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टैटू फैशन ट्रेंड नहीं, सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ी एक वैश्विक विरासत -Tattoo : Not Just a Trend, But a Deep-Rooted Global Folk Art Heritage

Tattoo : Not Just a Trend, But a Deep-Rooted Global Folk Art Heritage – आज टैटू को देखकर हमें सबसे पहले फैशन, सेलिब्रिटी स्टाइल या पर्सनल एक्सप्रेशन की छवि नजर आती है। ग्लोबल स्टाइल आइकॉन से लेकर यंग जनरेशन तक, टैटू एक ट्रेंडी चॉइस बन गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि टैटू की जड़ें फैशन की दुनिया से कहीं गहरी और पुरानी हैं? यह महज एक स्टाइल स्टेटमेंट नहीं, बल्कि एक जीवंत लोककलात्मक परंपरा है, जो सदियों से दुनियाभर की विविध संस्कृतियों का हिस्सा रही है। भारत से लेकर अफ्रीका, जापान से लेकर पोलिनेशिया तक, टैटू केवल शरीर की साज-सज्जा नहीं बल्कि सांस्कृतिक पहचान, आस्था, सामाजिक दर्जे, वीरता, मातृत्व और आध्यात्मिकता का प्रतीक रहे हैं। इस लेख में हम जानेंगे टैटू के वैश्विक ट्रेंड के साथ-साथ उसकी लोककलात्मक विरासत, परंपराएं, अर्थ और आज की बदलती दुनिया में इस कला को किस स्वरूप में स्वीकार किया जा रहा है।

टैटू का इतिहास : फैशन से पहले एक परंपरा
टैटू का इतिहास 12,000 साल पुराना माना जाता है,
मिस्र की ममीज़, ओट्ज़ी द आइसमैन, और अफ्रीकी जनजातियों में टैटू के पुरातात्विक प्रमाण मिले हैं। भारत की भील, गोंड, संथाल और नट जातियों में टैटू (गोदना) का विशिष्ट धार्मिक व सामाजिक महत्व रहा है। टैटू प्राचीन समाजों में संरक्षक चिह्न, जादू-टोना, जीवन की उपलब्धियों और धार्मिक आस्था का प्रतीक हुआ करते थे।

टैटू की लोककलात्मक जड़ें – Folk Roots of Tattoo Art

टैटू का ग्लोबल ट्रेंड : आधुनिकता में प्राचीनता की झलक

भारत में टैटू संस्कृति का पुनर्जागरण

टैटू और समाज : पहचान, अभिव्यक्ति और विमर्श

टैटू से जुड़े मिथक और समाजिक सोच

विशेष : Conclusion
टैटू केवल शरीर पर बनी एक आकृति नहीं, बल्कि हमारे इतिहास, संस्कृति, विचार और लोककला का जीवंत दस्तावेज है। आज जब यह वैश्विक ट्रेंड बन चुका है, तब हमें इसकी लोककलात्मक जड़ों को जानना और समझना और भी ज़रूरी हो जाता है। यह एक ऐसा माध्यम है जिसमें आधुनिकता और परंपरा दोनों का संतुलित संगम होता है और यही टैटू को आम से खास बनाता है।

टैटू लोककला / Tattoo Folk Art वैश्विक टैटू ट्रेंड / Global Tattoo Trend

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