संघ की खामोश मेहनत, वो आए और जिताकर चले गए

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MP Political News: भाजपा के मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में परचम फहराने के लिए मोदी की गारंटी और लाड़ली बहना की भूमिका तो वजह रही है, लेकिन इस शोर मचाती जीत के पीछे संघ की खामोश मेहनत भी एक बड़ी भूमिका रही है. पूरे मध्य प्रदेश में संघ की हजारों बैठक हुई है. संघ इस दौरान अपने अनुशंसान मिशन के साथ-साथ टैक्नोलॉजी का भी भरपूर उपयोग किया, और भारतीय जनता पार्टी से अलग होकर अपना एक वॉर रूम बनाया। मतदाताओं को राष्ट्रवाद के मुद्दे से जोड़ना संघ का हमेशा से उद्देश्य रहा है. आरएसएस का हमेशा से कहना रहा है कि हमारा उदेश्य राष्ट्रीय वोट बैंक को जोड़ना है. मतदाता ऐसे उम्मीदवारों को चुने जो खुद से पहले राष्ट्र की सोचता हो.

संघ ने इस बार इंटरनेट मिडिया का खूब इस्तेमाल किया। चुनाव से पहले संघ प्रमुख मोहन भगवत का एक वीडियो आया था जिस पर वो कहते दिख रहे थे कि नोटा के बजाय मौजूद विकल्पों में से सर्वश्रेष्ठ को चुने। इस वीडियो को इंटरनेट में खूब प्रसारित किया गया. जिसका असर भी दिखा 2018 के विधानसभा चुनाव में नोटा को 1.4 प्रतिशत वोट मिले थे,जो इस बार घाट के 1 प्रतिशत से भी कम रहा.

संघ की यह रही रणनीति-

  • जब हर तरफ लहर थी कि कांग्रेस आ रही है, तब सघ ने कमान संभाली
  • 14 अक्टूबर को इंदौर में श्रीनाथ गुप्ता प्रान्त सम्पर्क प्रमुख, मालवा प्रान्त को लोकसभा प्रभारी की नई जिम्मेदारी दी गई. इन्होंने विधानसभावार और फिर नीचे स्तर पर संघ पदाधिकारियों की नियुक्ति कर काम शुरू किया।
  • हर सो मतदाताओं पर एक कार्यकर्ता को नियुक्त किया गया।
  • एप बनाया गया, जिसमें इंट्री करनी थी कि उनके हिस्से के कितने मतदाताओं ने मतदान किया।
  • वार रूम से लगातार मॉनीटरिंग की गई कि जो दायित्व दिए गए वह उस दिन किए गए या नहीं
  • मतदाताओं को राष्ट्रवाद के मुद्दे से जोड़ने पर पूरा फोकस किया गया. देश की मुख्य समस्याओं को बताते हुए जागरूक किया गया। किसी पार्टी विशेष को वोट देने की जगह यह बोला गया कि जो राष्ट्रहित का सोचे, उनके लिए नीति बनाए, जो इसके नजदीक उम्मीदवार लगे उसे ही वोट दो।
  • इंदौर में एक अर्चना कार्यालय के स्थान पर जगह-जगह क्षेत्रीय कार्यालय बने, जहां जिसकी जिम्मेदारी थी वह बैठा ओर लगातार मॉनीटरिंग की गई।

साल 2018 के मुकाबले इस बार ज्यादा गंभीर हुआ संघ

2018 के विधानसभा चुनाव में संघ इतना सीरियस नहीं था. नतीजतन भारतीय जनता पार्टी को मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सत्ता से हाथ धोना पड़ा. संघ पिछली विधानसभा चुनाव में हुई गलतियों को दोहराने देना नहीं चाहती थी. इसलिए संघ ने इस बार 2024 लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए रणनीति बनाई। संघ की माइक्रो मैनेजमेंट और मतदान प्रतिशत बढ़ाने की निति कारगर साबित हुई. चुनाव से पहले भाजपा की गुटबाजी कई बार सतह पर भी देखि गई है, किन्तु संघ ने कुनबे की कलह को कम करने में महती भूमिका निभाई। इसी कारण बीजेपी चुनाव में पूरी तरह एकजुट होकर लड़ी.

