माइक्रोप्लास्टिक्स के जोखिमों पर शोध की नितांत आवश्यकता ~डॉक्टर रामानुज पाठक

Risks Of Microplastics

Risks Of Microplastics / Author Dr Ramanuj Pathak: हाल ही में एक अध्ययन में मनुष्यों और कुत्तों दोनों के अंडकोषों (वृषण ऊतकों) में माइक्रो प्लास्टिक का पता चला है जिसमें पॉलिथीन घटक माइक्रो प्लास्टिक और पीवीसी के रूप में खोजा गया है मानव अंडकोष में 12 प्रकार के माइक्रो प्लास्टिक पाए गए हैं जो गहन चिंता का विषय है।मनुष्य के वृषण ऊतकों में माइक्रो प्लास्टिक की उपस्थिति शुक्राणुओं की घटती संख्या सहित मानव प्रजनन स्वास्थ्य पर संभावित प्रभाव के बारे में चिंता उत्पन्न करता है।

Risks Of Microplastics

सौर पराबैंगनी विकिरण, पवन धाराओं एवं अन्य प्राकृतिक कारकों के प्रभाव में प्लास्टिक के टुकड़े छोटे कणों में बदल जाते हैं इन्हें माइक्रो प्लास्टिक या नैनोप्लास्टिक (मीटर से एक खरब गुना छोटे)भी कहा जाता है।माइक्रोप्लास्टिक्स बहुत छोटे प्लास्टिक कण होते हैं, जो मीटर से 10 लाख गुना छोटे होते हैं।ये 5 मिमी से कम आकार के होते, अत्यधिक सूक्ष्म कण होने के कारण इन्हें खुली आंखों से नहीं देखा जा सकता है। ये प्लास्टिक कण विभिन्न स्रोतों से आते हैं, जैसे;सांशलेषित(सिंथेटिक) कपड़ों से निकलने वाले तंतु (फाइबर)। माइक्रोबीड्स युक्त उत्पादों जैसे सौंदर्य प्रसाधन से निकलने वाले कण। प्लास्टिक की बोतलों और अन्य उत्पादों के टुकड़े।जल निकासी प्रणाली से निकलने वाले प्लास्टिक कण।

माइक्रोप्लास्टिक्स पर्यावरण में पहुंचकर जल और मिट्टी को प्रदूषित करते हैं और जीव-जंतुओं के लिए हानिकारक हो सकते हैं। ये कण जलीय जीवन को नुकसान पहुंचा सकते हैं और खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर सकते हैं।पेयजल एवं स्वच्छ जल के स्रोतों में माइक्रोप्लास्टिक की खतरनाक उपस्थिति मानव स्वास्थ्य के लिए बड़ी चुनौती है।

माइक्रोप्लास्टिक्स के बड़े दुष्प्रभाव हैं,जैसे;

जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण,जलीय जीवन को नुकसान,खाद्य श्रृंखला में प्रवेश,मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव माइक्रोप्लास्टिक्स जल प्रदूषण का एक गंभीर कारण हैं। ये छोटे प्लास्टिक कण जल में पहुंचकर जलीय जीवन को नुकसान पहुंचाते हैं और जल को प्रदूषित करते हैं।माइक्रोप्लास्टिक्स पर्यावरण में स्थायी होते हैं और उनका छोटा आकार उन्हें लंबी दूरी तक ले जाने की सक्षम बनता है, जिससे वे सर्वव्यापी प्रदूषक बन जाते हैं। माइक्रोप्लास्टिक्स वन्यजीवों, विशेष रूप से सागरीय जीवों के लिये खतरा उत्पन्न करते हैं, क्योंकि उनके अंतर्ग्रहण के परिणामस्वरूप जहरीले रसायनों का जैव-संचयन हो सकता है। माइक्रोप्लास्टिक्स सीवेज और जल निकासी प्रणाली से जल में पहुंचते हैं। प्लास्टिक की बोतलों और उत्पादों के टुकड़े जल में पहुंचते हैं।सिंथेटिक कपड़ों से निकलने वाले फाइबर जल में पहुंचते हैं।माइक्रोप्लास्टिक्स जल में प्रवेश कर जलीय जीवन को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जैसे:


माइक्रोप्लास्टिक्स जलीय जीवन के भोजन में प्रवेश कर सकते हैं और उनके शरीर में जमा हो सकते हैं। माइक्रोप्लास्टिक्स जलीय जीवन के शरीर में जमा होकर उनके अंगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। माइक्रोप्लास्टिक्स जलीय जीवन के पाचन तंत्र में समस्याएं पैदा कर सकते हैं।माइक्रोप्लास्टिक्स जलीय जीवन के श्वसन तंत्र में समस्याएं पैदा कर सकते हैं।माइक्रोप्लास्टिक्स जलीय जीवन के प्रजनन में समस्याएं पैदा कर सकते हैं।माइक्रोप्लास्टिक्स जलीय जीवन को विषाक्त कर सकते हैं। अंततः माइक्रोप्लास्टिक्स जलीय जीवन की मृत्यु का कारण बन सकते हैं। अर्थात, माइक्रोप्लास्टिक्स जलीय जीवन के लिए बेहद नुकसानदायक हैं।माइक्रोप्लास्टिक्स जल को प्रदूषित करते हैं।माइक्रोप्लास्टिक्स खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर सकते हैं।माइक्रोप्लास्टिक्स मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकते हैं।माइक्रोप्लास्टिक्स मृदा स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं। माइक्रोप्लास्टिक्स मृदा में पहुंचकर मृदा की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं और मृदा के जीवन को नुकसान पहुंचाते हैं।

