SHARDEY NAVRATRA 2025 : शक्ति-सौभाग्य सिद्धि दायक है मां कात्यायनी का यह स्त्रोत – नवरात्रि में मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की विशेष पूजा-अर्चना का विधान है। देवी कात्यायनी को साहस, सौभाग्य और संतान-सुख की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु, महेश और देवताओं की सामूहिक शक्ति से उत्पन्न होकर, कात्यायन ऋषि के यहां जन्म लेने के कारण इन्हें कात्यायनी कहा जाता है। इनकी पूजा से कन्याओं को उत्तम वर की प्राप्ति, दांपत्य जीवन में सुख-शांति, और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। यही कारण है कि नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी का विशेष पूजन और स्तोत्र पाठ करने का महत्व बताया गया है।
मां कात्यायनी का अति शक्तिशाली स्तोत्र
कञ्चनाभां वराभयं पद्मधरा मुकटोज्जवलां – स्मेरमुखी शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोऽस्तुते॥
पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्सिं – हस्थिताम् पद्महस्तां कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥
परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा – परमशक्ति, परमभक्ति, कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥
विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता – विश्वाचिन्ता, विश्वातीता कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥
कां बीजा, कां जपानन्दकां बीज जप तोषिते – कां कां बीज जपदासक्ताकां कां सन्तुता॥
कांकारहर्षिणीकां धनदाधनमासना – कां बीज जपकारिणीकां बीज तप मानसा॥
कां कारिणी कां मन्त्रपूजिताकां बीज धारिणी – कां कीं कूंकै क: ठ: छ: स्वाहारूपिणी॥
स्तोत्र का भावार्थ और महत्व
स्तोत्र में देवी कात्यायनी को स्वर्ण जैसी आभा से युक्त, पद्मधारिणी, दिव्य आभूषणों से सुसज्जित और सिंहवाहिनी के रूप में स्तुत किया गया है। उन्हें परब्रह्म स्वरूपिणी, परमशक्ति और परमभक्ति का आधार कहा गया है। क्योंकि वे ही सृष्टि की कर्ता, पालक और संहारक हैं, साथ ही भक्तों के दुःख हरण करने वाली और मोक्ष देने वाली देवी भी हैं। “कां” बीज मंत्र से उनकी पूजा का विशेष महत्व है, जो समृद्धि, संतान सुख और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है।
धार्मिक मान्यता और लाभ
कन्याओं के विवाह योग में वृद्धि – मां कात्यायनी की पूजा अविवाहित कन्याओं के विवाह हेतु शुभ मानी गई है।
शत्रु नाश व साहस वृद्धि – इस स्तोत्र के नियमित पाठ से आत्मबल बढ़ता है और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
संतान सुख की प्राप्ति – दांपत्य जीवन में संतान की प्राप्ति हेतु भी मां कात्यायनी की आराधना फलदायी है।
नवरात्रि के छठे दिन का महत्व – शारदीय और चैत्र नवरात्रि में छठे दिन विशेषकर इस स्तोत्र के पाठ से भक्तों को धन, सुख, स्वास्थ्य और सौभाग्य प्राप्त होता है।
विशेष – मां कात्यायनी स्तोत्र का पाठ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आध्यात्मिक साधना और आत्मिक शांति का मार्ग है। देवी कात्यायनी की कृपा से भक्त को जीवन में साहस, समृद्धि और संपूर्णता की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के छठे दिन इस स्तोत्र का श्रद्धापूर्वक पाठ करने से जीवन की अनेक बाधाएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि का द्वार खुलता है।