मध्य प्रदेश की राजनीति में विंध्य हमेशा से केंद्र बिंदु रहा है. कहा जाता है कि जिसने विंध्य को साध लिया मानो राज्य में उसकी सरकार बन गई. विंध्य के कुछ नेता इन दिनों प्रदेश की राजनीति में बवाल मचाए हुए हैं.
MP Chunav 2023: सात जिलों और 30 सीटों वाले विंध्य क्षेत्र में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी- कांग्रेस दोनों ही बगावत से परेशान हैं। हाल ही में पूर्व विधानसभा स्पीकर स्व. श्रीनिवास तिवारी के पौत्र, सिद्धार्थ तिवारी बुधवार 18 अक्टूबर को कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए। उनके पिता स्व. सुंदरलाल तिवारी भी कांग्रेस विधायक रहे हैं। सिद्धार्थ त्योंथर से टिकट चाह रहे थे, जो नहीं मिला, इसी लिए उन्होंने अपने पारिवारिक लेगेसी को तोड़ दिया और कांग्रेस छोड़ भाजपाई बन गए. मजे की बात ये है कि एक दिन में सिद्धार्थ ने पीएम मोदी को अपना नेता मान लिया और बीजेपी की विचारधारा को अपना लिया।
वहीं सेमरिया से 2008 में विधायक के रूप में जीते अभय मिश्रा ने भी 18 अक्टूबर की शाम को बीजेपी से इस्तीफा दे दिया। मिश्रा अगस्त में कांग्रेस से बीजेपी में आए थे, जबकि 2018 के चुनावों से पहले वो विधायक पत्नी नीलम मिश्रा (सेमरिया-2013) के साथ बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में गए थे। मिश्रा ने त्यागपत्र में लिखा कि बीजेपी नेतृत्व ने सेमरिया से टिकट को लेकर वादाखिलाफी की, केपी त्रिपाठी को टिकट दे दिया। क्षेत्र की जनता उन पर कांग्रेस से लड़ने का दबाव बनाए हुए है।
हर दल के रडार पर… बसपा-सपा का यहां परंपरागत वोट बैंक
विंध्य बीजेपी का गढ़ रहा है। पार्टी ने 2018 में 24 सीटें जीती थी पर अब एंटी इनकम्बेंसी के अलावा आंतरिक कलह जैसे मुद्दे हैं। कांग्रेस 2003 में 4 और 2008 में 2 सीटें जीत पाई थी। 2013 में पार्टी ने 12 सीटें जीती पर 2018 में 6 पर सिमट गई।
आम आदमी पार्टी की प्रदेशाध्यक्ष रानी अग्रवाल, सिंगरौली से मेयर बन चुकी हैं। अब अपनी पार्टी AAP का विंध्य में प्रभाव बढ़ाना चाहती हैं। 39 टिकटों में से AAP ने 10 विंध्य में दिए। सपा ने 31 टिकटों में से 11 जबकि बसपा ने 73 में से 13 विंध्य में दिए हैं। यूपी से सटे इलाकों में दोनों का वोट बैंक है।
जानिए किस सीट पर क्या चल रहा
मैहर
मैहर पूर्व विधायक नारायण त्रिपाठी (Narayan Tripathi) बीजेपी इस्तीफा दे चुके हैं। कहां जाएंगे, अभी तय नहीं है। अपनी ही पार्टी को लगातार घेरते रहें। अभी हाल ही में रोड शो कर अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया है. खबर है कि अपनी खुद की पार्टी VJP बनाने के बाद भी वे कांग्रेस की टिकट का जुगाड़ करने में लगे हैं. सूत्रों की माने तो यहां भी उनका काम नहीं बनने वाला।
चुरहट
चुरहट से अजय सिंह राहुल (Ajay Singh Rahul) कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। विधायक शरदिंदु तिवारी पर बीजेपी ने फिर दांव लगाया है। AAP ने पूर्व भाजपा विधायक गोविंद सिंह के बेटे अनेंद्र को उतारा है। विंध्य की ये सीट हॉटसीट बानी हुई है क्योंकि अजय सिंह राहुल यहां से पिछला चुनाव हार चुके हैं, यही नहीं 2014 लोकसभा चुनाव से लगातार हार रहे हैं, ऐसे में अगर वो फिर से हारते हैं तो उनकी राजनीति ख़त्म हो सकती है.
सीधी
सीधी पेशाब कांड से चर्चित सीट पर बीजेपी ने विधायक केदार नाथ शुक्ला (Kedar Nath Shukla) का टिकट काटकर सांसद रीति पाठक को उतारा है। केदार नाथ शुक्ला ने निर्दलीय लड़ने की घोषणा कर दी है।
सतना
बीजेपी ने सांसद गणेश सिंह (Ganesh Singh) को चुनावी मैदान में उतारा है। यहां से वर्तमान विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा कांग्रेस से प्रत्याशी हैं। बीजेपी पूर्व विधायक शंकरलाल तिवारी टिकट न मिलने से नाराज चल रहे हैं। वहीं रत्नाकर चतुर्वेदी शिवा (Ratnakar Chaturvedi Shiva) बीजेपी छोड़ बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए हैं. पार्टी उन्हें टिकट दे सकती है अगर ऐसा होता है तो मुकाबला त्रिकोणी होगा।
मऊगंज
मऊगंज से बीजेपी ने निवर्तमान विधायक प्रदीप पटेल को टिकट दिया है। पटेल रामायण पर लिखी किताब को लेकर विवादों में हैं. बीजेपी कार्यकर्ता भी विरोध जता चुके हैं। काग्रेस ने यहां से सुखेंद्र सिंह बना को टिकट दिया है।
मानपुर
मानपुर मंत्री मीना सिंह भ्रष्टाचार को लेकर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के निशाने पर है। प्रदर्शन में कई कार्यकर्ता जेल गए। पार्टी जेल में बंद राधेश्याम काकोड़िया को मीना के खिलाफ उतारने के मूड में है।
इस चुनाव में विंध्य के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले कुछ दिनों में पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल और सपा प्रमुख अखिलेश यादव विंध्य में रैलियां कर चुके हैं। अब कौन चुनाव जीतेगा? किसे हार का सामना करना पड़ेगा ये तो जनता डिसाइड करेगी।