ज्ञानवापी परिसर का सर्वे पूरा, क्या सामने आएगा सच?

GYANWAPI

Varanasi: 100 दिन से अधिक चले सर्वे के बाद अब 17 नवंबर को ASI की टीम कोर्ट में अपनी डिटेल रिपोर्ट सौंपेगी। सर्वे के दौरान मिले अवशेषों को लॉकर में जमा करा दिया गया है. ज्ञानवापी परिसर में वाराणसी जिला कोर्ट के आदेश के बाद जारी ASI के साइंटिफिक सर्वे का आज अंतिम दिन था.

वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में जारी ASI ( भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ) टीम के सर्वे का काम अब पूरा हो चुका है. 16 नवंबर को सर्वे का आखिरी दिन था. 100 दिनों से अधिक चले सर्वे के बाद अब रिपोर्ट 17 नवंबर को वाराणसी जिला कोर्ट को सीलबंद लिफाफे में सौंपी जाएगी। सर्वे में 250 से अधिक अवशेषों को सुरक्षित रखा गया है. इसके साथ ही अन्य सबूत भी जुटाए गए हैं. इन सभी सबूतों को कोर्ट में पेश किया जाएगा।

21 जुलाई 2023 को जिला जज ने ज्ञानवापी में वजू खाने को छोड़कर बाकी परिसर का ASI सर्वे कराने का आदेश दिया था. दूसरे दिन यानी 24 जुलाई से सर्वे का काम शुरू कर दिया गया था. लेकिन बाद में मुस्लिम पक्ष की अपील के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी.

अंतरिम रोक का आदेश देने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील के लिए कहा था. 27 जुलाई को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। 3 अगस्त को हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने मुस्लिम पक्ष की याचिका ख़ारिज करते हुए सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. इलाहाबाद हाइकोर्ट के आदेश के बाद 4 अगस्त को दोबारा सर्वे कार्य शुरू हुआ. जिस पर मुस्लिम पक्ष फिर से सुप्रीम कोर्ट पंहुचा, जहां कोर्ट ने राहत देने से मना कर दिया था. इस तरह ज्ञानवापी के ASI सर्वे का मार्ग प्रशस्त हो गया.

कोर्ट के आदेश के बाद ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कार्य शुरू हुआ, जो तीन महीने से ज्यादा समय तक चला. ASI की 40 सदस्यीय टीम ने सर्वे ग्राउंड पेनेट्रेशन रडार सिस्टम सहित कई अत्याधुनिक उपकरणों की मदद ली. नई-नई तकनीकि के जरिए ज्ञानवापी परिसर में बने ढांचे और इसके तहखानों से लेकर गुंबद और शीर्ष की नाप-जोख कर डिटेल रिपोर्ट तैयार की गई है. इसमें हैदराबाद और कानपुर के एक्सपर्ट ने भी सहयोग दिया। सर्वे में थ्री डी फोग्राफी और स्कैनिंग के साथ डिजिटल मैपिंग भी करवाई गई है.

दावा किया गया कि सर्वे से खंडित मूर्तियां, हिन्दू चिन्ह और आकृतियां आदि मिले हैं. हालांकि मुस्लिम पक्ष ने इसका खंडन करते हुए कोर्ट से गुहार लगाई कि सर्वे में मिली कथित चीजों की बातें बाहर मीडिया में ना फैलाई जाए. बाद में कोर्ट ने भी यही आदेश अधिकारियों को दिया। फैसले से पहले गोपनीयता बनाए रखने की बात कही गई.

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