बालाघाट। माओवादी सुनीता ओयाम जिसने 20 साल की आयु में जंगल का रूख किया था, लेकिन इस दुनिया को वह अब 23 साल की आयु में अलविदा कह दिया है। छोटा कद मासूम सा चेहरा वाली 23 साल की सुनीता ओयाम ने कंधे से बंदूक उतरकार पुलिस के सामने रख दिया और अपने नए सपनों के साथ जीवन की एक नई शुरूआत कर दी है। मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में बीजापुर की माओवादी सुनीता ओयाम ने सरेंडर कर दिया है।
12 साल बाद बालाघाट में माओवादी का सरेंडर
मध्यप्रदेश के बालाघाट में 12 साल बाद ऐसा अवसर आया जब किसी माओवादी ने सरेंडर किया है। यह मप्र की नई आत्मसमर्पण पुनर्वास सह राहत नीति-2023 के तहत पहला आत्मसमर्पण है। पुलिस अधीक्षक आदित्य मिश्रा ने कहा पुनर्वास की चाह रखने वाले माओवादियों को लाभ दिया जाएगा। सुनीता, पिता बिसरू ओयाम, ने बालाघाट के लांजी अंतर्गत चौरिया चौकी के हाक फोर्स कैंप में हथियारों के साथ आत्मसमर्पण किया। माओवादी सुनीता को कई राज्यों की पुलिस तलाश कर रही थी। उस पर तीन राज्यों में कुल 14 लाख रुपये का इनाम था।
सुनीता ऐसे चल पड़ी थी माओवाद के रास्ते पर
सुनीता वर्ष 2022 में माओवादी संगठन में शामिल हुई थी और फरवरी 2025 से बालाघाट में सक्रिय थी। उसके पिता बिसरू ओयाम भी माओवादी थे, लेकिन माओवादी लीडर शगनू ने उसे जल-जंगल और जमीन का भ्रामक पाठ पढ़ाकर मओवाद के रास्ते पर ला खड़ा किया। सरेंडर करने वाली सुनीता का कहना है कि उसे बाद में यह समझ आई की मोओवाद की खोखली विचारधारा में वह फंस कर रह गई है। उसने माओवाद संगठन के बड़े लीर्डरों की कार्यगुजरियों का राज भी खोला।
हथियार चलाने में है माहिर
सुनीता ओयाम अत्याधुनिक और देसी हथियार चलाने में न सिर्फ माहिर है बल्कि इंसास रायफल, बीजीएल की अच्छी जानकार। इसके लिए सुनीता ने माओवादियों शिविर में 8 महीने की ट्रेनिग लिया था।
