नवदुर्गा। मां दुर्गा का नाम उन्हें दुर्गम असुर का वध करने के कारण मिला है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, दुर्गम असुर ने वेदों को छिपा दिया था, जिससे संसार में ज्ञान लुप्त हो गया, सभ्यता नष्ट होने लगी, और अकाल पड़ गया। देवताओं की प्रार्थना पर, देवी ने दुर्गम असुर का वध किया और वेदों को पुनः प्राप्त किया, जिसके बाद उन्हें दुर्गा कहा जाने लगा। दुर्गा शब्द का अर्थ अजेय या जिसे पार करना कठिन हो।
दुर्गम असुर ने चोरी कर लिया था वेद
दरअसल असुर दुर्गम ने ब्रह्मा की तपस्या कर वेदों को चुरा लिया और उन्हें छिपा दिया। इसका सृष्टि पर प्रभाव यह पड़ा कि वेदों के ज्ञान के लुप्त होने से संसार में असंतुलन पैदा हुआ, अकाल पड़ा, और सभ्यता नष्ट होने लगी। ऐसे में देवताओं ने मां अंबा (शक्ति) से प्रार्थना की. देवी ने युद्ध करके दुर्गम असुर का वध किया और वेदों को सुरक्षित किया। दुर्गा नाम का अर्थ है अजेय या अभेद्य, क्योंकि उन्होंने दुर्गम असुर को पराजित किया था। यह नाम मां दुर्गा की अज्ञानता, पाप और अव्यवस्था पर सत्य और ज्ञान की जीत को दर्शाता है।
मां दुर्गा अवतार की ऐसी है मान्यताएं
मां दुर्गा के कई रूप हैं, और उनकी उत्पत्ति को लेकर अलग-अलग कथाएँ हैं। एक प्रमुख मत के अनुसार, मां दुर्गा देवी पार्वती का ही एक रूप हैं, जो हिमालय के राजा हिमवान और उनकी पत्नी मैनावती की पुत्री थीं। वहीं, एक अन्य मान्यता के अनुसार, मां दुर्गा को त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) की शक्तियों से प्रकट हुई महाशक्ति माना जाता है, जिन्होंने महिषासुर नामक राक्षस का वध करने के लिए अवतार लिया था। इस रूप में, दुर्गा किसी व्यक्ति विशेष की पुत्री नहीं थीं, बल्कि देवताओं की सामूहिक ऊर्जा से उत्पन्न हुई शक्ति थीं।
इन रूपों में है मां दुर्गा
देवी दुर्गा के स्वयं कई रूप हैं (सावित्री, लक्ष्मी एव पार्वती से अलग)। मुख्य रूप उनका गौरी है, अर्थात शान्तमय, सुन्दर और गोरा रूप। उनका सबसे भयानक रूप काली है, अर्थात काला रूप। विभिन्न रूपों में दुर्गा भारत और नेपाल के कई मन्दिरों और तीर्थ स्थानों में पूजी जाती हैं। भगवती दुर्गा की सवारी शेर है। ब्रहदेव ने कहा कि जो मनुष्य दुर्गा सप्तशती का पाठ करेगा उसे सुख मिलेगा। भगवत पुराण के अनुसार माँ जगदम्बा का अवतरण श्रेष्ठ पुरूषो की रक्षा के लिए हुआ है। जबकि श्रीं मद देवीभागवत के अनुसार वेदों और पुराणों कि रक्षा के और दुष्टों के दलन के लिए माँ जगदंबा का अवतरण हुआ है। इसी तरह से ऋगवेद के अनुसार माँ दुर्गा ही आदि-शक्ति है, उन्ही से सारे विश्व का संचालन होता है और उनके अलावा और कोई अविनाशी नही है। इसीलिए नवरात्रि के दौरान नव दुर्गा के नौ रूपों का ध्यान, उपासना व आराधना की जाती है तथा नवरात्रि के प्रत्येक दिन मां दुर्गा के एक-एक शक्ति रूप का पूजन किया जाता है। जय अम्बे गौरी आरती, माँ दुर्गा की सबसे प्रसिद्ध आरती में से एक है। मां अम्बे की यह प्रसिद्ध आरती मां दुर्गा जी से जुड़े ज्यादातर मौकों पर पढ़ी जाती है।
