प्रयागराज। यूपी के इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संभल जामा मस्जिद के रंगाई-पुताई कराए जाने का आदेश जारी कर दिया है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि कमेटी महज संभल जामा मस्जिद के बाहरी हिस्से की पुताई और सफाई करवा सकती है, जबकि उसमें किसी भी तरह की तोड़फोड़ न करवाए एवं अंदर के हिस्से को कमेटी जस का तस रखे। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जामा मस्जिद कमेटी की दायर अर्जी की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि कमेटी मस्जिद में लाइटनिंग करवा सकती है, लेकिन इस दौरान मस्जिद में किसी भी तरह का नुकसान नही होना चाहिए। हाईकोर्ट के इस फैसले से जामा मस्जिद कमेटी को बड़ी राहत मिली है।
प्रशासन ने खारिज कर दिया था आवेदन
रमजान के पहले जामा मस्जिद कमेटी ने मस्जिद के रंगाई पुताई के लिए एएसआई और प्रशासन से इजाजत मांगी थी, लेकिन उसकी अर्जी खारिज कर दी गई थी। हिंदु संगठन के लोगो ने इस पर अपत्ति जताई थी कि जामा मस्जिद में रंगाई-पुताई के बाहने तोड़फोड़ करने की साजिश है। जिसके चलते प्रशासन साफ-सफाई करने की इजाजत तो दे दिया, लेकिन रंगाई-पुताई की अर्जी को खारिज कर दिया था। जिसके बाद कमेटी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और हाईकोर्ट के जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की बेंच ने अर्जी को स्वीकार कर लिया था। इसमें 12 मार्च को सुनवाई करने की डेट तय की गई थी। जिस पर कोई के विद्रवान न्यायाधीश ने सुनवाई करते हुए उक्त आदेश दिया है, वही अगली सुनवाई के लिए 8 अप्रैल की डेट तय की गई है।
क्या है संभल जामा मस्जिद का विवाद
दरअसल संभल जामा मस्जिद के मंदिर होने का दावा किया गया है। जिले की सिविल कोर्ट के आदेश के बाद 19 नवंबर को संभल की इस मस्जिद का सर्वे भी किया गया है, जिसके बाद प्रदेश में सांप्रदायिक सियासत एक बार फिर गरमा गई थी। हिंदू पक्ष दावा कर रहा है कि जामा मस्जिद प्राचीन हरिहर मंदिर थी, जहां पर कलियुग में विष्णु के दशावतारों में से एक कल्कि का अवतार होने वाला है। वहीं, मुस्लिम पक्ष इस दावे को सिरे से खारिज कर रहा है। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि मस्जिद में हिंदू मंदिर होने के कोई सबूत नहीं हैं।