Shardiya Navratri 2025: अष्टमी या नवमी? नवरात्रि में कब करें माता को प्रसन्न करने के लिए हवन

Shardiya Navratri 2025

Shardiya Navratri 2025: नवरात्रि का हर दिन मां दुर्गा की उपासना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, परंतु अष्टमी और नवमी की तिथियों को पावन और सिद्ध माना जाता है। इन्हीं दो दिनों पर कन्या पूजन, हवन और देवी की विशेष साधना करने का विधान है। अक्सर लोगों के मन में यह प्रश्न उठता है कि कौन से दिन पर हवन करें? अष्टमी के दिन या नवमी के दिन? कौन सा दिन अत्यधिक शुभ होता है? ऐसे में आज के इस लेख में हम आपके लिए इन्हीं प्रश्नों के उत्तर देने वाले हैं।

Shardiya Navratri 2025
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अष्टमी के हवन का महत्व

बता दे अष्टमी तिथि को महाष्टमी भी कहा जाता है। यह दिन महागौरी की उपासना का है। शास्त्रों में कहा जाता है की अष्टमी की अग्नि में आहुति देने से साधक के समस्त पाप समाप्त हो जाते हैं और साधक को आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है। अर्थात अष्टमी का हवन उन लोगों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है जो साधना की गहराई में उतरना चाहते हैं। अष्टमी का हवन करने से लोगों के जीवन की बाधाएं दूर होती है, आध्यात्मिक कष्ट दूर होते हैं मानसिक शांति प्राप्त होती है।

नवमी के हवन का महत्व

नवमी तिथि को नवरात्र का अंतिम दिन कहा जाता है। यह दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा को समर्पित होता है जो समस्त सिद्धियां की देयता है। इस दिन घर पर हवन करने से साधक को सौभाग्य प्राप्ति होती है। साधक के परिवार के दुख और क्लेश दूर होते हैं, ग्रह दोष दूर होते हैं और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है। यहां तक की व्यावसायिक सफलता सामाजिक सफलता मिलती है।

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कौन से दिन पर करें हवन?

जैसा कि हमने बताया अष्टमी पर किए गए हवन से आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है और साधना की गहराई में साधक उतरता है। वही नवमी का हवन भौतिक और सामाजिक सुख सफलता के लिए होता है। ऐसे में यदि साधक आध्यात्मिक साधना और मोक्ष के लिए हवन करना चाहता है तो अष्टमी को हवन करें। वही सिद्धि, सौभाग्य और कन्या पूजन के साथ पूर्णता हेतु हवन करना चाहता है तो नवमी का हवन करें।

हालांकि आज का यह दौर काफी व्यस्तता का दौर है। ऐसे में सभी लोग अपने कार्य और समय की वजह से दुविधा में फंसे रहते हैं। इसीलिए सबसे उत्तम मार्ग है कि अपनी सुविधा अनुसार अष्टमी या नवमी का दिन निर्धारित करें और जब श्रद्धा हो तब हवन करें। क्योंकि देवी मां भक्त की निष्ठा को ही प्रधान मानती है। अष्टमी या नवमी दोनों ही दिन हवन के लिए और कन्या पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ कहे जाते हैं। इसीलिए श्रद्धा भक्ति और शुद्ध मन से किया गया हर कार्य हर समय शुभ फल ही देता है।

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