बेटी दिवस विशेष: ”बेटा मिलता है भाग्य से तो बेटी मिलती है सौभाग्य से” ये शब्द उस पिता के हैं जिनकी दो बेटियों ने पिता से किए वचन को अपना लक्ष्य मान लिया। ये कहानी उन दो बहनों की है जिन्होंने विपरीत परिस्थियों में हिम्मत नहीं हारी और तबतक संघर्ष करती रहीं जबतक अपने पिता के सपने को साकार नहीं कर दिया। ये कहानी है ‘रीवा की जज बहनें’ ‘जस्विता और अर्पिता’ की, जो आज हर बेटी के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गई हैं.
मध्य प्रदेश के रीवा शहर से नाता रखने वालीं दो जज बहनें ‘जस्विता शुक्ला और अर्पिता शुक्ला’ की सफलता के बारे में हर कोई जानता है. लेकिन ‘सफलता की कहानी के पीछे एक संघर्ष की दास्तान होती है’ जस्विता और अर्पिता का जीवन अनगिनत परेशानियों से भरा रहा, उन्हें हर दिन नई मुसीबतों का सामना करना पड़ा लेकिन पिता को दिए वचन ने बेटियों के हौसले को कभी टूटने नहीं दिया।
जज बहनें जस्विता और अर्पिता की कहानी
जस्विता और अर्पिता के पिता रंगनाथ शुक्ला पेशे से पत्रकार थे. परिवार खुशहाल था, सब कुछ ठीक चल रहा था. लेकिन एक हादसे ने पूरे परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया। 2013 में रंगनाथ शुक्ला को पैरालिसिस बीमारी ने जकड़ लिया। पिता के शरीर ने काम करना बंद किया तो आय का साधन भी बंद हो गया. इलाज में ही इतना खर्च हो जाता था की घर चलाना भी मुश्किल हो गया, लेकिन पिता ने अपने बच्चों की पढाई में कभी खलल पैदा नहीं होने दिया।
बच्चों को ट्यूशन दिया, खुद कोचिंग नहीं गईं, MPCJ की टॉपर बनीं
अर्पिता और जस्विता ने परिवार की जिम्मेदारियों को अपने ऊपर ले लिया। कॉलेज में लॉ की पढाई करने के दौरान दोनों बहनें घर पर ही बच्चों को ट्यूशन देने लगीं। लेकिन अपनी सिविल जज की तैयारी के लिए कभी कोचिंग नहीं गईं. दोनों बहनें 2019 में पहली बार MPCJ की परीक्षा में बैठीं, दोनों का प्रिलिम्स, फिर मेंस क्लियर हो गया. जब अगस्त 2019 में परिणाम आया तो 11 महीने की छोटी बहन जस्विता ने पूरे मध्य प्रदेश में पहला स्थान हासिल किया। जबकि बड़ी बहन अर्पिता इंटरव्यू में कुछ अंक से चूक गई. छोटी बहन के सफल होने के बाद अर्पिता ने अपनी तैयारी जारी रखी, इंदौर में जाकर 3 महीने के लिए जजमेंट राइटिंग की ट्रेनिंग ली, और अर्पिता का भी MPCJ 2023 में चयन हो गया.
पिता को दिया था जज बनने का वचन
जज बेटियों के पिता रंगनाथ शुक्ला ने बताया कि- मुझे मेरी बेटियों ने परिवार के कुलगुरु ‘श्री कृष्ण जी’ के सामने यह वचन दिया था कि ”दोनों बहनें ज्यूडिशरी में ही अपना करियर बनाएगीं”. मेरी बेटियों ने मुझसे किए वादे को पूरा कर दिया। मुझे अपनी बेटियों पर गर्व है. मेरा बेटा ‘तनिष्क’ एक्टर है लेकिन ‘बेटा भाग्य से मिलता है और बेटियां सौभाग्य से मिलती हैं’ मैं सौभाग्यशाली हूं कि अर्पिता-जस्विता मेरी बेटियां हैं, मुझे उनपर गर्व है.
जस्विता शुक्ला वर्तमान में मध्य प्रदेश के धार जिले के बदनावर में बतौर सिविल जज के रूप में अपनी सेवाएं दे रही हैं और अर्पिता शुक्ला की नियुक्ति ‘बेटी दिवस’ से ठीक एक दिन पहले 23 सितंबर 2023 को ही भोपाल के व्यव्हार न्यायालय में हुई है.
मुश्किलभरे हालातों में पढ़ना, पढ़ाना और घर की जिम्मेदारी उठाने की ताकत तो सिर्फ बेटियों में ही हो सकती है. आप सभी को ShabdSanchi.com की तरफ से Happy Daughters Day….