, इन झरनों को देखने का सबसे अच्छा समय होता है। यहां के झरने गर्मी से राहत पाने के लिए भी एक अच्छी जगह है।

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