ये दुनिया गोल है

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Aatm Manthan :जहाँ एक तरफ किसी को हमारी ज़रूरत नहीं है , जैसे ख़्याल हमें जीने नहीं देते तो वहीं अक्सर ये ख़ुश फ़हमी भी हमें जीने नहीं देती कि कोई है जो हमारे बिना नहीं जी पाएगा पर सच तो ये है कि ज़िंदगी किसी के आसरे नहीं चलती ये अकेले भी सबको जीना सिखा ही देती है वहीँ अगर हम ये सोचे कि कोई हमारी ज़िंदगी में ऐसा है जिसकी हमको ज़रूरत नहीं है तो ये भी ग़लत है क्योंकि जब वो इंसान हमारी ज़िंदगी से चला जाता है तो हमें उसकी अहमियत समझ में आ ही जाती है।

चिंता क्यों सताती है :-

ये ठीक वैसा ही है जैसे हम आज को समझ ही न पाए हों और कल में सैर करने निकल जाएं तो चिंता तो सताएगी ही कभी आज की तो कभी कल की,इसलिए बेहतर है उस आज को समझे जिसके आधार पर हमारा आने वाला कल बनेगा और इस आज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, हमारे कर्म जो हमारे विचारों पर टिके हुए हैं तो क्यों न उन विचारों पर ही नज़र रखें जो हमसे खराब कर्म करवाते हैं।

कैसे करें विचारों का शुद्धिकरण:-

विचार हमारी भावनाओं से आते हैं और भावनाएँ हमारे मन को अच्छा या बुरा बना देती हैं इसलिए इन भावनाओं को अच्छा बनाने के लिए हमें दुनिया में अच्छाई-बुराई देखकर भी केवल अच्छाई को ग्रहण करना है ,उसे ही आत्मसात करना है ताकि हम अच्छे विचार और भावनाएँ ला सकें किसी के भी प्रति ,भले उसने हमारे साथ बुरा व्यवहार ही क्यों न किया हो क्योंकि बुरा करने वाला एक न एक दिन, किसी न किसी से हार जाएगा लेकिन अच्छा करने वाला न किसी से हारेगा न थकेगा वो इसलिए कि उसने अपने आस-पास अपने अच्छे विचारों से दोस्त बनाए होंगे दुश्मन नहीं और वो उसकी मदद के लिए ज़रूर आगे आएँगे। उसका ख्याल रखेंगे , फिर चाहे वो इसके बदले उसे कुछ दें न दें वो उसके लिए अनमोल होगा क्योंकि कभी न कभी वो भी उनके काम ज़रूर आया होगा। किसी को अनमोल मान लेना ही वो विचार है , जिसे हमें सबके लिए रखना है अगर हमें ख़ुशी -ख़ुशी जीना है जीवन का आनंद उठाना है, क्योंकि किसी को सम्मान देना उसकी क़द्र करना पहली शर्त है दुनिया को समझने की ,आज को बेहतर बनाने की ,अपने विचारो को अच्छा रखने की , फिर दुनिया तो गोल है ही आप की झोली में वही आएगा जो आप देंगे। तो ग़ौर ज़रूर करियेगा इस बारे में फिर मिलेंगे आत्म मंथन की अगली कड़ी में ,धन्यवाद।

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