“शौर्य का विजय तिलक उत्सव” क्या है अंगूठे से तिलक का महत्व?

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Shaury Ka Vijay Tilak Utsav Kya Hai | न्याज़िया बेगम: कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी हमले के बाद, भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान पर किये गये सैन्य कार्रवाई को लेकर, भारतीय सेना और भारत सरकार का आभार व्यक्त करने के लिए देशभर में कई जगह हर्ष दिवस मनाए गए। जिसमें एक-दूसरे को विजय तिलक लगाया जाता है, भारतीय सेना ज़िंदाबाद के नारे लगाए जा रहे हैं। ये वो क्षण है जब भारतीय सेना के शौर्य एवं पराक्रम पर हर भारतवासी गर्व महसूस करता है।

आतंकवादी हमलों के बाद हुआ ऑपरेशन सिंदूर

आतंकवादियों ने कई आतंकी हमले किए और पहलगाम में बेगुनाहों की जान ले ली, जिसके बाद उन्हें मूँ तोड़ जवाब देना ज़रूरी था, इसलिए इस बार जवाबी कार्रवाई की गई, ऑपरेशन सिंदूर चलाया गया। जिसके सफल होने के बाद देश प्रेमियों के बीच ये भी आवाज़ आई, कि आतंकवाद के समूल नाश होने तक, ऑपरेशन सिंदूर को निरंतर जारी रखा जाये, और देश में वार करने वालों को बख्शा न जाए। हमारे सैनिकों को ये एहसास कराया कि पूरा देश उनके साथ है वो सीमा पर अकेले नहीं हैं।
अदम्य साहस से उन्होंने पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब दिया है, भारतीय सैनिक देश की आन बान शान हैं।

“शौर्य का विजय तिलक उत्सव”

इसलिए उनके पराक्रम, शौर्य और विजय की कामना करते हुए “शौर्य का विजय तिलक” आयोजित किया जा रहा है। इसे आमतौर पर अंगूठे से लगाया जाता है, जो शक्ति और सम्मान का प्रतीक माना जाता है। विशेष रूप से दशहरा या रक्षाबंधन जैसे त्योहारों पर, बहनें अपने भाइयों को विजय और सफलता के लिए अंगूठे से तिलक लगाती हैं।

अंगूठे से तिलक का महत्व

अंगूठा सूर्य का प्रतिनिधित्व करता है। जो दृढ़ता, तेजस्वी और सम्मान का प्रतीक है। इसलिए विजय तिलक आमतौर पर अंगूठे से ही किया जाता है। विजय की कामना इस तिलक को लगाने का प्रमुख उद्देश्य होता है। किसी को विजय, सफलता और शक्ति प्रदान करना होता है।

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