शर्मीली फिल्म की दिलचस्प कहानी हमारी ज़ुबानी

शर्मीली फिल्म की दिलचस्प कहानी—हमारी ज़ुबानी

Bollywood Superhit Film Sharmeelee :आज बात करते हैं 1971 में बनी सुबोध मुखर्जी की फिल्म “शर्मीली ” की ,
 जिसमें नायक हैं “शशि कपूर”और नायिका हैं “राखी” इनके अलावा मुख्य किरदार निभाए हैं -नरेंद्र नाथ, नज़ीर हुसैन , इफ्तिखार , एसएन बनर्जी, अनीता गुहा ,असित सेन और दुलारी ने। निर्देशन किया है, समीर गांगुली ने।

फिल्म की कुछ खासियत की बात करें तो :-

राखी ने इस फिल्म में दोहरी और दमदार भूमिका निभाई थी और इसकी सफलता ने उन्हें हिंदी फिल्मों में दशक की शीर्ष अभिनेत्रियों में से एक बना दिया था तो दूसरी तरफ खलनायक रंजीत ने शर्मीली फिल्म से अपने करियर की शुरुआत की थी। इफ्तिखार हमेशा की तरह सेना से जुड़े हैं और आर्मी ऑफिसर हैं ।
शर्मीली फिल्म के गीत 1971 के बिनाका गीतमाला के टॉप 10 गीतों में शामिल थे।

रोमांटिक से थ्रिलर में जाता दिलचस्प स्टोरी ट्रैक :-

फिल्म की कहानी की बात करें तो वो बेहद दिलचस्प है और रोमांटिक ट्रैक से शुरू होती है, लेकिन जब हम इसके बहाव में बहने लगते हैं तो बीच रास्ते में फिल्म कुछ सस्पेंस क्रिएट करते हुए थ्रिलर की ओर शानदार मोड़ लेती है वो ऐसे कि फिल्म शुरू होती है ,भोली -भाली सीधी -साधी कंचन की मासूम सी मुस्कराहट और चंचल अदाओं से लेकिन कुछ ही पलों में एक घायल परिंदा उसे मिलता है और वो संजीदा हो जाती है फिर उसका इलाज कराने के लिए वो फादर जोसेफ के पास पहुँचती है पर बड़ी मुश्किल से अपने आने की वजह बता पाती है तब कहीं जाकर फादर परिंदे को दवाई लगाते हैं। ” यहाँ हमको ये समझ आ जाता है कि कंचन कितनी मासूम है “, इतने में कंचन को ढूँढने आई नौकरानी से फादर को पता चलता है कि आज फिर कंचन को लड़के वाले देखने आ रहे हैं जी हाँ ये कई बार हो चुका था कि “कंचन” को लड़के वाले देखने आते थे लेकिन उसी की हमशक्ल जुड़वा बहन “कामिनी” को पसंद कर लेते क्योंकि वो काफी हँसमुख दिखती, सबसे बात करती और घुल मिल जाती थी। इस बार भी ऐसा ही हुआ ,इस बात से पूरा घर परेशान था यहाँ तक कि कंचन भी पर कामिनी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

