Tattoo Haram In Islam Reason In Hindi: “टैटू” एक ऐसा शब्द जिसके ज़ुबांँ पे आते ही कई तरह के डिज़ाइन आंखों के सामने आने लगते हैं खास कर युवाओं के लिए तो ये एक ऐसे फ़ैशन और स्टेटस की होड़ है जो उन्हें दुनियां से अलग करती है ,कपड़े जूते और ज्वेलरी को भी मात देकर, उनकी पर्सनालिटी में चार चांद लगाती है एक कॉन्फिडेंस देती है,इसमें जहां आकृति के साथ रंगों का कलेक्शन एक अलग पहचान देता है आपको तो वहीं शरीर के किस हिस्से में आपने टैटू बनवाया है ये भी आपकी पर्सनालिटी को डिफाइन करता है।
Tattoo Haram In Islam Reason In Hindi | क्या आप जानते हैं ये चलन नया नहीं है?
- प्राचीन काल में भी लोग टैटू गुदवाते थे वो भी भारत में ही नहीं कई देशों में ये चलन था ,इन्हें आप ममियों में भी देख सकते हैं तब लोग कार्बन-आधारित पिगमेंट का इस्तेमाल करते थे, जैसे कालिख, हड्डी का कोयला और लकड़ी का कोयला। कार्बन आधुनिक टैटू स्याही में भी एक प्रमुख घटक बना हुआ है।
- मानव टैटू के सबसे पुराने ज्ञात उदाहरणों में से एक 5,300 साल पुरानी बर्फ की ममी है जिसे ओत्ज़ी के नाम से जाना जाता है, जिसे 1991 में ऑस्ट्रिया की सीमा के पास खोजा गया था।
- इटली के शोधकर्ताओं ने ओत्ज़ी के कई टैटू से त्वचा के नमूनों की जांच की और निर्धारित किया कि उनके टैटू कालिख और राख से प्राप्त कार्बन-आधारित पिगमेंट का उपयोग करके बनाए गए थे।
- इस बात से ये अंदाज़ा लगाया गया कि कार्बन कणों के बीच पहचाने गए सूक्ष्म क्वार्ट्ज क्रिस्टल की उत्पत्ति चिमनी के आसपास के पत्थरों से हुई होगी जहाँ कार्बन एकत्र किया गया था।
- दक्षिणी पेरू में चिरिबाया सांस्कृतिक क्षेत्र में मिली एक महिला की 1000 साल पुरानी ममी में कालिख और पौधों की सामग्री से बने सजावटी और प्रतीकात्मक टैटू दिखाए गए हैं। लेकिन 1800 के दशक के अंत में इलेक्ट्रिक टैटू मशीन के आ जाने के बाद इसमें क्रांतिकारी बदलाव आ गया।
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इस्लाम में क्यों है हराम? | Why Tattoo Haram In Islam?
टैटू से शरीर के रंग ,नैन नक्श में एक ऐसा बदलाव पैदा होता है जो आपको आकर्षक लगता है लेकिन ये आपके वास्तविक रंग रूप को बदल देता है आपके जिस भी अंग में टैटू होता है वो अलग दिखता है कलर की वजह से कभी चटकीला तो कभी जानवरों के रंग से मिलता जुलता भ्रम पैदा करता है और अगर ये टैटू स्थायी है यानी इसकी इंक मिटाए न मिटेगी तो ये आपको हमेशा ऐसा ही दिखने के लिए मजबूर भी कर देता है क्योंकि इसे बनवाने के बाद आप अगर मिटाना भी चाहे तो बनवाने से ज़्यादा दर्द ,मिटाने में होगा और ये ठीक से मिटेगा भी नहीं।
हदीस की रौशनी में देखें तो टैटू गुदवाते पैगंबर मोहम्मद (स.अ) की सुन्नत के खिलाफ है जो लोग जिस्म, नैन नक्श में इस तारक के बदलाव करते हैं और अल्लाह की बनाई हुई सूरत शक्ल बदलते हैं, उनपे अल्लाह पाक लानत भेजते हैं , उस अल्लाह ने हमें जैसा भी बनाया है हमें उसके पास वैसा ही लौटना है बिना कोई फेर बदल किए जब तक तबियत या बीमारी के लेहाज़ से उसकी कोई ज़रूरत न हो इसलिए इस्लाम में टैटू गुदवाने की इजाज़त नहीं है. शरीयत में ये हराम है और इसे बनवाने का मतलब है कि हम ख़ुदा को नाराज़ कर दें।
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साइंस भी इसे सही नहीं ठहराता
- टैटू बनाने में इस्तेमाल होने वाले उपकरण साफ नहीं हैं, तो हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, या एचआईवी जैसी रक्तजनित बीमारियां होने का खतरा होता है।
- टैटू बनवाने के बाद, कुछ लोगों को त्वचा में खुजली, सूजन, या दाने हो सकते हैं। कुछ मामलों में, टैटू के कारण
- एमआरआई जांच में समस्या हो सकती है।
- टैटू बनवाने वाले लोगों में लिम्फोमा यानी रक्त कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
- टैटू की स्याही में मौजूद रंगद्रव्य और परिरक्षक त्वचा में एलर्जी पैदा कर सकते हैं। टैटू में लगाए गए रंगद्रव्य का एक हिस्सा शरीर के अन्य भागों, जैसे लिम्फ नोड्स , में स्थानांतरित हो सकता है। कुछ सामान्य टैटू रंगद्रव्य ऐसे रसायन होते हैं जो कैंसर का कारण बन सकते हैं।