रीवा। प्राचीन काल से पूरा विन्ध्य क्षेत्र घने वनों, दुर्गम पर्वतों, वन्य प्राणियों और ऋषि मुनियों से समृद्ध प्रदेश रहा है। विन्ध्य पर्वतमाला की कई छोटी-बड़ी नदियां वर्षाकाल में अपार जलराशि के साथ सुंदर जलप्रपातों का निर्माण करती हैं। रीवा और मऊगंज जिले में चार बड़े और आकर्षक जल प्रपात हैं। इन जलप्रपातों में जून से दिसम्बर माह तक पर्यटकों की भीड़ रहती है। वर्षाकाल में नदियों की अनंत जल रश्मियाँ जलप्रपातों में घोर गर्जना के साथ सौन्दर्य की अनुपम छटा बिखेरती हैं। जलप्रपातों के मामले में विन्ध्य देश का सबसे समृद्ध क्षेत्र है। लगभग 50 किलोमीटर के दायरे में यहाँ अलग-अलग नदियों पर चार बड़े जलप्रपात स्थित हैं। इनका समुचित विकास होने पर इन्हें पर्यटन के बड़े केन्द्रों के रूप में विकसित किया जा सकता है।
पुरवा जलप्रपात
यह जलप्रपात रीवा से केवल 35 किलोमीटर दूर स्थित है। यह जलप्रपात अपनी प्राकृति सुंदरता भौगोलिक महत्व और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। पुरवा जलप्रपात में टमस नदी 230 फिट ऊपर से गिरकर सुंदर प्रपात का निर्माण करती है। पुरवा जलप्रपात विन्ध्य के अन्य प्रपातों की तुलना में अधिक चौड़ा है। नदी में अच्छा पानी होने पर इसकी गर्जना दूर से सुनाई देती है। इसके चारों ओर सुरक्षा के लिए बाउन्ड्रीवॉल बना दी गई है। इसके पास पर्यटन विभाग तथा वन विभाग का गेस्टहाउस भी है। रीवा से आसानी से पुरवा प्रपात पहुंचा जा सकता है।

चचाई जलप्रपात
चचाई जलप्रपात मध्यप्रदेश का छिपा हुआ रत्न है। यह रीवा शहर से 45 किलोमीटर दूर है। यहाँ बीहर नदी 430 फिट की ऊंचाई से गिरकर आकर्षक जलप्रपात का निर्माण करती है। यह क्षेत्र घने वनों और प्राकृतिक सौन्दर्य से भरा हुआ है। यहाँ पानी ऊंचाई से गिरकर संकरी घाटी में गिरकर शक्तिशाली धारा के रूप में दिखाई देता है। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने चचाई प्रपात को देखकर इसे प्रकृति का अनुपम उपहार बताया था। सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. विद्यानिवास मिश्र के रूपहला धुंआ निबंध में चचाई प्रपात के अनुपम सौंदर्य का सुंदर चित्रण किया गया है। टोंस जलविद्युत परियोजना के कारण अब चचाई जलप्रपात का सौंदर्य केवल वर्षाकाल में ही दृष्टिगोचर होता है। इसके कई फोटो बहुत प्रसिद्ध हुए हैं। चचाई प्रपात से जुड़ी कई ऐतिहासिक कहानियाँ और किवदंतियाँ क्षेत्र में प्रचलित हैं।

क्योटी जलप्रपात
क्योटी जलप्रपात रीवा से लगभग 55 किलोमीटर दूर स्थित है। चचाई जलप्रपात से इसकी दूरी महज 15 किलोमीटर है। यह जलप्रपात सुंदर प्राकृतिक वातावरण और मनोरम दृश्यावली के लिए जाना जाता है। यहाँ का शांत वातावरण पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र है। क्योटी में महाना नदी लगभग 325 फिट की ऊंचाई से गिरकर सुंदर प्रपात का निर्माण करती है। यहाँ पर पानी एक संकरी चट्टान से नीचे गिरता है जिसके कारण पानी की धारा बहुत तेज और शक्तिशाली दिखाई देती है। इसके समीप ऐतिहासिक क्योटी किला भी कई रहस्यों और किवदंतियों को समेटे हुए स्थित है।

बहुती जलप्रपात
यह जलप्रपात रीवा से 75 किलोमीटर दूर मऊगंज जिले में स्थित है। यह विन्ध्य क्षेत्र ही नहीं पूरे मध्यप्रदेश का सबसे ऊंचा जलप्रपात है। बहुती में सेलर नदी 650 फिट की ऊंचाई से दो धाराओं में विभक्त होकर गिरती है। नीचे सुंदर कुंड और चारों ओर घने वन हैं। बहुती में अनंत जलराशि लंबवत चट्टानों पर गिरती है। जुलाई से सितम्बर माह तक इस प्रपात का सौंदर्य अपने चरम पर होता है। प्रपात के आसपास सुरक्षा प्रबंधों की आवश्यकता है। कई स्थानों पर चट्टानें अचानक ढलान में उतरती हैं। इस प्रपात के समीप ही अष्टभुजा देवी का प्रसिद्ध मंदिर भी स्थित है। प्रयागराज और बनारस से सड़क मार्ग से सीधे जुड़ा होने के कारण उत्तरप्रदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक यहाँ पहुंचते हैं। इसके पास भैंसहाई में प्रागैतिहासिक काल के भित्तचित्र मिले हैं।