कामिनी अभी खुलके जीना चाहती थी ,उसके लिए लाइफ में अभी बहोत से एडवेंचर थे जिनका उसे अभी मज़ा लेना था और इसीलिए वो इसके बाद अपनी सहेलियों के साथ कश्मीर चली जाती है वहाँ बर्फीले तूफ़ान के बीच गेस्ट हाउस में रुकती है लेकिन वहाँ खाने के लिए कुछ नहीं था और केयरटेकर भी बाहर निकलने के लिए मना कर देता है ,तभी खिड़की से कामिनी को कुछ लाइटें जलती दिखती हैं और वो केयरटेकर से कहती है कि सामने बस्ती दिख तो रही है तुम तो कह रहे थे कि बस्ती दूर है तब वो कामिनी को बताता है कि ‘ये आर्मी ऑफिसर्स मेस है जहाँ किसी आम आदमी का जाना मना है’ पर कामिनी और उसकी सहेलियों को बहोत तेज़ भूख लगी होती है इसलिए वो चुपके से आर्मी मेस में दाखिल होती है और ज़िंदादिल जवान कैप्टन “अजीत” की शायरी भी चुपके से सुन लेती है एक नज़र में शायद उसकी फैन हो जाती है लेकिन उसे खाना चुराना था इसलिए किचेन में जाकर सब सामान एक टोकरी में रख लेती है और जाने लगती है कि उसे वहाँ का बावर्ची देख लेता है और शोर मचा देता है। इसी बीच अजीत की नज़र उस पर पड़ती है और वो उसका पीछा करते हुए बाहर आ जाता है उसके पीछे और ऑफिसर्स भी पहुँचते हैं लेकिन कामिनी गिरकर बेहोश होने का नाटक करते हुए औंधे मूँ गिर जाती है और अजीत उसे चोर समझते हुए जब उसे सीधा करता है तो ‘जापानी गुड़िया’ सा उसका खूबसूरत चेहरा देखता ही रह जाता है फिर सब उसे अंदर ले जाते हैं ,डॉक्टर को बुलाने को कहते हैं तो कामिनी आँख खोलकर उठ के बैठ जाती है और सब सच बता देती है कि वो और उसकी सहेलियाँ भूखी हैं इसलिए उसने चोरी की। इसके बाद अजीत कामिनी की ख़ूबसूरती और बोलने के अंदाज़ से ही उस पर फ़िदा हो जाता है और उसे खाना पहुँचाने उसके गेस्ट हाउस चल देता है जहाँ कामिनी भी अजीत की उस शायरी की तारीफ़ करते हुए उन्हें दोबारा शायरी सुनाने को कहती है जो उसने छुपके सुनी थी फिर कामिनी और उसकी सहेलियों की फरमाइश पर अजीत गाना सुनाता है” खिलते हैं गुल यहाँ…”

कामिनी और अजीत इस मुलाक़ात में मानो दिल ही दिल में एक दूसरे को दिल दे बैठते हैं लेकिन जब अगली मुलाक़ात के लिए अजीत गेस्ट हाउस पहुँचता है तो कामिनी जा चुकी होती है अजीत भी छुट्टियों में अपने घर यानी फादर जोसेफ़ के पास पहुँचता है जिन्होंने उसे पाल पोसकर बड़ा किया है। जोसेफ साहब कंचन को अपने बेटे के लिए पसंद कर चुके थे लेकिन फिर भी अजीत से उसकी मर्ज़ी पूछते हैं तो वो कहता है एक लड़की मिली तो थी पर बात नहीं बन पाई वो ख्वाब की तरह आई और चली गई इसलिए आप जहाँ कहेंगे मै वहाँ शादी कर लूँगा लेकिन फादर उससे कहते हैं पहले वो लड़की को देख ले वो आज के ज़माने जैसी नहीं है, थोड़ा कम पढ़ी लिखी भी है तो अजीत उसे देखने के लिए राज़ी हो जाता है ,पर जब वो लड़की देखता है तो उसे ये पल उसके सपने के सच हो जाने जैसा लगता है। कंचन से अकेले में मिलने पर वो गीत गाता है “ओ मेरी शर्मीली…” वो कंचन को कामिनी समझता है इसलिए ये उसके लिए एक बिंदास लड़की की शर्माने वाली नई अदा थी जिससे वो बेहद खुश था लेकिन जल्द ही उसकी ग़लत फहमी खुद कामिनी उसके सामने आकर दूर कर देती है और उसके बाद अजीत भी कंचन से शादी करने को मना कर देता है और एक बार फिर कंचन उदास हो जाती है लेकिन अपनी बहन के लिए खुश रहती है और यहाँ गीत गाती है – “मेघा छाये आधी रात. ..”

