The Bengal Files: ‘गोपाल चंद्र मुखर्जी’ जिन्होंने हिंदुओं के लिए Jinnah के जिहादियों और Gandhi से लड़ाई लड़ी

Story Of Gopal Chandra Mukherjee In Hindi: फिल्म निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री (Vivek Ranjan Agnihotri) की फिल्म ‘द बंगाल फाइल्स’ (The Bengal Files) ने हाल के दिनों में काफी ध्यान आकर्षित किया है, खासकर क्योंकि यह 1946 के ग्रेट कलकत्ता किलिंग्स (Great Calcutta Killings) और उस समय के ऐतिहासिक किरदारों पर केंद्रित है। फिल्म में गोपाल मुखर्जी (Gopal Mukherjee), जिसे अक्सर गोपाल पंथा (Gopal Patha) के नाम से जाना जाता है, एक प्रमुख किरदार है। गोपाल मुखर्जी की भूमिका आज़ादी के समय और खासकर मोहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) द्वारा हिन्दुओं का नरसंहार (Massacre of Hindus) करने के लिए जारी किए गए डायरेक्ट एक्शन डे (Direct Action Day) के खिलाफ क्या थी? इसके अलावा, महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के खिलाफ उनकी भूमिका क्या थी, और अंततः उनके साथ क्या हुआ? आइए, इन सवालों के जवाब तलाशते हैं

कौन थे गोपाल चंद्र मुखर्जी

Who Was Gopal Mukherjee: गोपाल चंद्र मुखर्जी, जिन्हें गोपाल पंथा के नाम से जाना जाता है, एक विवादास्पद लेकिन महत्वपूर्ण ऐतिहासिक किरदार थे, जो 1946 के ग्रेट कलकत्ता किलिंग्स (Gopal Mukherjee Role In Great Calcutta Killings) के दौरान उभरे। वे कोलकाता (Kolkata) के एक गैंग लीडर थे, जो हिन्दू युवाओं को संगठित करके मुस्लिम लीग (Muslim League Violence) की हिंसा के खिलाफ प्रतिरोध का नेतृत्व किया।

गोपाल चंद्र मुखर्जी की जीवनी/ गोपाल मुखर्जी की कहानी

Gopal Chandra Mukherjee Ki Kahani: डायरेक्ट एक्शन डे (Direct Action Day) 16 अगस्त 1946 को मनाया गया था, जब मुस्लिम लीग (Muslim League) ने बंगाल को पाकिस्तान का हिस्सा बनाने की मांग के लिए हिंसा भड़काई। इस दौरान, कोलकाता में हजारों हिन्दुओं (Kolkata Hindu Genocide) की हत्या कर दी गई, और गोपाल मुखर्जी ने हिन्दू समुदाय की रक्षा के लिए मोर्चा संभाला।

कोलकाता हिंदू नरसंहार में गोपाल मुखर्जी की भूमिका

Gopal Mukherjee’s role in Kolkata Hindu massacre: डायरेक्ट एक्शन डे के दौरान, गोपाल मुखर्जी ने हिन्दू युवाओं को संगठित करके मुस्लिम भीड़ के खिलाफ लड़ाई लड़ी। वे कोलकाता के विभिन्न हिस्सों में हिंसा को रोकने और हिन्दुओं को शरण देने में सक्रिय रहे। इतिहासकारों के अनुसार, उन्होंने लगभग 10,000 हिन्दुओं को बचाया, जो मुस्लिम लीग की हिंसा का शिकार हो सकते थे। गोपाल मुखर्जी की टीम ने न केवल हिंसा का जवाब दिया, बल्कि उन्होंने मुस्लिम लीग को यह संदेश दिया कि कोलकाता हिन्दू बहुल रहेगा। उनकी कार्रवाइयों ने बंगाल को पाकिस्तान का हिस्सा बनने से रोका, क्योंकि मुस्लिम लीग को हिन्दू प्रतिरोध का सामना करना पड़ा।

गोपाल मुखर्जी बनाम गांधी

Gopal Mukherjee vs Gandhi: गोपाल मुखर्जी का महात्मा गांधी (Gopal Mukherjee Mahatma Gandhi Story In Hindi) के खिलाफ रवैया काफी कड़ा था, क्योंकि वे गांधी की अहिंसा और समझौता की नीति से असहमत थे। गांधी ने डायरेक्ट एक्शन डे (Gandhi’s Role In Direct Action Day) के बाद बंगाल में शांति स्थापित करने के लिए प्रयास किया, लेकिन गोपाल मुखर्जी का मानना था कि गांधी की नीतियां हिन्दुओं को कमजोर करती हैं। उन्होंने गांधी को “हिन्दुओं का गद्दार” (Gandhi Was Traitor to Hindus) तक कहा, क्योंकि गांधी मुस्लिम लीग (Gandhi’s Relation With Muslim League) के साथ वार्ता और समझौता की वकालत करते थे। यह रवैया गांधी की हत्या के बाद और भी स्पष्ट हो गया, जब गोपाल मुखर्जी ने गांधी के हत्यारों को “देशभक्त” बताया।

आजादी के बाद गोपाल मुखर्जी के साथ क्या हुआ?

