Supreme Court on Reservation: सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) के आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था को प्रभावित करने वाला ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने कोटे में कोटा यानी आरक्षण के भीतर आरक्षण पर मुहर लगाई है। कोर्ट ने एससी, एसटी वर्ग के आरक्षण में से क्रीमीलेयर को चिन्हित कर बाहर किए जाने की जरूरत पर भी बल दिया है।
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कोर्ट ने पलटा 2004 का फैसला
ईवी चिनैया फैसले में पांच न्यायाधीशों ने कहा था कि एससी, एसटी एक समान समूह वर्ग हैं और इनका उपवर्गीकरण नहीं हो सकता। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, बीआर गवई, विक्रम नाथ, बेला एम त्रिवेदी, पंकज मित्तल, मनोज मिश्रा और सतीश चंद्र शर्मा की सात सदस्यीय पीठ ने इस मुद्दे पर लंबित करीब दो दर्जन याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया है।
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ऐतिहासिक फैसले की अहम बातें
- संविधान पीठ ने एससी-एसटी में क्रीमी लेयर की पहचान के लिए नीति बनाने को कहा है।
- उपवर्गीकरण वाली जातियों को सौ प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया जा सकता है।
- वर्गीकरण तर्कसंगत सिद्धांत पर आधारित होना चाहिए।
- कम प्रतिनिधित्व और ज्यादा जरूरतमंद साबित करने वाले आंकड़ों को एकत्र करने की जरूरत है।
- आरक्षण नीति के पुनर्वलोकन और उत्थान का कोई और तरीका खोजने पर भी कोर्ट ने जोर दिया है।