Joint Pain In Winter Remedy : आज कल की लाइफ स्टाइल की वजह से सर्दियों के मौसम में ठंड और नमी के कारण जकड़न जोड़ों में दर्द की समस्या बुज़ुर्गों में ही नहीं जवानों में भी आम होती जा रही है। तापमान गिरने की वजह से हमारा रक्त संचार धीमा हो जाता है जिससे कभी -कभी सूजन और stiffness भी बढ़ जाती है इसलिए हमें अपने शरीर को गर्म रखने की कोशिश करनी चाहिए।
कैसे रखें बॉडी को गर्म :-
जब हम अपने शरीर को गर्म रखेंगे तो हमारी (flexibility) या लचीलापन बना रहेगा जिससे ऊर्जा भी मिलेगी इसलिए शरीर को गर्म रखना बहोत ज़रूरी है इसके लिए हमें सबसे पहले तो हल्का फुल्का व्यायाम करना ही चाहिए और अपने खान-पान पर विशेष ध्यान रखते हुए पौष्टिक भोजन लेना चाहिए पर्याप्त मात्रा में पानी, पीना चाहिए। पानी को भोजन के बनिस्बत कमज़ोर न समझिए ये हमारे जोड़ों को स्वस्थ बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि dehydration होने से भी दर्द बढ़ जाता है।
बढ़ती उम्र के साथ बढ़ता है जोड़ों का दर्द :-
सर्दी का मौसम आते ही जहाँ सर्दी ज़ुकाम की परेशानी बढ़ जाती है वहीं जोड़ों का दर्द (joint pain) भी उम्र के साथ सताने लगता है खासकर बुजुर्गों में, गठिया या (arthritis) से जूझ रहे लोगों के लिए क्योंकि तापमान गिरने के साथ ही हमारी मांस पेशियाँ और जोड़ों की नसें सिकुड़ जाती हैं, इसी वजह से जकड़न, सूजन और दर्द बढ़ने लगता है।
क्यों बढ़ जाता है सर्दियों में जोड़ों का दर्द :-
सर्दियों के मौसम में हमारा blood circulation धीमा पड़ जाता है इससे जोड़ों के आसपास की मांसपेशियाँ और ऊतक सख्त हो जाते हैं, इसलिए हमें शरीर में अकड़न, सूजन और दर्द महसूस होता है। वायुदाब (barometric pressure) में बदलाव से हड्डियों और जोड़ों पर असर पड़ता है। शारीरिक गतिविधि कम होने से जोड़ों में stiffness बढ़ जाती है। पानी कम पीना यानी शरीर में dehydration होना भी दर्द को बढ़ा देता है।
गर्म कपडे पहनना भी है ज़रूरी :-
न केवल घर से बाहर निकलते समय ऊनी कपड़े पहनें बल्कि घर में रहते हुए भी सुबह शाम हल्के गर्म कपड़े या मोज़े ज़रूर पहनें ताकि बॉडी गर्म रहे। बहोत ज़्यादा ठंड हो तो ख़्याल रखें कि गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें घर को भी गर्म रखें।
नियमित व्यायाम भी है लाभकारी :-
अक्सर सर्दियों के सीज़न में हम ठंड की वजह से ज़्यादातर रज़ाई में दुबके रहना पसंद करते हैं यानी शारीरिक गतिविधि कम कर देते हैं, जिससे जोड़ों की stiffness और दर्द बढ़ सकता है इसलिए हमें बिल्कुल से एक्सरसाइज़ नहीं छोड़ना चाहिए। दिल न भी करे तो हल्के-फुल्के व्यायाम ,स्ट्रेचिंग, योग या फिर वॉक ज़रूर करना चाहिए। बहोत ठंड हो तो घर के अंदर ही कुछ हल्का फुल्का व्यायाम करलें इससे हमारे शरीर में खून का संचार बेहतर तरीक़े से होता है शरीर में मांसपेशियों के खिंचाव से लचीलापन बढ़ता है और शरीर गर्म रहता है।
लम्बे समय तक बैठने या खड़े रहने से बचें :-
अगर आपका काम लंबे वक़्त तक बैठकर करने वाला है,या आप कुर्सी में बैठे रहते हैं तो इससे भी आपको जोड़ों में दर्द महसूस हो सकता है इसलिए कोशिश करें कि हर 30 मिनट में खड़े होकर बॉडी को थोड़ा हिलाए कुछ मूवमेंट करें इससे जोड़ों पर दबाव कम पड़ेगा और दर्द से राहत मिलेगी।
पौष्टिकआहार भी देता है दर्द में राहत :–
सर्दियों में खानपान का सीधा असर जोड़ों पर पड़ता है। एक संतुलित और पौष्टिक डाइट न सिर्फ शरीर को ऊर्जा देती है बल्कि हड्डियों और जोड़ों को भी मज़बूत बनाती है इसलिए अपने आहार में कैल्शियम, विटामिन D,ओमेगा-3 फैटी एसिड और प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल करें और इनके स्त्रोत होते हैं – दूध, दही, पनीर, हरी सब्ज़ियाँ , बादाम, अखरोट, अलसी के बीज, और मछली जैसे पदार्थ। अपने आहार में मौसमी फल और हरी पत्तेदार सब्जियाँ भी शामिल करें इससे शरीर को आवश्यक एंटीऑक्सीडेंट और पोषक तत्व मिलते हैं जो जोड़ों की सूजन को कम करने में मदद करते हैं साथ ही ठंड के मौसम में ज़्यादा ऑयली खाना खाने से बचें इससे जोड़ों में सूजन बढ़ सकती है।