कामिनी अपनी शादी को लेकर बहोत खुश है ,ऐसे में एक दिन स्विमिंग पूल में उसका पुराना प्यार यानी ‘कुंदन’ मिलता है जो उसे परेशान करता है तो वो उसे बताती है कि अब वो अजीत से शादी करने वाली है इसलिए वो उससे दूर रहे पर वो कामिनी के रवैये से अच्छे से वाक़िफ़ है इसलिए कहता है कि इससे क्या फ़र्क़ पड़ता है कि तुम शादी किस से कर रही हो ये बात अजीत सुन लेता है और दोनों में खूब हाँथा पाई होती है।

अब कहानी में आता है कुंदन का बॉस टाइगर जो कुंदन को भरोसा दिलाता है कि कामिनी उसकी होके रहेगी लेकिन कुंदन और इंतज़ार नहीं कर पाता फिर ठीक कामिनी की शादी के दिन, वो उसे अजीत के नाम से लेटर लिख कर उसे सूनसान पहाड़ी पर मिलने को बुलाता है और फिर उसे अकेला पाकर परेशान करता है। इस झगड़े में मौका मिलते ही कामिनी अपनी गाड़ी में बैठ जाती है और उसके ऊपर गाड़ी चढ़ाकर मार डालती है “ये सीन एक अलग ही प्रभाव डालता है राखी के बेमिसाल अभिनय का ” कामिनी पुलिस को भी बखूबी धोखा दे देती है उसकी लाश को गाड़ी के नीचे डालकर या कहते हुए कि मकैनिक उसकी ख़राब गाड़ी बना रहा है।

इतने में गाड़ी में आग भड़क जाती है और गाड़ी ऊँची पहाड़ी से नदी में गिरती दिखाई देती है। पीछे आ रही पुलिस ये देखकर कामिनी के पिता को सूचित करती है कि उनकी बेटी मर गई है। घर में जब बारात आने को ही है तब कामिनी की मौत की ख़बर से पूरा घर बहोत बड़ी मुसीबत में पड़ जाता है तभी कंचन का ख्याल रखने वाली नौकरानी कहती है कि ‘कंचन को मंडप में बिठा दीजियेगा फिर बाद में बता दीजिएगा कि कामिनी अब इस दुनिया में नहीं रही तो हम क्या करते।’ इस पर कंचन के माता पिता अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए ये करने को राज़ी हो जाते हैं पर कंचन का दिल नहीं मानता वो शादी से पहले अजीत को बताना चाहती है और उसे ख़त लिख कर भेज देती है कि उनकी शादी कामिनी से नहीं कंचन से हो रही है वो चाहें तो इंकार कर दें।

कंचन फादर जोसेफ के घर पर काम करने वाली लिली के ज़रिए ये लेटर भेजती है, लेकिन कंचन की माँ उसे देख लेती है और लिफाफे में खुशबू लगाने के बहाने से उसमें से खत निकाल लेती है और “कंचन की फोटो डालते हमें दिखाया भी जाता है” फिर कुछ ही देर में अजीत बारात लेकर आ जाता है और दोनों की शादी हो जाती है। “यहाँ तो कुछ देर के लिए हमें भी भ्रम हो जाता है कि शायद माँ ने लव लेटर में और चार चाँद लगाने के लिए कहीं ख़त के साथ ही फोटो तो नहीं डाल दी थी। ” ख़ैर कंचन भी ये सोचकर नए जीवन के सपने सजाने लगती है कि अजीत ने उसे स्वीकार कर लिया है गीत गाती है -“आज मदहोश हुआ जाए रे” लेकिन कामिनी की जगह कंचन को देखकर अजीत आग बबूला हो जाता है। कंचन कहती है कि उसने उसे ख़त लिखा था तो अजीत कहता है उसे कोई लेटर नहीं मिला और वो उसे छोड़कर चला जाता है पर कंचन को कुछ समझ नहीं आता और वो अजीत के उसे छोड़के जाने के बाद आत्म हत्या कर लेती है लेकिन फादर जोसेफ वक़्त पे वहाँ आ जाते हैं और उसे बचा लेते हैं।

दूसरी तरफ अजीत अपने आर्मी कैंप में वापस लौट आता है उसके साथी उसे शादी की बधाई देते हैं पर वो गहरे सदमे और दुख में डूब जाता है सबके कहने पर गाना भी सुनाता है तो कहता है “कैसे कहें हम…..”कुछ दिन बाद अजीत का एक्सीडेंट हो जाता है और डॉक्टर्स कहते हैं कि हम उन्हें बचाएँ कैसे जब वो जीना ही नहीं चाहते ऐसे में फादर जोसेफ कंचन को कामिनी का हाव-भाव अपनाने को यानी अजीत के लिए कामिनी ही बनने को कहते हैं और कंचन अजीत को ठीक करने के लिए कामिनी का रूप धर ही लेती है, अजीत भी अपनी कामिनी का प्यार पाकर ठीक हो जाता है।

