Uttrakhaand CM Pushkar Singh Dhami Supreme Court News:देश की शीर्ष अदालत ने एक सुनवाई के दौरान सरकारों के प्रमुखों को नसीहत दी है। अदालत ने कहा कि इनसे ‘पुराने दिनों के बादशाह होने की अपेक्षा नहीं की जा सकती और हम सामंती युग में नहीं है। दरअसल ,अदालत ने एक आईएफएस अधिकारी को ‘राजाजी टाइगर रिजर्व’ का निदेशक नियुक्त करने को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर भी सवाल खड़े किए. दरअसल मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड के वन्य मंत्री व अन्य की राय की आपत्ति को दरकिनार कर दिया था। आपको बता दे कि पीठ ‘जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व’ के पूर्व निदेशक आईएफएस अधिकारी राहुल को राजाजी टाइगर रिजर्व का निदेशक नियुक्त करने से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी.
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अदालत ने कहा कि प्रथम अधिकारी की ओर से एक विशेष नोटिंग की गई थी कि राहुल को राजाजी टाइगर रिज़र्व के निदेशक के तौर पर नियुक्त नहीं करना चाहिए और इसे उप सचिव, प्रमुख सचिव और राज्य के वन मंत्री ने भी मंजूरी दी थी.
सीएम से गंभीर सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने कहा यदि आप डेस्क अधिकारी , उप सचिव , प्रधान सचिव , मंत्री से असहमत है। तो कम से कम यह तो अपेक्षित है ही कि इस बात पर विचार किया जाये कि वो लोग प्रस्ताव से असहमत क्यों है। आपको बता दे कि राज्य सरकार की ओर से न्यायालय में पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ए. एन. एस. नाडकर्णी ने कहा कि (संबंधित आईएफएस) अधिकारी के खिलाफ राज्य पुलिस या सीबीआई या ईडी द्वारा कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं है.
आप अच्छे अधिकारी का प्रमाणपत्र नहीं दे सकते
उन्होंने कहा ,’ केवल एक चीज जो उनके खिलाफ है वह हैअनुशासनात्मक कार्यवाही , जिसमें सभी ( अन्य अधिकारियों ) को आरोप पत्र जारी किया गया। पीठ ने कहा कि जब तक उन्हें विभागीय कार्यवाही में दोषमुक्त नहीं किया जाता, आप उन्हें अच्छे अधिकारी का प्रमाणपत्र नहीं दे सकते.’ सुनवाई के दौरान पीठ ने एक समाचार पत्र की रिपोर्ट का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि उत्तराखंड के वन मंत्री और मुख्य सचिव ने राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक के रूप में संबंधित अधिकारी की नियुक्ति पर आपत्ति जताई थी.
पीठ ने कहा, ‘आपने यह धारणा तैयार की कि समाचार पत्र की खबर सही नहीं है. जब हमने नोटिंग देखी, तो समाचार पत्र की खबर में कोई त्रुटि नजर नहीं आई. समाचार पत्र में जो भी बताया गया है, वह तथ्यात्मक रूप से सही है.’
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