Shivraj Chouhan On Constitution : Shivraj Singh Chouhan बोले Indian Constitution से समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष शब्द को हटाने पर होना चाहिए विचार

Shivraj Chouhan On Constitution : केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान आपातकाल के 50 वर्ष पूर्ण होने पर संविधान में हुए संशोधन एवं उस समय की सरकार पर हमलावर नज़र आए आपको बता दें कि शिवराज सिंह चौहान बोले भारतीय संस्कृति में समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता की भावना पहले से ही निहित है। ऐसे में संविधान में इन शब्दों की कोई जरूरत नहीं है। शिवराज ने कहा कि संविधान से इन दोनों शब्दों को हटाने पर विचार करना जरूरी है।

शिवराज से पूछा गया कि भारतीय संविधान से समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता शब्दों को हटाने की बात हो रही है, इस पर आपका क्या कहना है? इसके जवाब में उन्होंने प्राचीन ग्रंथों का हवाला देते हुए कहा कि दोनों शब्दों में निहित भावनाएं पहले से ही भारतीय संस्कृति का हिस्सा हैं। इन शब्दों को संविधान से हटाने के बारे में जरूर विचार होना चाहिए।

सर्वधर्म सद्भाव भारतीय संस्कृति का मूल है। Shivraj Chouhan On Constitution

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान बोले भारत बहुत प्राचीन और महान राष्ट्र है। हमारा भारत सभी धर्मों का सम्मान करता है। और भारत की मूल भावना सभी धर्मों में समरसता है। यह वह भारत है जिसने आज नहीं, हजारों साल पहले कहा था, ‘एकं सद्विप्रा बहुधा वदंति’, सत्य एक है, विद्वान इसे अलग-अलग तरीकों से कहते हैं। यह वह भारत है जो कहता है ‘मुंडे मुंडे मतिर्भिन्ना’, जो विभिन्न भावनाओं का सम्मान करता है, चाहे पूजा की पद्धति कोई भी हो।

स्वामी विवेकानंद ने भी शिकागो जाकर कहा था कि, कोई भी रास्ता अपनाओ, अंततः परमपिता परमेश्वर तक पहुंचोगे। सभी धर्मों में समरसता भारतीय संस्कृति का आधार है। धर्मनिरपेक्षता हमारी संस्कृति का आधार नहीं है और इसलिए इस पर विचार किया जाना चाहिए कि आपातकाल के दौरान जो धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़ा गया था, उसे हटा दिया जाना चाहिए।

सर्वे भवन्तु सुखना सर्वे संतु निरामया भारत की मूल भावना है।

शिवराज सिंह ने कहा, “समाजवाद की मूल विचारधारा सबको अपना समझना है, ‘अयं निजः परो वेति गणना लघु चेतसाम्, उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम” यह पूरा विश्व एक परिवार है, यही भारत की मूल भावना है। जियो और जीने दो, जीवों में सद्भावना हो, विश्व का कल्याण हो, सर्वे भवन्तु सुखिना सर्वे सन्तु निरामया, यही भारत की मूल भावना है और इसलिए यहां समाजवाद की कोई जरूरत नहीं है। हम वर्षों से कहते आ रहे हैं, सिया राम मय सब जग जानी, सबको एक समान मनो, इसलिए समाजवाद शब्द की कोई जरूरत नहीं है, देश को इस बारे में जरूर सोचना चाहिए।

शिवराज ने आपातकाल के समय को याद किया | Shivraj Chouhan On Constitution

आपातकाल की उस गैर लोकतांत्रिक घटना जिसे भारत का कला दिवस के रूप में भी याद किया जाता है। उसके 50 वर्ष पूर्ण होने पर उत्तर प्रदेश के वाराणसी में शिवराज सिंह ने आपातकाल के समय को याद करते हुए कहा “मैंने जेल में इतने अमानवीय अत्याचार देखे। यह लोकतंत्र का इतना काला दौर था कि मुझे आज भी आश्चर्य होता है कि वास्तव में ऐसा हुआ था। कोई इतना बड़ा पाप और अन्याय कैसे कर सकता है?” शिवराज ने बताया कि आपातकाल के समय वे 16 साल के थे और स्कूल में पढ़ते थे। वे आपातकाल के खिलाफ पर्चे बांटते थे। एक दिन पुलिस ने उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया और भोपाल सेंट्रल जेल में बंद कर दिया गया

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