Rewa News: संस्कृति विभाग ने मनाया ‘श्रीकृष्ण पर्व’- हलधर महोत्सव, भक्ति और लोक संस्कृति का अनूठा संगम

'Shri Krishna Festival' organized by Culture Department in Krishna Raj Kapoor Auditorium Rewa

‘Shri Krishna Festival’ organized by Culture Department in Krishna Raj Kapoor Auditorium Rewa: रीवा। संस्कृति विभाग द्वारा कृष्ण राजकपूर ऑडिटोरियम में ‘श्रीकृष्ण पर्व’- “हलधर महोत्सव एवं लीला पुरुषोत्तम का प्रकटोत्सव” का भव्य आयोजन किया गया। बीहर नदी के किनारे श्रीकृष्ण की पावन लीलाओं की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को भक्ति रस में डुबो दिया।

कार्यक्रम में सागर के दूर्वा नामदेव, रीवा की मणिमाला सिंह और मुंबई के रवि त्रिपाठी व उनके ग्रुप ने अपनी प्रस्तुतियों से समा बांध दिया।रीवा की मणिमाला सिंह ने अपने मधुर भक्ति गायन से भारतीय परंपरा और लोक कथाओं को जीवंत कर दिया। उन्होंने गणेश वंदना “आज की रात रुक जाना गंजानंद हमरी नगरिया में” से शुरुआत की, इसके बाद सोहर गीत “भादो रैन भयावन…”, बधाई गीत “बधावा नंद के घर आज…”, “बाजी-बाजी रे बधइयां बड़ी दूर…”, झूला गीत “झूला पड़ा कदम की डाली…” और “हिंडोली सोवत कान्हा की माया गोहराम…” जैसे गीतों की भावपूर्ण प्रस्तुति दी।

सागर के दूर्वा नामदेव ने बुंदेलखंड की सांस्कृतिक परंपरा को दर्शाते हुए बधाई नृत्य प्रस्तुत किया। यह नृत्य जन्म, विवाह और तीज-त्योहारों पर किया जाता है, जिसमें स्त्री-पुरुष उमंग के साथ नाचते हैं। विशेष रूप से मन्नत पूरी होने पर मंदिरों में और परिवार में नाती-पोतों के जन्म पर बुजुर्ग महिलाएं वंश वृद्धि के हर्ष में बधाई नृत्य करती हैं। ढपला, टिमकी, रमतूला और बांसुरी जैसे वाद्य यंत्रों के साथ नर्तकों की रंगारंग वेशभूषा, चेहरे का उल्लास और लचकदार पद संचालन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

मुंबई के रवि त्रिपाठी और उनके साथी कलाकारों ने “मोरे कृष्णा मोरे कृष्णा…”, “यशोमति मैया से…”, “वृंदावन का कृष्ण कन्हैया…”, “श्याम तेरी बंशी…”, “इक राधा इक मीरा…”, “गोविंदा आला रे…”, “बड़ी देर भई नंदलाला…”, “गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो…” और “कभी राम बनके कभी श्याम बनके…” जैसे भक्ति गीतों की मधुर प्रस्तुति दी। यह आयोजन श्रीकृष्ण की लीलाओं और लोक संस्कृति के संगम का अनूठा उत्सव बन गया, जिसने दर्शकों को भक्ति और उल्लास से सराबोर कर दिया।

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