MP: प्रदेश का पहला पानी में तैरता हुआ मंदिर, 17 सालों में तैयार हुआ जहाज मंदिर

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Jahaj Mandir Mandsaur: 36 फीट चौड़े, 110 फीट लंबे और 40 फीट ऊंचे इस भव्य और अनोखे जहाज मंदिर में 12 छोटे मंदिर भी हैं. इस मंदिर में कई प्रख्यात जैन तीर्थ स्थलों की प्रतिकृति मौजूद है, जो जहाज मंदिर को और भी आकर्षक बना देती है. इस जैन मंदिर की खूबशूरती का हर कोई मुरीद हो रहा।

Jahaj Mandir Mandsaur: मंदसौर जिले में 17 सालों में तैयार हुआ भव्य जहाज मंदिर इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. कई राज्यों में इकलौते इस जहाज मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैल रही है. यह भी दावा किया जा रहा है कि इस जैन मंदिर मेंं विराजित प्रतिमा 3000 साल पुरानी है.

36 फीट चौड़े, 110 फीट लंबे और 40 फीट ऊंचे मंदसौर जिले में स्थित भव्य और अनोखे जहाज मंदिर में 12 छोटे मंदिर भी स्थापित हैं. मंदिर में कई प्रसिद्ध जैन तीर्थ स्थलों की प्रतिकृति भी मौजूद हैं, जो जहाज मंदिर को और भी आकर्षक बना देती है.

पानी में चलते-फिरते मंदिर में विराजमान प्रतिमा

पानी में तैरते अनोखे जैन मंदिर का प्रबंधन करने वाले रमेश जैन बताते हैं कि इस मंदिर को बनाने में कुल 17 साल लगे. जहाजनुमा इस मंदिर के आसपास स्थित बाउंड्री में पानी का कलर किया जा रहा है. मंदिर में विराजमान प्रतिमा लगभग 3000 साल पुरानी है.

नाकोड़ा पार्श्व नाथ की चमत्कारिक मूर्ति

जहाज मंदिर में प्रतिदिन दर्शन करने आने वाले आयुष जैन बताते हैं कि यहां पर नाकोड़ा पार्श्व नाथ की चमत्कारिक मूर्ति स्थापित है. इस मंदिर में आने से भक्तों को शांति प्राप्त होती है और उसकी आकृति इतनी मनमोहक है कि श्रद्धालुओं को बार-बार अपनी ओर खींच कर ले आती है.

मंदसौर के इस जैन मंदिर को राजस्थान के 20 कारीगरों की देखरेख में लगभग 17 साल में तैयार किया गया है. इस अनोखे और भव्य आकार वाले जैन मंदिर को सैकड़ों मजदूरों ने लंबे समय यहां पर कार्य करके जहाज की आकृति दी है.

चंबल नदी से निकली है नाकोड़ा पार्श्व नाथ की मूर्ति

जहाज मंदिर में दर्शन करने आए श्रद्धालुओं का कहना है कि मंदिर में विराजित चमत्कारिक प्रतिमा यहां से कुछ किलोमीटर दूर स्थित चंबल नदी से निकली है, जो लगभग 3000 साल पुरानी है. प्रतिमा की भव्यता देखते ही बनती है.

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