मोहम्मद शमी की कहानी,

Mohammad shami

Mohammad Shami Life Story: जीवन, मौके, प्रदर्शन, ये तीन चीजें इकट्ठा हो जाए तो कोई भी व्यक्ति अपने गांव, शहर से निकल, अंतर्राष्ट्रीय पटल पर छा सकता है. भाईसाहब सीरियस बात कर रहा हु, भरोसा न हो तो मोहम्मद शमी को देख लीजिये। कहां कुछ टाइम से टीम से ड्राप चल रहे थे, धर्मशाला में मौका मिला शानदार प्रदर्शन किया फिर क्या शमी भाई के सामने कोई खेल सकता है क्या?

Mohammad Shami Biography: भारत के जिस गेंदबाज का लोहा आज पूरी दुनिया मान रही है. उन्होंने अपनी ज़िन्दगी का सबसे कठिन समय का जिक्र करते हुए कहा था कि- अगर मुझे मेरे परिवार का साथ नहीं मिलता तो मए क्रिकेट छोड़ देता। मैंने 3 बार खुदकुशी करने के बारे सोचा था. मेरा घर 24वें माले पर था और मेरे परिवार को लगता था की मए कहीं अपार्टमेंट से कूद न जाऊं। ये शब्द भारत के स्टार गेंदबाज Mohammad Shami के थे. ये वो दौर था जब वो अपनी ज़िन्दगी के सबसे कठिन दौर का जिक्र किया था. लेकिन समय के साथ कठिनाइयां कम हुई नौर शमी इतिहास लिखने चल पड़े.

Mohammad Shami ने बुधवार को न्यूजीलैंड के खिलोफ खेले गए वर्ल्ड कप सेमीफइनल में 7 विकेट चटकाकर इतिहास रच दिया। भारत को शानदार जीत दिलाई। इस मैच में उन्होंने कई रिकॉर्ड अपने नाम किया इसी मैच में वनडे क्रिकेट में पांच विकेट लेने वाले गेंदबाज बन गए साथ ही वर्ल्ड कप में 50 विकेट लेने वाले वह पहले भारतीय गेंदबाज बन गए हैं.

आज मोहम्मद शमी की वर्ल्ड क्रिकेट वाह-वही हो रही हर क्रिकेट प्रेमी के जुबान में मोहम्मद शमी का नाम लेकिन मोहम्मद शमी के लिए सफर आसान नहीं रहा. पिछले कुछ समय से शमी कई आरोपों और विवादों से जुड़े रहे. यही वो समय था जब उन्होंने तीन-तीन बर सुसाइड करने की थान ली थी. ये वो समय था जब शमी 2015 वर्ल्ड कप के बाद चोट से वापसी कर रहे थे और उनकी पर्सनल लाइफ बबाल मचा हुआ था. लेकिन किस्मत कुछ और लिखा था. परिवार का साथ मिला योद्धा की तरह बुरे वक़्त से लड़कर इस मुकाम तक पहुंचे।

परिवार का साथ खूब मिला

मोहम्मद शमी का कहना है कि मेरा परिवार मेरे साथ था और इससे बड़ी बात मेरे लिए क्या हो सकता है. पिता जी हमेशा कहते हर समस्या का समाधान होता है. तुम सिर्फ अपने खेल पर ध्यान दो. जिस चीज में तुम अच्छे हो उसमें बस खो जाओ. बस मैंने वही इसलिए मैंने सबकुछ खो दिया. मैं नेट्स में गेंदबाजी कर रहा था. मैं रनिंग एक्सरसाइज कर रहा था. मुझे नहीं पता था कि मैं क्या कर रहा था. मैं दबाव में था

मोहम्मद शमी जन्म और फॅमिली (Mohammad Shami Birth and Family)

Mohammad Shami का जन्म 3 सितंबर 1990 को उत्तर प्रदेश के अमरोह के सहसपुर गांव में हुआ था. उनका पूरा नाम मोहम्मद शमी अहमद है. शमी के पिता तौसिफ अली अहमद एक किसान थे और अपने जमाने में फास्ट बॉलिंग किया करते थे. उनकी माता का नाम अंजुम आरा है. Mohammad Shami के चार भाई-बहन हैं और वे सभी अपने शुरुआती दिनों में एक तेज गेंदबाज बनना चाहते थे, लेकिन शमी ही ऐसा करने वाले एकमात्र खिलाड़ी बने. 2005 में शमी के पिता ने ही 15 साल के उम्र में उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें मुरादाबाद के क्रिकेट कोच बदरुद्दीन सिद्दीकी के पास ट्रेनिंग के लिए ले गए. जहां शमी ने क्रिकेट की बारिकियां सिखी और अपने पिता के सपने को पूरा किया.