बैठने-उठने की मुद्रा पर भी दें ध्यान :-
अक्सर हमारा ग़लत तरीके से बैठना उठना या झुककर काम करना ही हमारे जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव बना देता है जिससे जोड़ों में दर्द और stiffness की परेशानी होने लगती है। इसलिए हमेशा अपने पोस्चर को सही रखें ,पीठ सीधी रखें। लैपटॉप या मोबाइल का इस्तेमाल करते वक़्त भी सावधानी बरतें बहोत देर तक गर्दन को झुकाकर न बैठें, स्क्रीन के हिसाब से आँखों की दिशा सही रखें। बहोत देर तक एक ही पोजीशन में बैठने या खड़े रहने से बचें अगर ऐसा करना भी पड़े तो बीच-बीच में बॉडी को हल्का स्ट्रेच करें।
ठंड की वजह से पानी पीना न कम करें :-
सर्दियों में हमें प्यास कम लगती है, इसलिए अक्सर हम पानी पीना भूल जाते हैं जिससे डिहाइड्रेशन हो सकता है, जिससे जोड़ों में लुब्रिकेशन कम हो जाता है और दर्द बढ़ सकता है इससे बचने के लिए याद से दिनभर में कम से कम 8–10 गिलास पानी पिएं अगर पानी ठंडा लगे तो गुनगुना पानी पिएँ। दर्द और सूजन के लिए हर्बल टी , ग्रीन टी, अदरक वाली चाय या हल्दी वाला दूध पीना भी फायदेमंद रहता है।
पारंपरिक तरीक़े भी है असरदार :-
जोड़ों के दर्द में अक्सर हमारी दादी-नानी गर्म तेल से मालिश करती थीं ये वाक़ई असरदार है क्योंकि इससे खून का दौरान बेहतर हो जाता है और मांसपेशियों को आराम मिलता है, Stiffness कम होती है। मालिश करने के लिए आप सरसों, तिल या नारियल तेल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं बस तेल को हल्का गर्म कर लें और जोड़ों पर हल्के हाथों से कुछ गोलाई देते हुए मसाज करें। मालिश करने से तुरंत तो राहत नहीं मिलेगी लेकिन अगर आप रोज़ाना 10–15 मिनट की मालिश करने लगें तो धीरे -धीरे दर्द और जकड़न दोनों में राहत मिल जाएगी। एक बात का ख़ास ख्याल रखें कि मालिश के बाद शरीर को ढककर रखें या फिर धूप ले लें मतलब शरीर को गर्माहट दें ताकि ठंडी हवा का असर न हो।
कब लें डॉक्टर की सलाह :-
घरेलू उपायों से भी अगर दर्द न जाए और उल्टा बढ़ रहा हो, सूजन हो या चलने-फिरने में दर्द ज़्यादा महसूस हो रहा हो,जोड़ों में के कट-कट की आवाज़ यानी क्रैकिंग साउंड आने लगे तो देर न करें फ़ौरन ऑर्थोपेडिक डॉक्टर को दिखाएँ। डॉक्टर की सलाह लेना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि ये दर्द Osteoarthritis, Rheumatoid Arthritis या Vitamin D deficiency की तरफ इशारा भी हो सकता है।
क्या है ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) :-
ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) जोड़ों के घिसने (Cartilage wear-and-tear) से होता है, जो घुटनों, कूल्हों जैसे बड़े जोड़ों को प्रभावित करता है और उम्र के साथ बढ़ता है, जबकि रुमेटीइड गठिया (Rheumatoid Arthritis – RA) एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ग़लती से जोड़ों की परत (Synovium) पर हमला करती है, जिससे दर्दनाक सूजन होती है और ये छोटे जोड़ों यानी हाँथ -पैरों की उंगलियों से शुरू होकर शरीर के अन्य हिस्सों ख़ासकर फेफड़े और हृदय को भी प्रभावित कर सकती है और किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन समय पर जांच और इलाज से बीमारी को शुरुआती चरण में ही नियंत्रित किया जा सकता है और भविष्य में बड़ी जटिलताओं से बचा जा सकता है।आख़िर में बस इतना ही कि सर्दियों में जोड़ों का दर्द बढ़ना एक आम समस्या है लेकिन अगर हम थोड़ी सावधानी बरतें, अपने शरीर को गर्म रखें, नियमित व्यायाम करें और पौष्टिक भोजन लें, और हाँ समय रहते डॉक्टर से संपर्क करें तो इस दर्द से बचा जा सकता है।
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