माइक्रोप्लास्टिक्स मृदा में इस प्रकार पहुंचते हैं:

प्लास्टिक की थैलियों और उत्पादों के टुकड़े मृदा में पहुंचते हैं।सिंथेटिक खाद्यों से निकलने वाले फाइबर मृदा में पहुंचते हैं। जल निकासी प्रणाली से निकलने वाले प्लास्टिक कण मृदा में पहुंचते हैं।

माइक्रोप्लास्टिक्स मृदा स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालते हैं:

माइक्रोप्लास्टिक्स मृदा की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं।माइक्रोप्लास्टिक्स मृदा के जीवन को नुकसान पहुंचाते हैं।माइक्रोप्लास्टिक्स पौधों की वृद्धि को प्रभावित करते हैं।माइक्रोप्लास्टिक्स मृदा की जल धारण क्षमता को प्रभावित करते हैं

माइक्रोप्लास्टिक्स खाद्य श्रृंखला में कई तरीकों से प्रवेश कर सकते हैं,जैसे:
माइक्रोप्लास्टिक्स जलीय जीवन के शरीर में जमा हो सकते हैं और जब हम जलीय जीवन को खाते हैं, तो ये माइक्रोप्लास्टिक्स हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। माइक्रोप्लास्टिक्स मिट्टी में जमा हो सकते हैं और पौधों के माध्यम से खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर सकते हैं।माइक्रोप्लास्टिक्स हवा में तैरते हुए खाद्य पदार्थों पर जमा हो सकते हैं और खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर सकते हैं।माइक्रोप्लास्टिक्स खाद्य पदार्थों की पैकेजिंग में उपयोग किए जाने वाले प्लास्टिक से खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर सकते हैं।माइक्रोप्लास्टिक्स सीवेज और जल निकासी प्रणाली से खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर सकते हैं।माइक्रोप्लास्टिक्स में कुछ ऐसे खतरनाक रसायन होते हैं जो कैंसर का कारण बन सकते हैं, जैसे;


पॉलीविनाइल क्लोराइड (पीवीसी), पीवीसी में विषाक्त रसायन होते हैं जो कैंसर का कारण बन सकते हैं।
पॉलीकार्बोनेट (पीसी),पीसी में बिस्फेनॉल ए (बीपीए) होता है, जो एक ज्ञात एंडोक्राइन विघटनक है।
पॉलीस्टायरीन (पीएस),पीएस में स्टायरीन होता है, जो एक ज्ञात कैंसर जनक रसायन (कार्सिनोजेन) है।
माइक्रोप्लास्टिक्स के कारण कैंसर होने के विविध तरीके हैं,जैसे; माइक्रोप्लास्टिक्स शरीर में जमा हो सकते हैं और कैंसर का कारण बन सकते हैं। माइक्रोप्लास्टिक्स विषाक्त रसायनों को छोड़ सकते हैं जो कैंसर का कारण बन सकते हैं।

माइक्रोप्लास्टिक्स प्रोक्सीडेटिव तनाव का कारण बन सकते हैं, जो कैंसर का कारण बन सकता है।हालांकि, माइक्रोप्लास्टिक्स और कैंसर के बीच संबंध के बारे में यद्यपि अभी भी गहन शोध की आवश्यकता है। एक शोध के अनुसार 391879 टन माइक्रो प्लास्टिक के कण भारत जैसे पर्यावरण हितैषी राष्ट्र द्वारा सन 2024 के दरमियान पर्यावरण में मुक्त करने का अंदेशा है।वर्ष 2024 के अंत तक, 217 देशों द्वारा जलमार्गों में 30लाख टन से अधिक माइक्रोप्लास्टिक मुक्त किये जाने की आशा है, जिसमें शीर्ष जनसंख्या वाले चीन और भारत शीर्ष योगदानकर्त्ता हैं।

माइक्रोप्लास्टिक्स के खाद्य श्रृंखला में प्रवेश को कम करने के लिए हमें प्लास्टिक के उपयोग को कम करना होगा और खाद्य पदार्थों की पैकेजिंग में सुरक्षित विकल्पों का उपयोग करना होगा।माइक्रोप्लास्टिक्स से दूरी बनाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं, जैसे:प्लास्टिक का कम उपयोग करें,प्लास्टिक की थैलियों, बोतलों, और अन्य उत्पादों का कम उपयोग करें।सिंथेटिक कपड़ों से निकलने वाले फाइबर माइक्रोप्लास्टिक्स का एक बड़ा स्रोत हैं, इसका प्रयोग कम किया जा सकता है।

