SIXTH-DAY Maa Katyayni Chalisa In Hindi : मां कात्यायनी का सौम्य रूप वर्णन व पूजन का महत्व और लाभ – नवरात्रि का छठा दिन देवी दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी को समर्पित होता है। महर्षि कात्यायन के घर जन्म लेने के कारण उन्हें ‘कात्यायनी’ कहा जाता है। मां कात्यायनी को शक्ति, साहस और विजय की देवी माना जाता है। उनकी उपासना से न केवल जीवन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं, बल्कि अविवाहित कन्याओं को सुयोग्य वर की प्राप्ति भी होती है।
जानिए कैसे हुई मां कात्यायनी की उत्पत्ति –
महर्षि कात्यायन ने कठोर तपस्या कर देवी को पुत्री रूप में प्राप्त किया। देवी ने उनके घर जन्म लिया और इसी कारण उनका नाम ‘कात्यायनी’ पड़ा।
माता कात्यायनी का अद्भुत स्वरूप और विशेषताएं –
अत्यंत ही अद्भुत रूप है मां कात्यायनी को । माता का मुखमंडल सुकोमल और लालिमा लिए दिव्य कांति से प्रकाशित है। माता वनराज यानी सिंह की सवारी करती हैं। उनके चार भुजाएं होती हैं माता के दो हाथों में शस्त्र और कमल धारण हैं, जबकि अन्य दो वर और अभय मुद्रा में रहती हैं। मां कात्यायनी का रंग सुनहरी आभा के समान बताया गया है,उनका स्वरूप शक्ति और तेज का प्रतीक है।
मां कात्यायनी की पूजा का महत्व –
मां कात्यायनी की पूजा से आत्मबल और साहस की प्राप्ति होती है। भक्त अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करते हैं। जीवन की सभी बाधाएं, रोग-दोष और संकट दूर होते हैं। अविवाहित कन्याओं को मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है। ब्रज की गोपियों ने भगवान कृष्ण को पाने के लिए इन्हीं की पूजा की थी।
माता कात्यायनी का चालीसा – SIXTH-DAY Maa Katyayni Chalisa In Hindi
जय जय जय हे अम्बे भवानी। त्रिभुवन पालक संकट हरनी॥
सिंहासिनि जगजननि दयाला। पार न पावै गुण महाकपाला॥
जगदम्बा सब संकट हरनी। कृपा करहु दुख दोष निवरनी॥
जय जय जय शरणागत माता। तुम बिन और न दूजा त्राता॥
कृपा करो हे करुण निधानि। सब पर होवहु दयाल भवानी॥
धन्य हुए हम सब नर-नारी। जो सुमिरें तुमको महतारी ॥
तुम कात्यायनी तू ही काली। तुम जग – जननी अति निराली॥
तू ही दुर्गा तू भवतारिणी। दुख हरणि भवपार उतारिणी॥
शरण तिहारे जो जन आवै। भवसागर सो तर ही जावै॥
नाम तुम्हारो जो जन गावै। सबई मनोरथ सिद्धि पावै॥
कष्ट को काटे रोग मिटावै। जो नर नित-नित तुम्हें ध्यावै॥
अन्नपूर्णा अन्न प्रदायनि। सब पर होवहु दया निज जानी ॥
लक्ष्मी रूप धन वैभव दायिनी। संत जनन की रखवालीनी॥
शक्ति रूप जग में विख्याता। तीनों लोक करें जयगाता॥
रुद्राणी तू विश्व विधात्री। पालनकर्ता सकल सृष्टि की॥
जो नर श्रद्धा हृदय लगावै। अम्बे चरणन में फल पावै॥
संकट में जो सुमिरन करई। भवदुख सब त्वरित टरई॥
ऋण से ग्रसित नर जो होई। पाठ तुम्हारा मोचन सोई॥
बालकहीन जाके घर होई। माता कृपा करि सुख सोई॥
पुत्र रत्न प्रदान कर दैनी। भवतारिणी कृपा कर दैनी॥
जो नर साधे नियम उपासी। सब पर कृपा करहु विन्ध्यवासी॥
ध्वजा नारियल चढ़ाकर कोई। पूजन विधि से करै जो सोई॥
जय जय जय जगजननि भवानी। दीन दयालु कृपा की खानी॥
यह अम्बे स्तुति जो जन गावे। भवसागर से तर ही जावे॥
मां कात्यायनी का अति प्रिय भोग और प्रिय वस्तुएं –
माता कात्यायनी को शहद का भोग अत्यंत प्रिय होता है। विशेष अनुष्ठान हेतु उन्हें शहद का भोग अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। जबकि श्रृंगार में लाल रंग के फल-फूल और वस्त्र चढ़ाए जाते हैं साथ ही पीले रंग के पुष्प भी, मां को प्रिय हैं।
देवी कात्यायनी की आराधना से मिलने वाले लाभ –
मां कात्यायनी देवी की पूजा-अर्चना से शत्रुओं का नाश और विजय प्राप्ति होती है। जीवन से सभी प्रकार के भय, रोग और शोक का निवारण होता है,विवाह के योग बनते हैं और कन्याओं को योग्य वर की प्राप्ति होती है,चारों दिशाओं से सुरक्षा प्राप्त होती है।
विशेष – मां कात्यायनी शक्ति, स्त्रीत्व और सम्मान की प्रतीक देवी हैं। उनकी उपासना से न केवल भौतिक और मानसिक कष्ट दूर होते हैं, बल्कि जीवन में उत्साह और विजय का संचार भी होता है। नवरात्रि के छठे दिन श्रद्धा और आस्था से मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्त को हर क्षेत्र में सफलता और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।