मोहम्मद शमी की शुरआती क्रिकेट करियर:

उत्तर प्रदेश में जन्मे मोहम्मद शमी अपने राज्य के अंडर-19 टीम में सलेक्ट न हो पाने के बाद कोच बदरुद्दीन सिद्दीकी की सलाह पर शमी ने कोलकाता चले गए और डलहौजी एथलेटिक क्लब के लिए खेलना शुरू कर दिया। जहाँ बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व Assistant Secretary देवव्रत दास की नजर उन पर पड़ी और उन्होंने शमी को मोहन बागान क्लब भेज दिया। मोहन बागान क्लब में पूर्व कप्तान Sourabh Ganguli की देख रेख में मोहम्मद शमी ने खूब पसीना बहाया और और कोलकाता लीग में टाउन क्लब के लिए 40 से ज्यादा विकेट लिए. जिसके बाद उन्हें जल्द ही बंगाल की रणजी टीम में खेलने का मौका मिल गया.

गलियों से तालियों तक का खामोश सफर

शमी के जीवन में एक वो दौर भी जब उनकी पत्नी ने उनपर तरह तरह के आरोप लगाए। शमी अपनी बेटियों से मिलने के लिए तरसते रहे. लेकिन पब्लिक में इसकी शिकायत नहीं कि इस दौरान एक ऐसा समय भी आया जब उन्हें लगने लग गया की मनो सब ख़त्म होने वाला है. खुद की जान लेने का मन करने लग गए लेकिन ये बात उस वक़्त भी किसी के कण तक नहीं पहुंचने दी. बहुत समय बाद इंस्टग्राम में रोहित शर्मा के साथ वीडियो कॉल में शमी ने ये खुलासा किया। बाद में बोले की मुँह से निकल गया.

शमी तब भी शांत रहे जब 2015 वर्ल्ड कप के हर मैच से पहले, इंजेक्शन के जरिये उनके घुटने से
fluid निकाला जाता था. स्तिथि थी कि घुटना कहां और जांघ कहां, बता पाना मुश्किल था. घुटने से चार मिलीमीटर का पीस निकला. हर Match के बाद, शमी से चला भी नहीं जाता था. साथी, सहारा दे उन्हें कहीं लाते-ले जाते.Physio Nitin Patel और pain-killers के दम पर उन्होंने पूरा वर्ल्ड कप खेला. पहले ही मैच में टूटे घुटने के साथ शमी सेमीफ़ाइनल तक खेले

लेकिन ये बात पांच सालों तक अपने तक रखा यह बात सबके सामने आई साल 2020 में. कोविड काल के एक इंस्टाग्राम लाइव में.उस चोट का खामियाजा उन्होंने पुरे 18 महीने क्रिकेट से दूर रह कर चुकाई, और इन्हीं सबके बीच उनके फ़ैमिली इशूज़. लेकिन शमी मौन रहे. तैयारी की, वापसी की. और उनके समर्पण के क्या ही कहने. लगातार अपने जबरजस्त प्रदर्शन से भारत को मैच जीतते रहे.

बात 2016 की है न्यूज़ीलैंड के साथ कोलकाता में टेस्ट चल रहा था. शमी ने छह विकेट अपने नाम किए. भारत ने बहुत आसानी से मैच जीता। मैच के बाद पता चला कि उनकी 14 महीने की बेटी इस पूरे वक्त ICU में थी. शमी दिन का खेल खत्म कर ICU जाते और अगली सुबह फिर गेंद के साथ मैदान में दिखते. तमाम क़ुर्बानियों के बावजूद शमी के हिस्से अक्सर, ग़ालियां ही आई हैं. शमी ने मुँह नहीं खोला उन्होंने शमी ये माहौल अपने प्रदर्शन के बलबूते बदला . चारों तरफ से शमी के लिए तालियां बज रही हैं. उम्मीद है कि तालियों का ये शोर 19 नवंबर को फ़लक छू लेगा. वो भी उस नरेंद्र मोदी स्टेडियम में, जो शमी का दूसरा घर है.

जी हां, अमरोहा के सहसपुर से निकले इस लड़के के भारत में दो घर हैं. स्पेयर पार्ट की दुकान चलाने वाले तौसीफ़ अली के बेटे ने यूं तो हर हिंदुस्तानी के दिल में घर कर लिया है, लेकिन क्रिकेट की दुनिया में वह कोलकाता और गुजरात के हैं.

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