इस बीच सीन बदलता है और हमें कामिनी बड़े ऐश -ओ-आराम की ज़िंदगी गुज़ारते दिखती है ,’कुंदन’ के बॉस ‘टाइगर’ के साथ जो अब उसके बहोत क़रीब है। इसी सीन में कामिनी की पीठ पर एक बहोत बड़े ज़ख़्म के निशान को दिखाया जाता है ,जिसे टाइगर बस छूकर कामिनी के उस पुराने ज़ख़्म को हरा कर देता है जिसे वो भूलना चाहती है और हमें वो झलक कामिनी की आँखों में दिखाई जाती है जहाँ से वो हमारी नज़रों से यानी सिल्वर स्क्रीन से ओझल हुई थी “यहाँ उस राज़ से पर्दा उठता कि कामिनी ने गाड़ी पहाड़ से नीचे नहीं गिराई थी ये काम टाइगर के साथी ने किया था और टाइगर ने ही कामिनी को ज़ख़्मी हालत में पुलिस की नज़रों से बचाकर उसकी जान भी बचाई थी तबसे ही कामिनी इन देश द्रोहियों के साथ मिलकर उनके ग़ैर क़ानूनी कामों को अंजाम दे रही है।”

एक दिन ऐसे ही कारनामों को अंजाम देते हुए कामिनी देश की एक कॉन्फिडेंशियल फाइल की फोटो खींच कर देश के दुश्मनों को सौंप देती है और इसी ख़ुशी का जश्न मनाने एक क्लब में जाती है यहाँ हमें मिलता है बेहतरीन कैबरे सांग “रेशमी उजाला है मख़मली अँधेरा” गाने के दौरान कामिनी की नज़र अजीत और कंचन पर पड़ती है जो बहोत खुश दिखते हैं ,तो उसे शक होता है की अजीत कंचन के साथ इतना खुश कैसे हो सकता है इसलिए वो उनकी बातें सुनती है फिर उसे पता चलता है कि कंचन ने उसी का रूप धरा है, उसी की चाल- ढाल अपना कर वो अजीत को खुश कर पा रही है तब वो प्लान बनाती है कि वो कामिनी और टाइगर को मार कर अपना हक़ लेगी और इस दलदल से भी निकल जाएगी जहाँ सब एक दूसरे के खून के प्यासे हैं ।

इस बीच कामिनी सी बी आई की नज़र में आ जाती है और आर्मी कर्नल के पास जब कामिनी की फोटो पहुँचती है तो वो उसे अजीत की पत्नी के रूप में पहचान जाते हैं और अजीत को उसका फ़र्ज़ याद दिलाते हैं इस पर अजीत कहता है कि खुद सच्चाई का पता लगाएगा और अगर बात सही निकली तो वो कामिनी को गोली मार देगा। इन फोटोज़ में कामिनी ने स्विमिंग ड्रेस पहना हुआ था और उसकी पीठ पर चोट का लम्बा निशान साफ़ दिख रहा था ,जिसे देखने के लिए अजीत, कामिनी बनीं कंचन के पास जाता है और किसी तरह उसकी पीठ देख लेता है और उस पर चोट का निशान न होने से ये तसल्ली कर लेता है कि उसकी कामिनी देश द्रोही नहीं है फिर फादर जोसेफ के पास जाकर कहता है कि उनकी कंचन जिसे वो इतना अच्छा समझते है वो देश द्रोही है तब फादर अजीत को बताते हैं कि कामिनी तो मर चुकी है पर तुम मानने को तैयार नहीं थे और खुद भी जीना नहीं चाहते थे इसलिए मुझे मजबूरन कंचन को कामिनी बनाना पड़ा तब अजीत कंचन के समर्पण के आगे नतमस्तक हो जाता हैं।

