न्याज़िया मंथन। आपको नहीं लगता,पोथी पढ़के विद्वान बनना और बुद्धिमान बनके विवेक से काम लेना जीवन को संवारना दोनों अलग अलग बातें हैं क्योंकि किताबें पढ़ कर हम दुनिया के... Read More
न्याज़िया मंथन। वक़्त का तकाज़ा देखकर ही चलना चाहिए जब जो वक़्त कहे वो करना चाहिए,ये सुना तो है हमने पर इस पर अमल करना इतना आसान नहीं क्योंकि इसके... Read More
न्याज़िया मंथन। ज़िंदगी क्या सच में एक पहेली है जिसका जवाब ढूंढना बहुत मुश्किल है,जैसे - क्यों है? किसके लिए है? और अपने लिए नहीं है तो क्यों नहीं है... Read More
मंथन। आपको नहीं लगता ये दुनिया बहुत खूबसूरत है बस हमारे पास इसे देखने का खूबसूरत नज़रिया होना चाहिए और अगर ये नज़रिया सबके पास हो तो कोई दुनिया से... Read More
न्याज़ियामंथन। बहुत बार दिल नहीं मानता कि हर चीज़ हमें नहीं मिल सकती, हमारी कोशिशें नाकाम होती रहती हैं और हम उसे पाने की ज़िद में अपनी एनर्जी और वक़्त... Read More
न्याज़ियामंथन। जी हां आपका वो काम जिससे आपका जीवन यापन होता है रोज़ी , रोटी ,कमाने का ज़रिया! अगर नहीं हैं तो अपनी आजीविका तलाशने से पहले ,खुद को समझने... Read More
न्याज़िया मंथन। क्या जो भी हमारे साथ ग़लत करे उससे नाराज़ होना या समझाना ज़रूरी है कि उसने कुछ ग़लत किया है जबकि उसे अपनी ग़लती का ख़ुद से एहसास... Read More
न्याज़ियामंथन। आपको क्या लगता है क्या ज़्यादा मुश्किल है ? किसी की बात का पलट के जबाब देना या सुन लेना, बर्दाश्त कर लेना और सब भूलकर सामान्य हो जाना,... Read More