भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन का सफल परीक्षण, जानें Hydrogen train कैसे अलग

भारतीय रेलवे ने पर्यावरण के अनुकूल और भविष्योन्मुखी परिवहन की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। चेन्नई के इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में भारत की पहली हाइड्रोजन-चालित ट्रेन (India’s first hydrogen-powered train) कोच ) का सफल परीक्षण किया गया। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस उपलब्धि की घोषणा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक वीडियो साझा करते हुए की, जिसमें 1200 हॉर्सपावर (HP) की यह ट्रेन अपनी पहली टेस्ट रन में दिखाई दी। यह उपलब्धि भारत को हाइड्रोजन-चालित रेल तकनीक में वैश्विक अग्रणी देशों की सूची में शामिल करती है।

भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन

भारतीय रेलवे द्वारा विकसित यह हाइड्रोजन ट्रेन 1200 HP की शक्ति के साथ विश्व की सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन ट्रेनों में से एक है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि जहां जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन और चीन जैसे चार देशों में हाइड्रोजन ट्रेनें 500-600 HP की क्षमता के साथ चल रही हैं, वहीं भारत ने स्वदेशी तकनीक का उपयोग कर 1200 HP का इंजन विकसित किया है। यह ट्रेन हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक पर आधारित है, जो हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के संयोजन से बिजली उत्पन्न करती है और केवल जलवाष्प (वाटर वेपर) उत्सर्जित करती है, जिससे यह पूरी तरह से शून्य कार्बन उत्सर्जन वाली ट्रेन है।

हाइड्रोजन फॉर हेरिटेज’ पहल का हिस्सा यह हाइड्रोजन ट्रेन भारतीय रेलवे की महत्वाकांक्षी ‘हाइड्रोजन फॉर हेरिटेज’ पहल का हिस्सा है, जिसके तहत 35 हाइड्रोजन ट्रेनों को हेरिटेज और पहाड़ी मार्गों पर चलाने की योजना है। रेल मंत्री ने 2023 में राज्यसभा को सूचित किया था कि प्रत्येक ट्रेन की लागत 80 करोड़ रुपये और प्रति मार्ग के लिए आधारभूत ढांचे की लागत 70 करोड़ रुपये होगी। इसके अतिरिक्त, 111.83 करोड़ रुपये की लागत से एक पायलट प्रोजेक्ट भी शुरू किया गया है, जिसमें डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (DEMU) को हाइड्रोजन फ्यूल सेल में रेट्रोफिट किया जाएगा। यह प्रोजेक्ट उत्तरी रेलवे के जींद-सोनीपत खंड पर चलाया जाएगा।

परीक्षण और भविष्य की योजनाएं

ICF चेन्नई में हुए इस सफल परीक्षण में ड्राइविंग पावर कार का प्रदर्शन देखा गया, जिसे रिसर्च डिजाइन्स एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन (RDSO), लखनऊ के सहयोग से डिजाइन किया गया है। उत्तरी रेलवे के महाप्रबंधक अशोक कुमार वर्मा ने हाल ही में ICF का दौरा कर इस ट्रेन का निरीक्षण किया। सूत्रों के अनुसार, दूसरी पावर कार का परीक्षण एक सप्ताह में होगा, और अगस्त 2025 के अंत तक पूरी रेक (10 कोच) को उत्तरी रेलवे में भेजा जाएगा। इस ट्रेन का पहला ट्रायल जनवरी 2025 में हरियाणा के जींद-सोनीपत मार्ग पर शुरू होने की संभावना है।

हाइड्रोजन ट्रेन का यह सफल परीक्षण भारत के राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन और 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह ट्रेन उन मार्गों पर विशेष रूप से उपयोगी होगी जहां विद्युतीकरण संभव नहीं है, जैसे पहाड़ी और ग्रामीण क्षेत्र। हाइड्रोजन फ्यूल सेल से चलने वाली यह ट्रेन डीजल ट्रेनों की तुलना में 60% कम शोर पैदा करती है और कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड्स, और अन्य प्रदूषकों का उत्सर्जन नहीं करती।

जींद में 1 मेगावाट का पॉलिमर इलेक्ट्रोलाइट मेम्ब्रेन (PEM) इलेक्ट्रोलाइजर प्रतिदिन 430 किलोग्राम हाइड्रोजन का उत्पादन करेगा, और रिफ्यूलिंग के लिए 3000 किलोग्राम हाइड्रोजन स्टोरेज, हाइड्रोजन कंप्रेसर, और दो हाइड्रोजन डिस्पेंसर की सुविधा होगी।

इस ट्रेन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जर्मनी की TUV-SUD कंपनी तीसरे पक्ष के रूप में सुरक्षा मूल्यांकन कर रही है। हालांकि, हाइड्रोजन ट्रेनों की प्रारंभिक परिचालन लागत डीजल ट्रेनों की तुलना में अधिक होगी, लेकिन जैसे-जैसे हाइड्रोजन ट्रेनों की संख्या बढ़ेगी, यह लागत कम होने की उम्मीद है। विशेषज्ञों का मानना है कि हाइड्रोजन उत्पादन और नई तकनीक की लागत में कमी के साथ यह ट्रेनें लंब

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