ऐसे बढ़ा मतदान प्रतिशत

जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी ने अपने बूथ प्रभारी और पन्ना प्रभारी बनाए उसी तरह से संघ ने भी हर बूथ पर अपने बूथ प्रमुख रखे. ये निर्दलीय प्रत्याशियों के एजेंट के रूप हर मतदान केंद्र में मौजूद थे. इससे संघ के पास तुरंत गोपनीय फीडबैक जा रहा था कि कौन से इलाके में मतदान कम हो रहा है और कहा स्तिथि ठीक है. मतदान एजेंट से जानकारी मिलने के बाद जिस क्षेत्र में मतदान कम हो रहा था. वहां संघ के स्वयंसेवक घर-घर जाकर लोगों को मतदान करने के लिए आग्रह कर रहे थे.

संघ के स्वयंसेवकों ने मतदान से पहले ही ऐसे मतदाताओं को चिन्हित कर लिया था. जो मतदान के लिए अपने शहर में नहीं है या किसी कारण बस अपने शहर से बहार है. ऐसे मतदाताओं से संघ के लोग लगातार समपर्क में थे और मतदान के लिए आग्रह कर रहे थे . स्वयंसेवक संघ के वो सिपाही जो उस शहर में थे वो लोग भी ऐसे लोगों के संपर्क में थे. मतदान के दिन दोपहर तीन बजे के बाद सेवक संघ के लोग मतदाताओं को घर से निकाल- निकालकर मतदान करवाया। यही कारण रहा कि मध्य प्रदेश में दोपहर तीन बजे से छह बजे के बीच में बंपर वोटिंग हुई.

नाराज कार्यकर्ताओं को मनाया

कई सालों से सत्ता में रहने के कारण पार्टी में कई छत्रप और सबके अपने अपने गुट बन गए थे. हर नेता खुद को मुख्यमंत्री पद का दावेदार मान रहा था. ऐसे में संघ ने पार्टी के बड़े नेताओं से बात की और आपसी अंतर्कलह को शांत करवाया। केंद्रीय मंत्री स्तर के नेताओं को चुनावी मैदान में उतारने की रणनीति भी संघ की ही मानी जाती है. इसका असर यह हुआ है कि न केवल इन बड़े नेताओं की सीट बीजेपी जीती बल्कि आसपास की सीटों में भी इसका असर देखने को मिला। साथ ही जो कार्यकर्ता स्थानी नेता और विधायक से नाराज से थे उन्हें भी समझाया गया कि व्यक्ति बड़ा नहीं होता विचारधारा से जुड़िए। इसका असर यह हुआ की भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता पूरे चुनाव में हर समय सक्रीय रहे.

राष्ट्रीय मुद्दों को प्राथमिकता

संघ का मूल कार्य जनजागरण है। इस चुनाव में भी संघ ने ऐसा ही किया जनजागरण के लिए संघ ने मोहल्ला बैठकों का आयोजन किया। इसमें पावर पाइंट प्रेजेंटेशन (PPT) के माध्यम से बताया की स्थानीय मुद्दों से ज्यादा ध्यान हमें राष्ट्रीय मुद्दों में देना चाहिए, क्योंकि राष्ट्र सर्वोपरि है। तथ्यों के साथ समझाया गया कि इस चुनाव में राष्ट्रवादी ताकतों के जीतने से राज्यसभा में भी राष्ट्रवादी विचारधारा मजबूत होगी। संघ के एजेंडे में श्रीराम मंदिर और कश्मीर के अलावा भी कई राष्ट्रीय मुद्दे हैं। लोगों को बताया कि जनसंख्या नियंत्रण कानून, समान नागरिक संहिता, सीएए जैसे कई कानून राज्यसभा में बहुमत से पारित होने के बाद ही लागू किए जा सकते हैं। इन्हें लागू करने के लिए राज्य के इन चुनावों को जीतना बेहद आवश्यक है।

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