दूसरी तरफ कामिनी, कंचन के पास लाचार बनकर जाती है उसे बताती है कि वो बहोत बीमार है और बर्बाद हो चुकी है तो कंचन उसे कहती है तुम ज़िंदा हो मेरे लिए यही बहोत है। अब तुम अजीत को संभाल लो वो मुझे नहीं तुम्हे ही प्यार करते हैं मै उनकी ज़िंदगी से चली जाउंगी ,इस पर कामिनी कहती है उसे एक बैग अपने साथी टाइगर तक पहुँचाना है वो आज तो नहीं रुक सकती पर कंचन कहती है कि तुम बीमार हो इसलिए घर पर आराम करो मै चली जाती हूँ और कंचन वो बैग लेकर चली जाती है जिसमें कामिनी ने चुपके से बम लगा दिया था।

इसके बाद अजीत ख़ुशी -ख़ुशी कंचन के पास पहुँचता है उसे बताता है कि वो जान गया है कि उसने कामिनी बन कर उसके लिए क्या क्या किया है पर अब यहाँ तो कामिनी ही कंचन बनी हुई है इसलिए वो खुश नहीं होती फिर अजीत को कहती है कि चलो कही बाहर घूम कर आते हैं। अजीत के मूँ से इतनी बड़ी बात सुनकर भी वो उतनी ख़ुश नहीं होती जितना कंचन को होना चाहिए इसलिए अजीत को उस पर शक हो जाता है और वो ग़ौर से देखता है तो उसे फर्श पर सुलगती हुई सिग्रेट और पर्स में पिस्तौल दिखती है फिर अजीत ज़बरदस्ती कामिनी की पीठ देखता है जिसमें उसका चोट का निशान देखकर समझ जाता है कि वो कंचन नहीं कामिनी है।

इस बात पर दोनों का झगड़ा होता है “जो एक मर्द और औरत के बीच लड़ाई का अनोखा दृश्य है ” यहाँ धोखे से कामिनी पिस्तौल उठा लेती है और जब कमज़ोर पड़ने लगती है तो अपने ऊपर ही गोली चला लेती है फिर आख़री शब्द कहती है कि कंचन को बचा लो और अजीत निकल पड़ता है कंचन को बचाने वहीं इस बात से अनजान कंचन बैग लेकर टाइगर के साथ प्लेन पर चढ़ जाती है इतने में पीछे से अजीत आ जाता है और किसी तरह वो भी प्लेन में चढ़ जाता है दोनों की खूब हाँथा पाई होती है और आख़िर में टाइगर के पास ही बम फटने से उसकी मौत हो जाती है। अजीत ,कंचन को गले लगाता है फिर देर न करते हुए उसे लेकर आग लगे प्लेन से पैराशूट की मदद से नीचे उतर आता है , हवा में उड़ते हुए कंचन और अजीत के इस दृश्य में सुखद अंत के साथ गाना बजता है “आज मदहोश हुआ जाए रे …. “. ये फिल्म है शर्मीली तो कहानी सुनने के बाद इसके बेहतरीन कलाकारों के उम्दा अभिनय को महसूस भी ज़रूर करिएगा।

साउंडट्रैक की बात करें तो:-

दिलनशीं नग़्मों का ताना बाना बुना है गीतकार नीरज ने और दिलकश मौसिक़ी की धुनों से इन्हें सँवारा है संगीतकार एसडी बर्मन ने। इन नग़्मों को अपनी मख़मली आवाज़ से निखारा है , किशोर कुमार , लता मंगेशकर और आशा भोसले ने। गाना “खिलते हैं गुल यहाँ” राग भीमपलासी  जिसे  कर्नाटक संगीत में ‘अभेरी’ कहते हैं उस में निबद्ध है, और “मेघा छाए आधी रात” राग पटदीप जो कर्नाटक संगीत के ‘गौरीमनोहारी ‘  से मिलता जुलता है उस में निबद्ध है।”रेशमी उजाला है मख़मली अँधेरा” एक बेहतरीन सॉन्ग है जिसे जयश्री टी पर फिल्माया गया है।

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