What happened to Gopal Mukherjee after independence: गोपाल मुखर्जी का जीवन (Life of Gopal Mukherjee) विवादों और चुनौतियों से भरा रहा। डायरेक्ट एक्शन डे (Gopal Mukherjee Role In Direct Action Day) के बाद, उन्हें ब्रिटिश सरकार और बाद में भारतीय सरकार द्वारा गिरफ्तार किया गया, क्योंकि उनकी गतिविधियों को हिंसक माना गया। 1947 में उन्हें रिहा कर दिया गया, लेकिन 1950 में फिर से गिरफ्तार किया गया, जब वे एक राजनीतिक पार्टी (Gopal Mukherjee Political Party) का हिस्सा बने। 1952 में उन्हें फिर रिहा किया गया, लेकिन उनके खिलाफ कई मामले दर्ज थे।

1960 के दशक में गोपाल मुखर्जी ने राजनीति से दूरी बना ली और सामाजिक कार्य में लग गए। उन्होंने कोलकाता में कई स्कूल और अस्पताल स्थापित किए, लेकिन उनकी छवि हमेशा विवादास्पद रही। 1981 में उनकी मृत्यु हो गई, लेकिन उनके नाम और कार्य आज भी इतिहास में विवादित रहते हैं।

द बंगाल फाइल्स’ में गोपाल राय की भूमिका

Gopal Rai’s role in ‘The Bengal Files: विवेक रंजन अग्निहोत्री की ‘द बंगाल फाइल्स’ में गोपाल मुखर्जी को एक नायक के रूप में पेश किया गया है, जो हिन्दू समुदाय की रक्षा के लिए लड़ा। फिल्म में उनके किरदार को डायरेक्ट एक्शन डे (Direct Action Day) के खिलाफ प्रतिरोध और गांधी की नीतियों के खिलाफ विद्रोह के रूप में दिखाया गया है। हालांकि, फिल्म ने विवाद पैदा किया है, क्योंकि कुछ इतिहासकार का मानना है कि गोपाल मुखर्जी को glorify करना इतिहास के साथ न्याय नहीं करता। फिल्म 5 सितंबर 2025 को रिलीज होगी, और इसे नेक्स्टफ्लिक्स पर भी स्ट्रीम किया जाएगा।

गोपाल मुखर्जी का निधन कब और कैसे हुआ

When and how did Gopal Mukherjee die: विकिपेडिया के अनुसार गोपाल चंद्र मुखर्जी का निधन 10 फरवरी 2005 को 91वे साल की उम्र में हुआ था. उनकी मौत का कारण प्राकृतिक था।

गोपाल चंद्र मुखर्जी का परिवार कहां रहता है?

Family of Gopal Chandra Mukherjee: गोपाल चंद्र मुखर्जी का परिवार आज भी मौजूद है, और वे कोलकाता (Kolkata) में रहते हैं। उनकी पोती, सुप्रिया मुखर्जी (Supriya Mukherjee), ने हाल के वर्षों में मीडिया और इंटरव्यू में अपने दादा की विरासत और उनकी भूमिका को लेकर बात की है। 2023 में, सुप्रिया ने एक इंटरव्यू में कहा कि परिवार गोपाल मुखर्जी के योगदान को याद करता है, लेकिन वे उनकी विवादास्पद छवि से भी अवगत हैं।

गोपाल मुखर्जी के पोते, सांतनु मुखर्जी (Santanu Mukherjee), ने भी 2023 में मीडिया को बताया कि परिवार उनके दादा की स्मृति को संजोए हुए है, और उन्होंने ग्रेट कलकत्ता किलिंग्स (Great Calcutta Killings) के 77वें anniversary पर उनके बारे में बात की। सांतनु ने कहा कि गोपाल मुखर्जी ने न केवल हिन्दुओं की रक्षा की, बल्कि कई मुस्लिमों को भी बचाया, जो अक्सर अनदेखा रहता है। परिवार अभी भी कोलकाता में उनके द्वारा स्थापित की गई संपत्तियों, जैसे स्कूल और अस्पताल, का प्रबंधन करता है।

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