Grand mass Srimad Bhagavad Gita recitation in Rewa: रीवा। अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2025 के तहत सोमवार को रीवा के एनसीसी ग्राउंड में एक अद्भुत और ऐतिहासिक आयोजन हुआ। जिले भर के सरकारी, निजी स्कूलों एवं कॉलेजों के करीब 5100 छात्र-छात्राओं ने एक साथ, एक स्वर में श्रीमद्भगवद्गीता के 15वें अध्याय “पुरुषोत्तम योग” का सामूहिक पाठ किया। पूरा मैदान “ॐ” की गूंज, शंखनाद और संस्कृत श्लोकों की सुमधुर ध्वनि से ऐसा सराबोर हो उठा मानो स्वयं भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को उपदेश दे रहे हों।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं गीता आरती से हुआ। मंच पर उपस्थित मुख्य अतिथि अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेन्द्र कुमार कुड़रिया, संभागायुक्त बी.एस. जामोद, कलेक्टर प्रतिभा पाल, पुलिस अधीक्षक शैलेन्द्र सिंह, भाजपा जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र गुप्ता, नगर निगम महापौर अजय सिंह, जिला पंचायत सीईओ स्वरोचिष सोमवंशी सहित जिले के सभी वरिष्ठ प्रशासनिक, पुलिस अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि मौजूद रहे। हजारों की संख्या में अभिभावक, शिक्षक, संत-महात्मा और आम नागरिक भी इस पावन दृश्य के साक्षी बने।

“गीता जीवन दर्शन है, केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं” – कुलपति प्रो. कुड़रियाअपने उद्बोधन में कुलपति प्रो. राजेन्द्र कुमार कुड़रिया ने कहा, “श्रीमद्भगवद्गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि सम्पूर्ण जीवन दर्शन है। इसमें कर्मयोग, भक्तियोग, ज्ञानयोग और संन्यास योग का जो समन्वय है, वह आज भी विश्व की सबसे बड़ी जरूरत है। अगर हम इसके संदेशों को अपने दैनिक जीवन में उतार लें तो व्यक्तिगत उन्नति के साथ-साथ परिवार, समाज और राष्ट्र का कल्याण निश्चित रूप से होगा।”उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार की पहल की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश में जिस प्रकार गीता महोत्सव को जन-आंदोलन का रूप दिया जा रहा है, उससे युवा पीढ़ी फिर से अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ रही है।संभागायुक्त बी.एस. जामोद ने कहा कि रीवा जैसे क्षेत्र में इतनी बड़ी संख्या में बच्चे एक साथ गीता पाठ कर रहे हैं, यह अपने आप में एक कीर्तिमान है।
कलेक्टर प्रतिभा पाल ने सभी स्कूलों के प्रधानाचार्यों, शिक्षकों और छात्रों को बधाई देते हुए कहा कि यह आयोजन न केवल धार्मिक अपितु शैक्षणिक और चारित्रिक विकास का भी माध्यम बनेगा। बच्चों में उत्साह, अभिभावकों की आँखें हुईं नमकार्यक्रम स्थल पर मौजूद अभिभावकों ने बताया कि जब हजारों बच्चे एक साथ “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन…” जैसे श्लोक बोल रहे थे तो रोम-रोम में कंपकंपी सी हो रही थी। कई माताओं की आँखें खुशी से नम हो गईं। एक अभिभावक ने कहा, “आज हमारे बच्चों को संस्कार और संस्कृति का ऐसा जीवंत दर्शन मिला जो किताबों से नहीं मिल सकता।
अधिक जानने के लिए आज ही शब्द साँची के सोशल मीडिया पेज को फॉलो करें और अपडेटेड रहे।
- Facebook: shabdsanchi
- Instagram: shabdsanchiofficial
- YouTube: @ShabdSanchi
- Twitter: shabdsanchi
