अमर गायक किशोर कुमार। भारतीय सिनेमा के स्वर्ण युग में एक ऐसी आवाज गूंजी, जिसने लाखों दिलों को छूआ और संगीत की दुनिया में अमर हो गई. किशोर कुमार न सिर्फ एक गायक थे, बल्कि एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी कलाकार थे, जिन्हें प्यार से ‘किशोर दा’ कहा जाता है। उनकी मखमली आवाज और उसमें ठहराव की अनूठी शैली ने उन्हें भारतीय संगीत का पर्याय बना दिया। किसोर दा का असली नाम आभास कुमार गांगुली था।
मध्यप्रदेश में जन्में थें किशोर दा
किशोर कुमार का मध्यप्रदेश से गहरा संबंध था, क्योंकि उनका जन्म 4 अगस्त 1929 को मध्य प्रदेश के खंडवा शहर में हुआ था। वह हमेशा खुद को खंडवे वाला कहते थे और अपनी जन्मभूमि से बहुत जुड़ाव रखते थे, भले ही वे मुंबई में बस गए थे। खंडवा के लोगों और अपनी जड़ों के प्रति उनका प्रेम अटूट था, और वे अक्सर अपनी सार्वजनिक प्रस्तुतियों की शुरुआत इसी बात से करते थे। किशोर कुमार का जन्म खंडवा के वकील कुंजीलाल गांगुली के घर हुआ था। वह अपने चार भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। वे मंच पर और निजी जीवन में भी गर्व से कहते थे कि वह खंडवा वाले हैं। उन्होंने अपनी जन्मभूमि के लोगों से बेहद प्यार किया और अपने शहर के कार्यक्रमों में उन्हें प्यारे बंधुओं, संगीत प्रेमियों, मेरे काका काकियों कहकर संबोधित करते थे। भले ही वे बॉम्बे में बड़े हुए और प्रसिद्ध हुए, लेकिन उन्होंने खंडवा को कभी नहीं भुलाया और समय-समय पर अपने पुराने घर और दोस्तों से मिलने खंडवा आते थे। 13 अक्टूबर को किशोर दा की पुण्य तिथी पर खंडवा में स्थित उनकी समाधी स्थल पर श्रृद्धाजलि देने वालों का तांता लगा रहा और हर कोई उनके गीतों को गुनगुने से अपने को नही रोक पाया।
एक्टिग नही गायकी से था उनका लगाव
किशोर दा को गायकी से बेहद लगाव था। वे केएल सहगल की तरह गायक बनना चाहते थे, 1948 में जिद्दी फिल्म में खेमचंद्र प्रकाश के संगीत निर्देशन में उन्होंने पहला गाना गाया “मरने की दुआएं क्यों मांगू, जीने की तमन्ना कौन करे”, जो देव आनंद के लिए था. इसके बाद उन्होंने गायकी में शानदार सफलता हासिल की और कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. किशोर कुमार एक ऐसी आवाज रहे, जिसने हिंदी सिनेमा को अनगिनत सदाबहार गीत दिए जैसे “मेरे सपनों की रानी”, “पल पल दिल के पास” और “जिंदगी एक सफर है सुहाना”. उनकी गायकी में जादू था. चाहे रोमांटिक गीत हों, उदासी भरे या जोश से भरे गाने, हर भाव को उन्होंने बखूबी पेश किया।

किशोर दा की ये थी 4 पत्नीया
किशोर दा ने पत्नीयों के मामले में काफी धनी रहे और उन्होने चार शादियां किए थें। जिनमें रुमा घोष, मधुबाला जो कि उनकी दूसरे नंबर की पत्नी बनी थीं, योगिता बाली और लीना चंदावरकर शामिल थीं, उनकी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव लाईं। महज 58 साल की आयु में संगीत की यह सुरीली आवाज हमेशा-हमेशा के लिए शांत हो गई। बता दें कि 13 अक्टूबर, 1987 को दिल का दौरा पड़ने से किशोर कुमार का निधन हो गया, लेकिन उनकी आवाज आज भी जीवित है. रेडियो पर संगीत समारोहों में, या किसी के दिल में, किशोर दा का संगीत हर जगह गूंजता है।

समाधी पर हुआ अनोखा विवाह
खंडवा में किशोर कुमार की समाधि पर एक अनोखा विवाह हुआ, जहां नागपुर के मनीष बोयर और अश्विनी ने एक-दूसरे को वरमाला पहनाकर नए जीवन की शुरुआत की। किशोर कुमार की पुण्यतिथि पर समाधि स्थल पर प्रशंसकों का मेला लगा रहा। जोड़े ने समाधि के फेरे लिए और गीत गुनगुनाए। यह विवाह किशोर कुमार को साक्षी मानकर किया गया।