रूस ने तालिबान सरकार को दी आधिकारिक मान्यता, भारत पर क्या होगा असर?

Russia gives official recognition to Taliban government: रूस ने 4 जुलाई 2025 को अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को आधिकारिक मान्यता देकर इतिहास रच दिया। यह पहला मौका है जब किसी देश ने 2021 में सत्ता में आए तालिबान शासन को औपचारिक रूप से मान्यता दी है। रूसी विदेश मंत्रालय ने तालिबान द्वारा नियुक्त नए अफगान राजदूत गुल हसन हसन (Gul Hassan Hassan) के परिचय-पत्र स्वीकार किए, और मॉस्को में अफगान दूतावास के ऊपर तालिबान का झंडा फहराया गया।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की सलाह पर यह फैसला लिया। तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी (Amir Khan Muttaqi) ने इसे “साहसी कदम” करार देते हुए कहा कि यह दोनों देशों के बीच “सकारात्मक संबंधों का नया दौर” शुरू करेगा।

तालिबान को मान्यता क्यों दी?

Russia Taliban Recognition, Islamic Emirate, Afghanistan Diplomacy: रूस ने यह कदम भू-राजनीतिक और आर्थिक हितों को ध्यान में रखकर उठाया।

  • आतंकवाद के खिलाफ सहयोग: पुतिन ने तालिबान को आतंकवाद के खिलाफ सहयोगी (partner in counter-terrorism) बताया। रूस ने अप्रैल 2025 में तालिबान को अपनी आतंकी संगठनों की सूची से हटा लिया था।
  • आर्थिक और व्यापारिक हित: 2022 से अफगानिस्तान रूस से तेल, गैस और गेहूं आयात कर रहा है। रूस अफगानिस्तान को दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए गैस ट्रांजिट हब (Gas Transit Hub) के रूप में इस्तेमाल करने की योजना बना रहा है।
  • भू-राजनीतिक रणनीति: रूस का मानना है कि अफगानिस्तान की भौगोलिक स्थिति (चीन, ईरान, पाकिस्तान और मध्य एशिया से सीमा) इसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाती है। रूस इसे पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका, के खिलाफ एक सहयोगी के रूप में देखता है।

रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा, “हम मानते हैं कि इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान (Islamic Emirate of Afghanistan) की मान्यता दोनों देशों के बीच व्यापार, ऊर्जा, परिवहन और बुनियादी ढांचे में सहयोग को बढ़ावा देगी।”

वैश्विक प्रतिक्रिया

  • तालिबान: तालिबान के प्रवक्ता जिया अहमद ताकाल (Zia Ahmad Takal) ने इसे “ऐतिहासिक कदम” (historic step) बताया और उम्मीद जताई कि अन्य देश भी इसका अनुसरण करेंगे।
  • अमेरिका: अमेरिका ने अभी तक तालिबान को मान्यता नहीं दी है, लेकिन मार्च 2025 में दो अमेरिकी नागरिकों की रिहाई और तालिबान नेताओं पर बाउंटी हटाने के बाद संबंधों में सुधार के संकेत मिले हैं।
  • चीन और यूएई: ये देश तालिबान के साथ राजनयिक संबंध रखते हैं, लेकिन औपचारिक मान्यता नहीं दी।

भारत पर क्या असर पड़ेगा?

भारत ने अभी तक तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है, और रूस का यह कदम भारत के लिए कई चुनौतियां और अवसर ला सकता है:

  • सुरक्षा चिंताएं: तालिबान को मान्यता देने से क्षेत्रीय आतंकवाद (Regional Terrorism) पर असर पड़ सकता है। भारत को चिंता है कि तालिबान का समर्थन लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों को मजबूत कर सकता है।
  • आर्थिक प्रभाव: अफगानिस्तान में भारत के 3 बिलियन डॉलर के निवेश, जैसे सलमा बांध और संसद भवन, तालिबान शासन के तहत जोखिम में हैं। रूस का सहयोग तालिबान को आर्थिक रूप से मजबूत कर सकता है, जिससे भारत की परियोजनाओं पर असर पड़ सकता है।
  • रणनीतिक स्थिति: भारत के लिए अफगानिस्तान में रूस के प्रभाव का बढ़ना एक जटिल स्थिति है। भारत और रूस के बीच मजबूत संबंधों के बावजूद, भारत को तालिबान के साथ सतर्क कूटनीति अपनानी होगी।
  • चाबहार बंदरगाह: भारत का चाबहार बंदरगाह (Chabahar Port) अफगानिस्तान के लिए वैकल्पिक व्यापार मार्ग है। रूस की भागीदारी से इस मार्ग का महत्व बढ़ सकता है, लेकिन तालिबान के साथ संबंधों की अनिश्चितता भारत के लिए चुनौती है।

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