प्लास्टिक की बोतलों का उपयोग कम करें और उनके बजाय स्टील या ग्लास की बोतलों का उपयोग करें।माइक्रोबीड्स युक्त उत्पादों का उपयोग कम करें, जैसे कि कुछ साबुन और दंत मंजन (टूथपेस्ट) के डिब्बे,जल निकासी प्रणाली को सुधारें ताकि माइक्रोप्लास्टिक्स जल में न जाएं। मृदा की देखभाल करें और मृदा में माइक्रोप्लास्टिक्स को कम करने के लिए कदम उठाएं।
जलीय जीवन की रक्षा करें और माइक्रोप्लास्टिक्स के प्रभाव को कम करने के लिए कदम उठाएं।


माइक्रोप्लास्टिक्स के बारे में शिक्षा और जागरूकता बढ़ाएं ताकि लोग माइक्रोप्लास्टिक्स के प्रभाव को कम करने के लिए कदम उठाएं माइक्रोप्लास्टिक्स के मृदा,जल तंत्र,मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव को कम करने के लिए हमें प्लास्टिक के उपयोग को कम करना होगा और मृदा की देखभाल करनी होगी।माइक्रोप्लास्टिक्स द्वारा जल प्रदूषण को कम करने के लिए हमें प्लास्टिक के उपयोग को कम करना होगा और जल निकासी प्रणाली को सुधारना होगा।

माइक्रोप्लास्टिक्स को कम करने के लिए हमें प्लास्टिक के उपयोग खासकर एकल उपयोगी प्लास्टिक डिस्पोजल, कप, पत्तल का उपयोग कम करना होगा और पर्यावरण की रक्षा के लिए कदम उठाने होंगे।माइक्रोप्लास्टिक पर नवीन वैज्ञानिक शोधों की नितांत आवश्यकता है। माइक्रोप्लास्टिक की गति और परिवहन को समझने के लिए और शोध की आवश्यकता है, खासकर जलभृत में माइक्रोप्लास्टिक के प्रकार, मात्रा, गति और परिवहन तंत्र, संरक्षण और संभावित प्रभाव के बारे में।माइक्रोप्लास्टिक विश्लेषण एक तेजी से विकसित होता हुआ क्षेत्र है। इसके लिए मानक माइक्रोप्लास्टिक संदर्भ सामग्री, नमूने और विश्लेषण के लिए मार्गदर्शन, और स्वच्छ और सस्ती पहचान और मात्रा निर्धारण के लिए साधनों की आवश्यकता है।माइक्रोप्लास्टिक के स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में पर्याप्त आंकड़े नहीं हैं।

माइक्रोप्लास्टिक के प्रभावों के बारे में जानकारी सीमित है, और मानव स्वास्थ्य पर इसके प्रभावों के बारे में और शोध की आवश्यकता है।माइक्रोप्लास्टिक के विभिन्न प्रकार, आकार और आकृतियों का मूल्यांकन किया जाना चाहिए ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि वे खाद्य श्रृंखला में स्थानांतरित होते हैं या नहीं। माइक्रोप्लास्टिक के पारिस्थितिक जोखिम और प्रभावों के बारे में और शोध की आवश्यकता है, खासकर इसके प्रभावों के बारे में जो जलीय जीवन और पारिस्थितिक तंत्र पर होते हैं।


माइक्रोप्लास्टिक के नियंत्रण, कमी और प्रबंधन के लिए और शोध की आवश्यकता है, खासकर इसके लिए नए और नवाचारी तरीकों के विकास के लिए।मनुष्य खाद्य पदार्थ, श्वास लेने और त्वचा के साथ संपर्क के माध्यम से माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क में आते हैं, जो प्लेएसेंटा जैसे ऊतकों में पाए जाते हैं और ऑक्सीडेटिव तनाव, डीएनए क्षति, अंग की शिथिलता, चयापचय संबंधी विकार आदि जैसी स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न कर सकते हैं। कुछ देशों द्वारा माइक्रोबीड्स पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद,
सभी माइक्रोप्लास्टिक स्रोतों के लिये कोई विश्वव्यापी विनियमन नहीं है और असंगत निगरानी प्रदूषण शमन प्रयासों में बाधा उत्पन्न करते हैं।सीमित संसाधन, अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा और जन जागरूकता की कमी मौजूदा नियमों के प्रभावी कार्यान्वयन में बाधा उत्पन्न करती है। पर्यावरणीय नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक का परीक्षण और उसकी मात्रा निर्धारित करना उनके विविध गुणों के कारण चुनौतीपूर्ण है।


लेखक रसायन विज्ञान विषय में स्नातकोत्तर एवं पीएचडी हैं तथा शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में रसायन शास्त्र के व्याख्याता है एवं विज्ञान विषयों का स्वतंत्र लेखन कार्य करते हैं.

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